CG : विवाह की पवित्रता हो रही है खत्म -सुप्रीम कोर्ट,कहा -दहेज के कारण व्यवसायिक लेनदेन बनकर रह गई है शादी …..

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि शादी आपसी विश्वास, एक दूसरे के साथ और सम्मान पर बनी पवित्र व उत्कृष्ट संस्था है। दुख की बात है कि दहेज की बुराई की वजह से यह पवित्र बंधन सिर्फ एक व्यावसायिक लेन-देन बनकर रह गया है।

👉दहेज हत्या पूरे समाज के विरुद्ध अपराध- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ बेंच ने कहा कि दहेज हत्या सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे समाज के विरुद्ध अपराध है। पीठ ने कहा, ”दहेज की बुराई को अक्सर उपहार या मर्जी से दिए गए चढ़ावे के रूप में छिपाने की कोशिश की जाती है, लेकिन असल में यह सामाजिक रुतबा दिखाने और पैसे के लालच को पूरा करने का जरिया बन गई है।”
पीठ ने यह बात ऐसे व्यक्ति की जमानत रद करते हुए कही, जिस पर शादी के सिर्फ चार महीने बाद ही दहेज के लिए अपनी पत्नी को जहर देने का आरोप था।
सुप्रीम कोर्ट ने उस व्यक्ति को जमानत देने के हाई कोर्ट के आदेश को उलझा हुआ और बरकरार नहीं रखने लायक पाया, क्योंकि इसमें अपराध की गंभीरता, मरने से पहले दिए गए बयानों और दहेज हत्या की कानूनी सोच को नजरअंदाज किया गया था।

👉दहेज एक सामाजिक बुराई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दहेज की सामाजिक बुराई न सिर्फ शादी की पवित्रता को खत्म करती है, बल्कि महिलाओं पर लगातार जुल्म और दबाव भी बनाए रखती है। जब ऐसी मांगें हदें पार कर जाती हैं और क्रूरता में बदल जाती हैं या इससे भी बुरा, एक नई दुल्हन की असमय जान ले लेती है, तो यह अपराध परिवार के निजी दायरे से बाहर निकलकर गंभीर सामाजिक अपराध का रूप ले लेता है। यह सिर्फ एक निजी दुखद घटना नहीं रह जाती, बल्कि समाज की सामूहिक चेतना का अपमान बन जाती है।