हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो)। सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की जगह ग्रामवासियों के बीच अटपटा सा सुलह कराकर मीडिया में वाहवाही बटोरने वाले कोरबा एसडीएम की ढीलढाल कार्यशैली का खामियाजा पीड़ित परिवार को भुगतना पड़ रहा । प्रशासन को समझाइश पर आश्वासन देने के बाद एन वक्त पर ग्रामवासी मुकर गए हैं,ग्रामवासियों ने पीड़ित परिवार के यहां हो रही बिटिया की शादी के पहले ही दिन मंडप से दूरियां बना ली। समझौते में निजी तालाब में डाली गई मछली बीज के आधा हिस्सा मिलने के बावजूद डेढ़ लाख रुपए सामाजिक अर्थदंड वसूलने पर अड़े दबंगों ने ग्राम के हर एक शख्श पर शादी में शरीक होने पर पाबंदी लगा दी है।पीड़ित युवती ने पुलिस प्रशासन के निष्क्रियता से व्यथित होकर मुख्यमंत्री,सदस्य राज्य महिला आयोग के नाम भावुक सन्देश पत्र जारी कर मदद की गुहार लगाई है। साथ ही कहा है कि अप्रिय घटना घटित होने के जिम्मेदार रोगदावासी होंगे।
श्रीमती अर्चना उपाध्याय सदस्य राज्य महिला आयोग को लिखे पत्र अनुसार आवेदिका सरिता पटेल पिता हेमलाल पटेल निवासी ग्राम पंचायत रोगदा, विकासखण्ड करतला, जिला कोरबा (छत्तीसगढ़) निवासी ने अपने निर्विघ्न शादी कराने व प्रशासन के समझाइश आश्वासन के बाद भी सामाजिक बहिष्कार कर शादी में शामिल होने वाले ग्रामवासियों पर प्रतिबंध लगाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की गुहार लगाई है।
पत्र में लेख है कि 11 मई 2022 को शादी है , 8 मई को मंडप था। लेकिन इसे बड़े ही दुर्भाग्यजनक ,निराशाजनक कहें कि सरिता की शादी में ग्राम का कोई भी सदस्य शामिल नहीं हुआ । ग्रामवासियों ने आवेदिका के परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर पिछले 3 माह से हुक्का पानी बंद कर रखा है। आवेदिका के पिताजी पट्टे में मिली भूमि खसरा नम्बर 269 रकबा 0.105 हेक्टेयर पर बनाए गए तालाब में मछली पालन कर परिवार का जीविकोपार्जन करते आ रहे थे। लेकिन यह कार्य ग्रामवासियों को नागवार गुजर रहा था। ग्राम वासियों ने सरपंच पर दबाव बनाते हुए उनके निजी तालाब को शासन की मनरेगा योजना अंतर्गत दिए जाने का दबाव बनाया। आजीविका के लिए एक मात्र साधन होने की वजह से आवेदिका के पिताजी हेमलाल ने इसे शासन को देने से इंकार कर दिया था। इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने आवेदिका के परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर पिछले 3 माह से हुक्का पानी बन्द कर दिया था। बकायदा ग्रामवासियों को चेतावनी दी गई थी कि आवेदिका के परिवार को राशन एवं अन्य सामान देने पर कड़ाई से अर्थदंड वसूला जाएगा। जिसकी वजह से आवेदिका के परिवार का हुक्का पानी बन्द हो गया था। सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे आवेदिका के पिताजी को 11 मई को होने वाली पुत्री के विवाह की चिंता सताई जा रही थी । दबंगों ने ग्रामीणों को शादी में शरीक नहीं होने की चेतावनी दे रखी थी । लिहाजा न्याय की आस लेकर आवेदिका के पिताजी ने 19 मार्च 2022 को थाना प्रभारी उरगा को लिखित शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई थी । लेकिन यहां भी उन्हें न्याय नहीं मिला ।परेशान आवेदिका के पिता ने 12 अप्रैल को कलेक्टर जनचौपाल में न्याय की गुहार लगाई थी । आवेदिका ने अपने पिताजी के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर को बताया था कि पूरा परिवार सामाजिक बहिष्कार एवं हुक्का पानी बन्द होने से दाने दाने का मोहताज है । रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए दूसरे गांव जाना पड़ रहा है। ग्रामवासियों ने बातचीत भी बन्द कर दी है।
