KORBA : विधानसभा में ध्यानाकर्षण के बाद भी साय सरकार ने नहीं सुनी कोरबा के किसानों की पुकार ! धान खरीदी की लिमिट आधे से भी कम करने से नाराज पाली -तानाखार विधायक श्री मरकाम किसानों के साथ करेंगे जन आंदोलन !

कोरबा। आकांक्षी जिला कोरबा में धान खरीदी की लिमिट आधे से भी कम किए जाने से किसानों को आ रही समस्याओं का मुद्दा विधानसभा में उठाने के बाद भी सरकार द्वारा सुध नहीं लिए जाने से नाराज पाली-तानाखार के विधायक तुलेश्वर सिंह मरकाम जनआंदोलन की तैयारी में जुटे हुए हैं। विधायक श्री मरकाम ने स्पष्ट कहा है कि, सरकार अगर धान खरीद की लिमिट नहीं बढ़ाती है तो वह किसानों के साथ सड़क पर उतरकर जनांदोलन के लिए बाध्य होंगे ।

उन्होंने साय सरकार को चेतावनी भी देते हुए किसानों के समस्याओं को सुलझाने की अपील भी की थी।
गौरतलब है कि, छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जारी है, लेकिन सरकार के नए नियमों के चलते किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। टोकन, रकबा और खरीदी सीमा को लेकर लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं।

पिछले दिनों पाली-तानाखार विधायक तुलेश्वर सिंह मरकाम ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए धान खरीदी में आ रही समस्याओं को उठाया था। उन्होंने दावा किया था कि कोरबा जिले में राजस्व अभिलेखों की ऑनलाइन त्रुटियों के कारण किसान कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

👉खरीदी लिमिट घटने और नियमों पर सवाल

विधायक ने आरोप लगाया था कि पिछले वर्ष की तुलना में धान खरीदी की सीमा घटा दी गई है। अधिक नमी और सूखे धान का हवाला देकर किसानों को परेशान किया जा रहा है, जिससे किसानों में शासन-प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ रही है।

👉क्या लिखा था ध्यानाकर्षण में?

अपने ध्यानकर्षण पत्र में विधायक तुलेश्वर सिंह मरकाम ने लिखा, “प्रदेश सरकार किसानों का एक-एक दाना धान समर्थन मूल्य पर 21 क्विंटल प्रति एकड़ क्रय किए करने हेतु दृढ़ संकल्पित हैं। चूंकि कोरबा जिला औद्योगिक जिला है साथ ही आधे से ज्यादा आबादी कृषि पर आधारित है, और यहां के किसान कृषि पर निर्भर है।किन्तु दुर्भाग्य है कि पूरे जिले में किसानों के राजस्व अभिलेखों में ऑनलाइन त्रुटि (धान रकबा शून्य, गिरदावरी, एग्रीस्टिक, कैरिफोरवर्ड नहीं होना) जैसे व्यापक त्रुटियां सामने आ रही हैं, जिसके सुधार हेतु ऋणी अऋणी किसान कार्यालयों के चक्कर लगाने मजबूर एवं परेशान हैं । साथ ही धान उपार्जन केंद्रों पर धान खरीदी मात्रा कम करने की नियत से पिछले वर्ष की तुलना में खरीदी लिमिट आधा कर दिया गया है, एवं धान का अधिक सूखा व अधिक नमी होना बताकर भोले-भाले किसानों को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। जिसके कारण किसानों में शासन-प्रशासन के प्रति रोष एवं आक्रोश व्याप्त है। ”