कोरबा का यह कैसा निगम प्रशासन, शहर की सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी ,चंद माह में उखड़ गए करोड़ों के डामरीकरण ,आवागमन बना कष्टप्रद ,कब नपेंगे जिम्मेदार

हसदेव एक्सप्रेस कोरबा । 10 का मुर्गा खाओगे तो ऐसा ही सड़क पाओगे । कुछ ऐसा ही विपक्षी दलों के व्यंग्यात्मक शेरो शायरी दर्री तहसील के जर्जर सड़क की मरम्मत के लिए गत वर्ष लोगों ने सुना था। लगा कि क्षेत्रीय वोटों को इस लोक लुभावनी नारों से साधने की कोशिश है। लेकिन क्या पता था 800 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व वाले नगर निगम कोरबा के शहर में भी यही जुमला जल्द फीट बैठेगा ।जी हां विभागीय एवं डीएमएफ मद के करोड़ों रुपए खर्च कर 4 माह पूर्व शहर की सड़कों का किया गया कायाकल्प में इस कदर गुणवत्ता को नजरअंदाज कर कमीशनखोरी का खेल खेला गया कि भ्रष्टाचार की परतें लगी निगम की सड़क एक बरसात भी न झेल सकी। कलेक्टोरेट कार्यालय निगम कार्यालय से लेकर कोसाबाड़ी ,निहारिका ,बुधवारी ,सीएसईबी ,टी पी नगर ,पावर हाउस रोड ,सीतामणी तक पूरी तरह उखड़ चुकी डामर निगम के अधिकारियों की कार्यशैली एवं ठेकेदारों के कारनामे स्वतः बयां कर रहे हैं।

नगर पालिक निगम कोरबा एक बार विपक्ष सहित आम जनता के निशाने पर है।जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफटी )से 11 करोड़ की लागत से मरम्मत कराए गए शहर के प्रमुख मार्ग के सड़क एक बरसात भी नहीं झेल सके। भ्रष्टाचार की परतें लगी डामरीकरण पूरी तरह उखड़ गया। करोड़ों की शासकीय राशि का बंदरबाट एवं आम जनता को आवागमन में हो रही तकलीफों से निगम को कोई सरोकार नजर नहीं आता। कलेक्टोरेट कार्यालय निगम कार्यालय से लेकर कोसाबाड़ी ,निहारिका ,बुधवारी ,सीएसईबी ,टी पी नगर ,पावर हाउस रोड ,सीतामणी तक पूरी तरह उखड़ चुकी डामर निगम के अधिकारियों की कार्यशैली एवं ठेकेदारों के कारनामे स्वतः बयां कर रहे हैं। सड़कों पर डामर उखडने से गिट्टी ,मुरुम तक निकल आई है। जिसकी वजह से चारपहिया वाहनों के चलने से धूल तो खराब सड़कों से वाहनों के टायर घिस फट रहे। कलेक्टर से लेकर निगम के आला अधिकारी ,मंत्री महापौर का वाहन शहर की इन्हीं सड़कों से होकर गुजरता है । लेकिन को सुध लेने की फुर्सत नहीं। जिम्मेदार अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की खामोशी से जनता निराश है ।

तो इंजीनियर ,एसडीओ ,सहित ठेकेदार पर दर्ज होना चाहिए एफआईआर

जिस तरह शहर की प्रमुख सड़कों की मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति कर भ्रष्टाचार किया गया है ,निश्चित तौर पर निगम प्रशासन को चाहिए कि वो मरम्मत का कार्य करने वाले संबंधित ठेकेदार ,मूल्यांकन कर बिल बनाने वाले सब इंजीनियर ,एवं सत्यापन करने वाले एसडीओ के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराएं। आने वाले समय चुनावी वर्ष है ऐसे में जनता के सामने साफ सुथरी छवि लेकर जाना अधिक हितकारी होगा।

भाजपा ने किया था अनूठा विरोध ,मरम्मत कराने भीख मांगकर महापौर के नाम जुटाए थे 2600 रुपए,फिर बैठ गए शांत

16 अगस्त को इस मामले में भाजपा ने शहर में अनोखे अंदाज में विरोध प्रदर्शन किया । नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भाजपा पार्षद कार्यकर्ताओं ने जर्जर सड़क की मरम्मत कराने दुकानदारों से भीख मांगकर महापौर के लिए 2600 रुपये जुटाए थे। यह अनूठा विरोध प्रदर्शन शहर में चर्चा का केंद्र बना था। लेकिन इसके बाद भाजपा के तरफ से भी न कोई बयानबाजी न कोई बड़ा प्रदर्शन देखने को मिला। एकमात्र विरोध प्रदर्शन में भी नेता प्रतिपक्ष के अलावा भाजपा के कोई बड़े चेहरे जैसे पूर्व महापौर ,भाजपा जिला अध्यक्ष,पूर्व सभापति ,पार्षद नजर नहीं आए ।