प्रकरण को गम्भीरतापूर्वक लेते हुए कलेक्टर श्रीमती रानु साहू ने जनचौपाल में ही जांच के आदेश दिए थे । उन्होंने एसडीएम कोरबा हरिशंकर पैकरा को तत्काल पुलिस ,राजस्व व जनपद पंचायत के अधिकारियों की संयुक्त टीम बनाकर गांव में जाकर मामले की पूरी जांच कर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। लेकिन 10 दिन गुजरने के बाद भी भी टीम उन्हें इंसाफ दिलाना तो दूर झांकने तक नहीं पहुंची थी । इस तरह एसडीएम कोरबा ने सीधे सीधे कलेक्टर के आदेश को ही नजरअंदाज कर दिया था । पीड़ित पक्ष ने वीडियो संदेश जारी कर मीडिया के जरिए पुनः अपनी व्यथा सुनाई थी ।आवेदिका के पिताजी हेमलाल पटेल व दादी ने भावुक वीडियो संदेश के माध्यम से कलेक्टर के निर्देश के 10 दिन बाद भी टीम के नहीं पहुंचने पर निराशा जताई थी । साथ ही कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाए थे । शीघ्र पहल नहीं करने पर परिवार ने आत्मदाह की चेतावनी दी थी ।जारी वीडियो सन्देश के साथ खबर प्रकाशन उपरांत हड़कंप मच गया था।
मामले में कलेक्टर के निर्देश के बाद एसडीएम हरिशंकर पैकरा,तहसीलदार आराधना प्रधान टीआई के साथ दोपहर 2 बजे रोगदा पहुंचे थे । यहां ग्राम पंचायत भवन में आवश्यक बैठक बुलाई गई। जिसमें अधिकारियों की मौजूदगी में आवेदिका का पूरा परिवार सहित ग्रामवासी उपस्थित हुए।
अधिकारियों ने विवाद का केंद्र बिंदु बने पट्टे की भूमि पर निर्मित तालाब में आगे भविष्य में मछलीपालन न कर पूरे गांव को निस्तारी के लिए पूर्ववत निर्विवाद उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए थे जिस पर आवेदिका के पिताजी हेमलाल पटेल ने पुत्री की सन्निकट शादी को देखते हुए सहमति जताई थी । वर्तमान में डाले गए मछली का आवेदिका के परिजन व ग्रामवासियों के बीच 50 -50 फीसदी बंटवारा कर तालाब पट्टाधारी हेमलाल पटेल के स्वामित्व में होने की बात पर समझौता हो गया था ।
सामाजिक बहिष्कार का मौखिक निर्णय ग्रामवासियों ने वापस ले लिया था । पूरे ग्रामवासियों ने 8 मई को आयोजित होने वाले शादी में शरीक होने की बात कही थी। लेकिन 8 मई को मंडप के दिन गांव का एक बच्चा भी आवेदिका के शादी के कार्यक्रम में शामिल होने नहीं पहुंचा। जिन लोगों ने अधिकारियों को आश्वासन दिया था वही मुकर गए वही ग्रामवासी आवेदिका की शादी में शामिल नहीं होने दबाव बना रहे। जाने पर अर्थदंड वसूले जाने की धमकी दे रहे। बकायदा आवेदिका के पिताजी से डेढ़ लाख रुपये (एक लाख 50 हजार ) सामाजिक अर्थदंड वसूलने का दबाव बना रहे ।
आवेदिका के पिता इतनी बड़ी राशि पुत्री के विवाह के बीच देने में सक्षम नहीं है लिहाजा वे सहमत नहीं हुए। आवेदिका सहित पूरा परिवार इन सबसे आहत है। सबका पुलिस प्रशासन से भरोसा उठ गया है। आवेदिका ने मुख्यमंत्री एवं सदस्य राज्य महिला आयोग को लिखे पत्र के माध्यम से अपनी शादी निर्विघ्न सम्पन्न कराने की गुहार लगाई है अन्यथा उसके परिजन घातक कदम उठाने को विवश होंगे।
दबंगों का नाम सार्वजनिक कर की कार्रवाई की मांग की
सरिता पटेल ने पत्र के माध्यम से सामाजिक अर्थदंड के रूप में डेढ़ लाख रुपए वसूलने का दबाव बनाने शादी में शामिल होने ग्रामवासियों पर प्रतिबंध लगाने वाले दबंगों का नाम आख़िरकाए हिम्मत कर उजागर कर दिया है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि आवेदिका व उसके परिवार की इस स्थिति के जिम्मेदारों में फिरतराम पटेल,रामकुमार पटेल,टीकाराम पटेल,नारायण पटेल, संजय बरेठ,टिंगलू पटेल,संतराम पटेल,तुलाराम पटेल,गुरुवार सिंह पटेल,गणेशराम बरेठ ,इंदल बरेठ,लकेश्वर पटेल शामिल हैं। बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उक्त लिखित शिकायत के बाद इन दबंगों के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर पुलिस का क्या रुख अपनाती है।