जशपुर में छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड की रेडी टू ईट की गुणवत्ता को लेकर उठे सवाल ! खाकर राष्ट्पति के दत्तक पुत्र 11 पहाड़ी कोरवा बच्चे उल्टी दस्त के हुए शिकार ,मचा बवाल,अस्पताल दाखिल मचा हड़कम्प

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज जशपुर । गुणवत्ता के नाम पर रेडी टू ईट का निर्माण एवं वितरण व्यवस्था स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों से छीनकर राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की इकाई छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड को देने की व्यवस्था रंग नहीं ला रही। स्वचलित मशीनों से पौष्टिक रेडी टू ईट हितग्रहियों तक पहुंचाने का दावा शुरुआती दौर में ही दम तोड़ रही। उत्पादनकर्ता फर्म छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा तैयार रेडी टू ईट के सेवन से आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले के बगीचा परियोजना के ढोढ़र अम्बा ग्राम पंचायत में रेडी टू ईट का सेवन कर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा परिवार के 11 बच्चे उल्टी दस्त की चपेट में आ गए। जिससे प्रशासनिक महकमे में हड़कम्प मच गया । सभी बच्चों को बगीचा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां फिलहाल फिलहाल बच्चे खतरे से बाहर हैं।

यहां बताना होगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 माह से 6 वर्ष के
नौनिहालों ,किशोरियों,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। पूर्व में स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से रेडी टू ईट कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा था । गेहूं ,सोया ,चना ,मूंगफली मिश्रित पौष्टिक पोषण आहार रेडी टू ईट य माह से 3 वर्ष तक के बच्चों ,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए प्रत्येक मंगलवार को दिए जाने का प्रावधान है ताकि उन पर कुपोषण की काली छाया न पड़े ,कुपोषित हितग्राही इसके दायरे से बाहर निकल सकें। लेकिन 24 दिसंबर 2021 को छत्तीसगढ़ शासन ने द्वारा कैबिनेट में लिए गए निर्णय अनुसार 1 फरवरी से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के माध्यम से स्वचलित मशीनों के माध्यम से रेडी टू ईट का उत्पादन करने का निर्णय लिया था। इसके पीछे शासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन का हवाला दिया है जिसमें मानव स्पर्श रहित गुणवत्ता युक्त आवश्यक पोषक तत्वों से भरे रेडी टू ईट बच्चों की सेहत के लिए उपयुक्त बताया गया है। सरकार के इस फैसले से पिछले करीब डेढ़ दशक से रेडी टू ईट का निर्माण कर रहीं स्व सहायता समूह के हाथों से रोजगार छीन गया । 20 हजार से अधिक महिलाएं सीधे तौर पर इससे प्रभावित हुईं ।
1 अप्रैल से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के स्वचलित मशीनों के माध्यम से तैयार रेडी टू ईट बच्चों तक पहुंचाई जा रहा है। आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की इकाई छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। आपूर्तिकर्ता फर्म जहां आंगनबाडी केंद्रो तक रेडी टू ईट की आपूर्ति में शुरुआती दौर में ही फैल रही है। परियोजना कार्यालय तक रेडी टू ईट पहुंचाकर अपने दायित्वों से इतिश्री कर रही है । वहीं अब जशपुर जिले में इसकी गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़े हो गए। मंगलवार को बगीचा परियोजना के ढोढ़र अम्बा ग्राम पंचायत में रेडी टू ईट का सेवन कर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा परिवार के 11 बच्चे उल्टी दस्त की चपेट में आ गए। जिससे प्रशासनिक महकमे में हड़कम्प मच गया ।
जानकारी मिलते ही बगीचा एसडीएम और जनपद सीईओ रात को ही प्रभावित गांव पहुंच गए थे। चिंताजनक स्थिति को देखते हुए सभी पीड़ित बच्चों को तत्काल उपचार के लिए बगीचा अस्पताल लाया गया था। यहां उपचार के बाद आज सुबह पीड़ित बच्चों के स्वास्थ्य मे सुधार देखा जा रहा है।जहां परियोजना अधिकारी बैजंती पैकरा के मुताबिक फिलहाल फिलहाल बच्चे खतरे से बाहर हैं।

विभागीय अधिकारी फर्म को दे रहे क्लीनचिट ,बोलीं सीडीपीओ रेडी टू ईट के सेवन से तबियत खराब हुआ कह नहीं सकते

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों के साथ इतनी बड़ी घटना घटित होने के बावजूद महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी आपूर्तिकर्ता फर्म छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड का बचाव करते नजर आ रहे। सीडीपीओ बैजंती पैकरा ने हसदेव एक्सप्रेस से कहा कि सभी बच्चों की स्थिति खतरे से बाहर है। वे स्वयं अस्पताल में मौजूद हैं। लेकिन सीडीपीओ ने घटना में रेडी टू ईट के सेवन को लेकर फर्म का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों का उपचार चल रहा उसमें रेडी टू ईट का सेवन नहीं करने वाले छोटे बच्चे भी शामिल हैं लिहाजा यह नहीं कह सकते कि रेडी टू ईट के सेवन से बच्चों की तबियत खराब हुई। बहरहाल मामला जो भी लोगों में रेडी टू ईट की गुणवत्ता को लेकर जबरदस्त आक्रोश है।

कहीं कमीशन का तो नहीं चल रहा खेल !

जिस तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को रेडी टू ईट परियोजना केंद्रों से ले जाने दबाव बनाया जा रहा है उन्हें परिवहन व्यय भी नहीं दिया जा रहा उससे व्यापक पैमाने पर भष्ट्राचार को बल मिल रहा। प्रतिमाह करीब 17 परियोजनाओं के 4500 आंगनबाडी केंद्रों में रेडी टू ईट की आपूर्ति के लिए तकरीबन 20 लाख रुपए परिवहन व्यय में ही खर्च हो जाएगा।फर्म यह राशि शुद्ध तौर पर बचा रही। वहीं पर्याप्त मात्रा में रेडी टू ईट भी नहीं पहुंचने की जानकारी सामने आ रही । ऐसे में कमीशन के खेल में अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही। बताया जा रहा है फर्म कोरबा की तरह जशपुर जिले में भी गोदाम की तलाश में जुटी है।