कोरबा । बरसात का मौसम शुरू होते ही वैधानिक और प्रशासनिक तौर पर भले ही रेत घाटों का संचालन प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन कोरबा जिले के कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत सीतामढ़ी (मोती सागर पारा) रेतघाट और सीएसईबी पुलिस सहायता केंद्र के अंतर्गत गेरवाघाट के रेत घाट से चोरी बदस्तूर जारी है। रेत की चोरी कराने वालों ने सिंडिकेट बना लिया है और इसके लिए रेट भी फिक्स कर दिया है। रेत की चोरी कर इसको बेचने के एवज में रकम निर्धारित कर दी गई है जो संबंधितों को मैनेज करने के काम में लगाया जाना बताया गया है।
विश्वसनीय सूत्रों ने बताया है कि गेरवाघाट के रेत घाट में रात के वक्त गाड़ियां लगाई जाती हैं। यहां से कई ट्रेक्टर रेत पार कराए जा रहे हैं। हालांकि चकमा देने के लिए और रेत की चोरी नहीं हो रही है, यह साबित करने के लिए बड़े शातिराना अंदाज में दिन छोड़-छोड़ कर चोरी का काम कराया जा रहा है। इसी तरह मोतीसागर पारा स्थित घाट में लगे बैरियर को बीच-बीच में खोलकर छोटे मालवाहक आटो को भीतर ले जाकर रेत निकलवाई जा रही है। 8-10 ट्रैक्टर रेत इकट्ठा हो जाने पर इसे भंडारण का हिस्सा बता कर बेचा जा रहा है। यहां भी चोरी का खेल रात के वक्त हो रहा है। चोरी कर निकलवाई जा रही रेत को सड़क किनारे इधर-उधर रखवाया गया है। विभाग को चाहिए कि इस तरह से सड़क किनारे पड़े मिलने वाले रेत के संबंध में तस्दीक करके उनका कोई मालिक नहीं मिलने पर जब्ती की कार्रवाई कराई जाए।प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे से खेल हो रहा है लेकिन एक भी गाड़ियां पकड़ी नहीं जा रही हैं। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी इस मामले से उदासीन बने हुए हैं जबकि प्रतिबंध अवधि में घाट से एक ढेला रेत भी निकलना नहीं चाहिए। भंडारण की गई रेत को बेचा जा सकता है परंतु चोरी की गई रेत को भंडारण में मिलाकर और सीधे तौर पर भी खपाने का काम बेधड़क चल रहा है। इसके अलावा जिले के ग्रामीण और उपनगरीय इलाकों के नदी घाटों से भी रेत का अवैधानिक तरीके से निकालना बदस्तूर जारी है। बाहरी इलाकों में प्रशासन और पुलिस की अपेक्षित पहुंच नहीं हो पाने का भरपूर फायदा रेत चोरों के द्वारा उठाया जा रहा है।