लंदन, 6 जून: कोरोना वायरस की तबाही की शुरुआत के डेढ़ साल से ज्यादा गुजर चुके हैं। इन बातों पर बहुत चर्चा हो चुकी है कि इसके सामान्य लक्षण क्या हैं, उपचार कैसे किए जाते हैं। किन मरीजों को ज्यादा खतरा है और किन्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। लेकिन, आजतक एक बात सही तरीके से सामने नहीं आ पाई कि कुछ मरीज एसिम्पटोमेटिक क्यों होते हैं। उनमें कोई लक्षण क्यों नहीं होता ? जबकि, ऐसे लोग कोरोना फैलाने के लिए बहुत बड़ी वजह बन जाते हैं। अब यूनाइटेड किंग्डम की एक यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च हुआ है, जिसमें जीन को इसकी बहुत बड़ी वजह बताई गई है और इसका संबंध सीधे विटामिट डी की कमी की ओर इशारा कर रहा है।
कुछ कोविड पॉजिटिव एसिम्पटोमेटिक क्यों होते हैं ?
पिछले डेढ़ साल में हमने देखा है कि बुखार, सूखी खांसी, थकान और गंध-स्वाद का चला जाना कोरोना संक्रमण का सामान्य लक्षण रहा है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर में लूज मोशन, जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द जैसे लक्षण भी सामने आए हैं। लेकिन, कई लोग ऐसे होते हैं, जिनकी टेस्ट रिपोर्ट तो पॉजिटिव आती है और आरटी-पीसीआर टेस्ट में उनका सीटी-स्कोर भी काफी कम होता है, लेकिन फिर भी उन्हें कुछ नहीं होता है। उनमें किसी तरह का लक्षण नहीं होता और वो पूरी तरह से स्वस्थ होते हैं। कोविड के ऐसे मरीज संक्रमण फैलाने के लिए बहुत ही खतरनाक माने जाते हैं। क्योंकि, लोग अनजाने में इनके संपर्क में आ सकते हैं और ये खुद भी अनजाने में किसी को जोखिम में डाल दे सकते हैं। सवाल है कि चीन से पैदा हुआ यह वायरस अलग-अलग लोगों के साथ अलग-अलग तरीके से बर्ताव क्यों करता है? यूके की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी ने इसी सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश की है।
जीन की वजह से एसिम्टोमिटिक होते हैं लोग
एचएलए जर्नल में प्रकाशित शोध ‘दि इंफ्लूएंस ऑफ एचएलए जीनोटाइप ऑन दी सीवेरिटी ऑफ कोविड-19 इंफेक्शन’ के मुताबिक इसके लिए ‘एचएलए-डीआरबी1*04:01’ जीन जिम्मेदार है। रिसर्च के मुताबिक यही जीन एसिम्पटोमेटिक लोगों को कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षा देता है। इस स्टडी के को-ऑथर डॉक्टर कारलोस एकवैरिया ने कहा है, ‘यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है, जिससे कि यह पता चल सकता है कि कुछ लोग कोविड होने के बावजूद बीमार क्यों नहीं होते। इसके जरिए हम जेनेटिक टेस्ट की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं, जिससे कि हमें संकेत मिल सकता है कि भविष्य में वैक्सीनेशन के लिए किसे प्राथमिकता देने की जरूरत है।’
विटामिन डी की कमी से गंभीर कोविड का खतरा हो सकता है
शोध में कहा गया है कि इंसान में पाया गया ल्युकोसाइट एंटीजन जीन ‘एचएलए-डीआरबी1*04:01’ अक्षांश और देशांतर से सीधे तौर पर जुड़ा है। इसके मुताबिक इस जीन के लिए जियोलोकेशन भी बहुत अहम रोल निभाता है और उत्तरी और पश्चिमी यूरोप के लोगों में इसकी मौजूदगी की संभावना ज्यादा है। इस स्टडी के अथॉर डेविड लैंगटन ने कहा है, ‘यह पर्यावरण, आनुवंशिकी और रोग के बीच जटिल संबंधों पर जोर डालता है। हम जानते हैं कि कुछ एलएचए जीन विटामिन डी के लिए उत्तरदायी होते हैं और इसका मतलब विटामिन डी कम रहने से गंभीर कोविड का जोखिम है और इस बारे में और आगे काम कर रहे हैं। ‘