कोरबा -कटघोरा। शहर के युवा ठेकेदार और जनपद सदस्य अक्षय गर्ग की निर्मम हत्या के मामले को पुलिस ने महज़ 24 घंटे के भीतर सुलझा लिया है। इस हाई-प्रोफाइल मर्डर केस में पुलिस की जांच से चुनावी रंजिश, व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा और क्षेत्रीय वर्चस्व का एंगल सामने आया है। पुलिस के मुताबिक, पंचायत चुनाव में मिली हार का ग़म आरोपी को महीनों तक सालता रहा।
बताया जा रहा है कि चुनाव इसी साल की शुरुआत में हुए थे, लेकिन आरोपी ने क़रीब 11 महीने बाद बदला लिया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आरोपी ने चुनाव हारते ही हत्या की साजिश रचनी शुरू कर दी थी या फिर वह इस हत्या के ज़रिए जनपद क्षेत्र में अपना दबदबा कायम करना चाहता था।
इस पूरे हत्याकांड को सुलझाने में पुलिस को अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ी। वारदात को अंजाम देने के लिए आरोपी कार से आए थे और उसी कार से फरार हुए थे। पुलिस ने सबसे पहले उसी अज्ञात कार की पहचान पर काम शुरू किया। प्रत्यक्षदर्शियों ने काले रंग की कार की जानकारी दी थी, लेकिन सीसीटीवी फुटेज खंगालने पर सामने आया कि संदिग्ध वाहन सफेद रंग की टोयोटा अर्बन क्रूजर थी। कार की पहचान होते ही पुलिस उसके मालिक तक पहुंच गई और इसी के साथ हत्या के लगभग सभी राज़ से पर्दा उठ गया।
कार का मालिक कोई और नहीं बल्कि मिर्जा मुश्ताक अहमद निकला। पुलिस ने उसे तत्काल हिरासत में लिया। पूछताछ के दौरान मुश्ताक अहमद ने हत्या की पूरी साजिश कबूल कर ली। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने दो अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है। वहीं, एक आरोपी नाबालिग है और दो अन्य फिलहाल फरार बताए जा रहे हैं।
👉खुद को समाजसेवक बताता था मुश्ताक

इस हत्याकांड के बाद इलाके में सनसनी फैल गई, क्योंकि शायद ही किसी ने सोचा था कि इसका मास्टरमाइंड कटघोरा-मल्दा क्षेत्र का चर्चित चेहरा मिर्जा मुश्ताक अहमद होगा। मुश्ताक खुद को नेता और समाजसेवक के रूप में प्रस्तुत करता था। वह स्कूलों, प्रशासनिक बैठकों और सामाजिक कार्यक्रमों में ग्राम प्रतिनिधि के तौर पर सक्रिय रहता था। सोशल मीडिया, खासकर इंस्टाग्राम पर भी वह काफ़ी सक्रिय था और उसकी कई तस्वीरें मौजूद हैं।
हालांकि, तमाम प्रयासों के बावजूद वह पंचायत चुनाव नहीं जीत सका। बताया जाता है कि चुनावी हार की टीस उसे भीतर ही भीतर खाए जा रही थी।
👉चुनावी हार को वर्चस्व से जोड़कर देखता था आरोपी
आमतौर पर चुनावों में हार-जीत को सामान्य माना जाता है, लेकिन मुश्ताक के लिए यह सिर्फ चुनाव नहीं बल्कि वर्चस्व की लड़ाई थी। वह बिंझरा जनपद क्षेत्र से दावेदार था और पूरी ताकत से चुनाव लड़ा, लेकिन अक्षय गर्ग के सामने टिक नहीं पाया। हार के बाद उसने आरोप लगाया था कि अक्षय गर्ग के पक्ष ने इलाके में पैसे और शराब बांटी, जिससे व्यापारियों को जीत मिली। मुश्ताक यह भी दावा करता था कि भले ही वह चुनाव हार गया, लेकिन उसने जनता का दिल जीत लिया है।
👉पुलिस का खुलासा: हत्या के पीछे ये मुख्य वजहें

इस हाई-प्रोफाइल हत्याकांड को जल्द सुलझाने का पुलिस पर भी भारी दबाव था। खुद आईजी ने घटनास्थल का दौरा किया, जबकि एसपी कटघोरा थाने में कैंप किए रहे। पुलिस की कुछ ही घंटों की कड़ी मेहनत रंग लाई और मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया गया।
एसपी ने प्रेस वार्ता में हत्या की वजहों से पर्दा उठाते हुए बताया कि, आरोपी मिर्जा मुश्ताक अहमद ठेकेदारी का काम करना चाहता था, लेकिन मृतक अक्षय गर्ग के प्रभाव के चलते उसे क्षेत्र में ठेके नहीं मिल पा रहे थे। पंचायत चुनाव के दौरान अक्षय गर्ग और मुश्ताक अहमद के बीच सीधी टक्कर थी और कई बार विवाद भी हुआ। मुश्ताक ने सड़क निर्माण में कथित अनियमितताओं के खिलाफ ‘प्रगति पथ संस्था’ बनाई थी, जबकि सड़क निर्माण से जुड़े अधिकांश काम अक्षय गर्ग के प्रभाव क्षेत्र में थे।
चुनावी हार के बाद मुश्ताक को लगने लगा था कि क्षेत्र में उसका प्रभाव कम हो जाएगा, और इसके लिए वह अक्षय गर्ग को जिम्मेदार मानता था। इन्हीं कारणों से उसने अक्षय गर्ग को रास्ते से हटाने की साजिश रची।
👉अब तक गिरफ्तार आरोपी

पुलिस ने इस मामले में अब तक जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें मिर्जा मुश्ताक अहमद, पिता महमूद अहमद (27), निवासी ग्राम मल्दा, विश्वजीत ओग्रे, पिता स्व. नागेंद्र ओग्रे (21), निवासी सिघिया, कोरबी, गुलशन दास, पिता त्रिभुवन दास (26), निवासी मल्दा और एक नाबालिग आरोपी शामिल हैं। जबकि इस हत्याकांड में शामिल दो अन्य आरोपी अभी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।
