नई कॉलोनियों के पास 20 फीसदी महंगी हो सकती है जमीन!

रीयल एस्टेट में मंदी छाई रहने के बाद अगले वित्तीय वर्ष में जमीनों की कीमत पहले से महंगी हो सकती है। खासकर ऐसे इलाके जहां नई कॉलोनी का विस्तार हुआ है और ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्री हुई है, उन इलाकों में नई गाइडलाइन लागू हो सकती है। यहां जमीनों की कीमतों में 15 से 20 फीसदी बढ़ोतरी होने का अनुमान है। केंद्रीय मूल्यांकन समिति की तरफ से सभी जिलों को सर्कुलर जारी कर दिया गया है। जिला स्तर पर मूल्यांकन-समीक्षा रिपोर्ट फरवरी तक जमा करने को कहा गया है। अगले दो महीने में नई गाइड लाइन लागू कर दी जाएगी। लॉकडाउन में जमीनों की कीमतें लुढ़कने के बाद केंद्रीय मूल्यांकन समिति ऐसी जगहों पर फोकस कर रही है, जहां नई कॉलोनियां बसी हैं।

रायपुर. रीयल एस्टेट में मंदी छाई रहने के बाद अगले वित्तीय वर्ष में जमीनों की कीमत पहले से महंगी हो सकती है। खासकर ऐसे इलाके जहां नई कॉलोनी का विस्तार हुआ है और ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्री हुई है, उन इलाकों में नई गाइडलाइन लागू हो सकती है। यहां जमीनों की कीमतों में 15 से 20 फीसदी बढ़ोतरी होने का अनुमान है। केंद्रीय मूल्यांकन समिति की तरफ से सभी जिलों को सर्कुलर जारी कर दिया गया है। जिला स्तर पर मूल्यांकन-समीक्षा रिपोर्ट फरवरी तक जमा करने को कहा गया है। अगले दो महीने में नई गाइड लाइन लागू कर दी जाएगी। लॉकडाउन में जमीनों की कीमतें लुढ़कने के बाद केंद्रीय मूल्यांकन समिति ऐसी जगहों पर फोकस कर रही है, जहां नई कॉलोनियां बसी हैं।

मकान निर्माण से लेकर जमीन खरीदी-बिक्री का विस्तार सबसे ज्यादा हुआ है, ऐसी जगहों पर कीमतें नई गाइडलाइन में बढ़ जाएंगी। केंद्रीय मूल्यांकन समिति से जुड़े अफसरों का कहना है, जिन क्षेत्रों में सरकारी कीमत कम है और वहां ज्यादा-ज्यादा जमीन का कारोबार हो रहा है, इससे कहीं न कहीं राजस्व को नुकसान हो रहा है। ऐसे में इन इलाकों में जिला कमेटी के मूल्यांकन को देखते हुए कीमतें बढ़ाया जाना लगभग तय है। कमल विहार से महंगी बिकी जमीनें सरकारी योजनाओं से लगे हिस्सों में पहले की गाइडलाइन में प्राइवेट जमीनें कमल विहार से महंगे दामों पर बिक चुकी हैं। छह साल पहले जारी गाइडलाइन के हिसाब से डूमरतराई के आसपास खेती की जमीन की कीमत 1672 रुपये प्रति वर्गफीट के हिसाब से तय की गई थी, जबकि लगे हुए कमल विहार की डेवलप जमीन की कीमत 1385 रुपये तय की गई। इस गाइडलाइन में खेत की जमीनें डेवलप जमीन से महंगी बिकीं। आने वाले वित्तीय वर्ष 2021 में दोबारा स्थिति वैसी ही बन सकती है।

जमीन रजिस्ट्री कराने पर नुकसान नई कॉलोनियों के पास अगर कीमत 20 फीसदी तक बढ़ाई गई, तो लोगों को रजिस्ट्री के लिए महंगा खर्च उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर जिस क्षेत्र में पहले हजार रुपये प्रति वर्गफीट के हिसाब से जमीन की कीमतें तय थीं, वहां कीमत के इजाफे में 1200 रुपये सरकारी कीमत तय होगी, जिसमें रजिस्ट्री के लिए स्टांप खरीदी भी महंगी होगी। केंद्रीय मूल्यांकन समिति की नई गाइडलाइन का असर शहर से लगे गांवों की जमीनों पर भी पड़ सकता है। नई कॉलोनियों के आसपास फोकस अप्रैल में नई गाइडलाइन जारी की जाएगी। जिला कमेटी की मूल्यांकन रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए नई कीमतें तय होंगी। ऐसी नई कॉलोनियां जहां जमीनों की खरीदी-बिक्री ज्यादा है, उन इलाकों में निश्चित कीमतें बढ़ेंगी। – धर्मेश साहू, महानिरीक्षक पंजीयन