कोरबा । पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए स्थापित छ. ग. पर्यावरण संरक्षण मण्डल की ही सरपरस्ती में कोरबा जिले में जगह-जगह प्रदूषण फैलाया जा रहा है। औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त अनेक हिस्सों में अब तक प्रदूषण फैलाया जा चुका है। अब इसके निशाने पर दो वर्ष पूर्व पर्यटन स्थल के रूप में विकसित सतरेंगा आ चुका है, जहां जहरीला फ्लाई ऐश निस्तारण की अनुमति जारी करने की तैयारी कर ली गई है।
पिछले ढाई वर्ष से जिले में यह गोरखधंधा चल रहा है। जिले के ताप विद्युत संयंत्रों से निकलने वाली जहरीली राख को जिला मुख्यालय के आस-पास के क्षेत्रों में डम्प किया जा रहा है। इसकी वजह से जहां अनेक प्राकृतिक और स्वाभाविक रूप से विकसित जल स्त्रोत खत्म हो रहे हैं, वहीं जल स्त्रोत दूषित भी हो रहे हैं। जिले के तरदा और भलपहरी गांव का गिट्टी उत्खनन के बाद स्वाभाविक रूप से विकसित विशाल जल संग्रहण क्षेत्र और लो-लाईन एरिया, जिससे ऊपरी हिस्से का अतिरिक्त जल बहकर हसदेव नदी में जाता था, उसमें जहरीली राख भर दी गयी है। इसी प्रकार नोनबिर्रा गांव के रामपुर जलाशय के अतिरिक्त जल उत्सर्जन के लिए निर्मित नहर में पिछले दिनों फ्लाई ऐश डाल दिया गया। रामपुर क्षेत्र के विधायक और प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर के विरोध के बाद यहां राख डालना बंद किया गया। इसके अलावे कोरबा शहरी क्षेत्र में अनेक स्थानों पर फ्लाई ऐश डाला जा रहा है। नगर के रिसदी वार्ड में भी बड़ी मात्रा में राख डाला जा चुका है। दर्री और कोहड़िया वार्ड के नाले और गड्ढों में भी राख भर दिया गया है। ये ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से पानी बहकर हसदेव नदी में जाता हैं और उसके जल को विषाक्त बनाते हैं।
