कोरबा। प्रेस क्लब के तिलक भवन में रविवार को अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने पत्रकार वार्ता ली। साल 2012 से हसदेव अरण्य जंगलों में कोयला खनन के खिलाफ एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ चुके अधिवक्ता श्रीवास्तव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि हसदेव अरण्य को उजाडऩे से हाथियों का रहवास व बांगो बांध के कैचमेंट एरिया का क्षेत्र प्रभावित होगा।
वही खरीफ एवं रवि फसल के लिए जांजगीर,बिलासपुर,रायगढ़ के किसानों को सिंचाई से वंचित होना पड़ सकता है। ऐसे में हसदेव के जंगल को उजाडऩे से रोकना जरूरी है। इस घने जंगलों के नीचे दबे कोयले के भंडार को खनन किए बिना भी देश की वर्तमान व भविष्य की कोयला जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। क्योंकि भारत सरकार के आंकड़े के अनुसार घने जंगल के बाहर देश में 2.10 लाख मिलियन टन उत्पादन योग्य कोयला है। जबकि राजस्थान बिजली उत्पादन निगम अपनी कोयले की जरूरतों को मध्यप्रदेश के सोहागपुर कोलफील्ड में स्थित कोल ब्लॉकों से कर सकती है। यहां से कोल परिवहन की लागत भी 300 से 400 रुपए प्रति टन की बचत होगी। वही तिलक भवन में प्रेस वार्ता के दौरान अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष संत कुमार नेताम भी उपस्थित रहे।