वेदांता पहुँचा अर्श पर ,बालको कर्मचारी पहुँच गए फर्श पर

कोरबा। भारत अल्युमिनियम कंपनी के 51% शेयर धारक अपना कारोबार, उत्पादन और मुनाफे को कई गुना बढ़ा कर विश्व बाजार में लगातार जहां एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है वहीं पर उनके कारोबार को बुलंदियों की ओर पहुंचाने वाले एवं संयंत्र से सीधे तौर पर जुड़े कर्मचारियों/अधिकारियों के लिए प्रबंधन की उदासीनता समझ से परे है । बालको में काम करने वाले कर्मचारियों की एक फोटो वायरल हुई है जिसमे कर्मचारी फर्श पर बैठकर अपनी पेट की भूख शांत कर रहे है।

कर्मचारियों के 10 वें वेतन समझौता के बाद भारी आर्थिक क्षति झेल रहे कर्मचारियों की बुनियादी सुविधाएं वर्तमान स्थिति में एकदम बदतर हालात में पहुंच चुकी है। इस बात का अंदाजा इन बोलते चित्रों से सहज ही लगाया जा सकता है।
संयंत्र के अंदर पॉटरूम मे स्थित लांज रूम/आराम कक्ष में श्रमिकों का कुर्सियों में बैठ के अपना पसीना पोंछ सकने का अधिकार भी छीन लिया जाता है। उनके कुर्सियों/फर्नीचर्स को बाहर हटवा दिया जाता है और श्रमिकों को बगल के (बैठक व्यवस्था विहीन) कैंटीन से उपलब्ध नाश्ते को फर्श में बैठ कर खाने के लिए आज मजबूर है।
क्या बालको में श्रम कानून जिंदा है?..
अगर बालको में श्रम कानून जिंदा है और लागू होता है तो बालको में श्रमिक संगठन भी होंगे और जिंदा भी होंगे। अगर बालको में श्रमिक संगठन हैं और जीवित हैं और फंक्शन में है तो उन्हें श्रमिकों के इन छोटी-छोटी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना चाहिए, आवाज उठानी चाहिए।