हसदेव एक्सप्रेस न्यूज डोंगरगढ़ । जय माता दी के जयकारों से पर्वतवासिनी मां बम्लेश्वरी का दरबार गूंज उठा। अवसर था बासन्ती (चैत्र ) नवरात्रि के पावन पर्व का । 52 सौ मीटर लंबे 1200 मीटर ऊंचे सुरम्य वनों से आच्छादित पथरीले पर्वत पर पैदल चढ़कर श्रद्धालुओं ने मां के दरबार में मत्था टेक मनोवांक्षित फल की कामना की ।
दो साल बाद कोविड -19 की पाबंदियां हटते ही बासन्ती नवरात्रि पूरे प्रदेश में आस्था एवं उल्लास के साथ मनाया जा रहा है । डोंगरगढ़ स्थित पहाड़ों पर विराजित प्रमुख देवी माता बम्लेश्वरी के दरबार में अपेक्षानुरूप पहले ही दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मां दुर्गा की प्रथम अवतार मां शैलपुत्री को समर्पित पर्व के पहले ही दिन भक्तों का ऐसा रेला उमड़ा कि 1100 सीढ़ियों की ऊंचाई का सफर माता के जयकारे लगाते हुए भक्तों ने तय कर दिया। समयाभाव अथवा जिन्हें पहाड़ चढ़कर मां के दर्शन में कठिनाई हो रही थी ऐसे भक्तों ने रोप -वे के जरिए माता के दरबार में मत्था टेक मनोवांक्षित फल की कामना की । क्या बच्चे बूढ़े जवान सभी आयु वर्ग के लोगों ने आस्था एवं उल्लास के साथ माता के दरबार पहुंचकर शीश नवाया। मनोवांक्षित फल की कामना की। हजारों सीढियों की पहाड़ पर चढ़ना आसान नहीं होता,पर मन में मां के प्रति सच्ची श्रद्धा एवं नेक इरादों के साथ भक्त माता के जयकारे लगाते हर्षोल्लास के साथ सफर तय कर गए। मंदिर प्रांगण में प्रतिवर्ष की तरह शानदार मेला लगा था। जो भक्तों के उत्साह को और दोगुना कर रहा था। समूचे जिले ,सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से पर्वतवासिनी मां बम्लेश्वरी के दर पर पहुंचकर लोगों ने अपनी मन्नतें पूरी होने की कामना की । मां को रिझाने के लिए भक्त क्या नहीं कर गुजरते। जिसका नजारा पर्वतवासिनी के दर पर दिखा। सैकड़ों आस्थावान भक्त अपनी मन्नतें लेकर सिर के बल लोटकर दुर्गम पर्वत की चढ़ाई माता मंदिर पहुंचकर शीश नवाते नजर आए।तो कोई कामना लिए घी के दीपक सीढ़ियों पर जलाते हुए दरबार में पहुंचे। मंदिर परिसर में दर्शन निमित्त डेढ़ किलोमीटर लंबी श्रद्धालुओं की कतार लगी रही।बम्लेश्वरी मंदिर के पहाड़ से लेकर नीचे तक भक्तों का रेला लगा रहा।