धान की बंपर पैदावार ,फिर भी किसान नहीं बेच पाएंगे पूरा धान !

भुईयाँपोर्टल से लिंक हुआ किसान पंजीयन ,पुराना बोनी रकबा ही पोर्टल में प्रविष्ट

भुवनेश्वर महतो हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा – इस साल रिकार्ड वर्षा की वजह से धान की बंपर पैदावार हुई है । लेकिन प्रदेश के किसान शायद ही इस साल अपना पूरा धान बेच पाएंगे । धान खरीदी का पूरा कार्य इस साल किसान पंजीयन साईट ऑनलाइन गिरदावली को भुईयाँ पोर्टल से लिंक कर उसमें दर्ज सत्यापित रकबा के आधार ऑनलाइन मॉड्यूल में किए जाने की वजह से यह हालत निर्मित होंगे ।

इस साल पूरे प्रदेश में रिकार्ड बारिश हुई है ,लिहाजा इस साल न केवल समय से पहले धान पककर तैयार हैं ,वरन बंपर धान की पैदावार हुई है । दीपावली के बाद किसान फसलों की कटाई ,मिंजाई में द्रुत गति से जुट जाएंगे । राज्य शासन ने इस साल भी किसानों से 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का निर्णय लिया है । लिहाजा किसान उत्साहित हैं । लेकिन इस साल किसान पंजीयन से लेकर धान खरीदी के लिए ऑनलाईन व्यवस्था में जो बदलाव किए गए हैं ,उससे किसान इस साल चाहकर भी पूरा धान नहीं बेच सकेंगे । इस साल किसान पंजीयन साईट को भुइयाँ पोर्टल से लिंक किया गया है । लिहाजा पटवारी द्वारा गिरदावली में किस्मवार फसलों का निर्धारण के बाद खसरे में लिए गए धान की सत्यापित बोनी रकबा की भुईयाँ पोर्टल में एंट्री की जा रही है । यूँ कहें धान खरीदी पंजीयन सोसायटी मॉड्यूल को भुईयाँ पोर्टल से लिंक किया जा रहा है ।लेकिन यही कार्य सिरदर्द बन गया है । गत वर्ष तक किसान पंजीयन साईट भुईयाँ पोर्टल से लिंक नहीं था । पटवारियों द्वारा गिरदावरी के दौरान सत्यापित खसरवार बोनी रकबा की सूची सहकारी समितियों को दे दी जाती थी । लेकिन इस बार भुईयाँ पोर्टल से धान खरीदी का किसान पंजीयन साईट लिंक होने की वजह तरह तरह की दिक्कतें आ रही है ।

पोर्टल में गत वर्ष का ही रकबा दर्ज

भुईयाँ पोर्टल से किसान पंजीयन साईट के लिंक होने के बाद ऑनलाइन गिरदावरी जांच करने के बाद रकबा दर्ज किया गया है। उसमें किसान का नाम ,पता रकबा ,खसरा पूरा अपडेट करना पड़ रहा है । लेकिन भुइयाँ पोर्टल में गत वर्ष का ही बोनी रकबा इंद्राज बता रहा है । यही नहीं कहीं किसान का नाम गलत बता रहा है तो कहीं कुछ और दिक्कतें आ रही है । उदाहरण के लिए गत वर्ष श्याम ने 3 हेक्टेयर में धान की फसल ली थी ,जबकि इस साल बेहतर बारिश की वजह से उसने साढ़े 3 हेक्टेयर में धान की फसल ली है । बावजूद इसके भुइयाँ पोर्टल में 3 हेक्टेयर ही बोनी रकबा दिखा रहा है । इस तरह किसान चाहकर भी कुल उपार्जित धान नहीं बेच सकेगा।

पावर ऑफ एटर्नी ,फ़ौत में भी दिक्कत

कुछ इसी प्रकार की दिक्कत पॉवर ऑफ एटर्नी में आ रही है । गिरदावली के आधार पर पटवारी जैसे ही पॉवर ऑफ एटर्नी अपडेट कर रहे हैं ,मूल स्वामी का ही खसरा के साथ नाम प्रविष्ट है । इस तरह पॉवर ऑफ एटर्नी देकर मूल स्वामी ने किसी अन्य को धान विक्रय के लिए अधिकृत किया है तो भी वो धान नहीं बेच सकेंगे । साथ ही ऐसे किसान जिसकी मृत्यु दो वर्ष पहले हो गई है,पुत्र के नाम पर गतवर्ष फ़ौत भी कटा ,लेकिन इस बिना तहसील मॉड्यूल में ऑनलाइन सुधार कराए वो भी धान नहीं बेच सकेंगे । यही दिक्क्त संयुक्त खाते में भी है । गिरदावली से अपडेट करने के बाद एक खसरा नम्बर में केवल एक खातेदार का नाम इंद्राज दिखा रहा है ,जिससे दूसरा व्यक्ति धान बेचने की पात्रता से वंचित रह जाएगा ।

सीमित समय ऑनलाइन कार्य बना चुनोती

किसान पंजीयन का कार्य 31 अक्टूबर तक किया जाना है। अब तक गतवर्ष पंजीकृत 27 हजार किसानों में से 17 हजार किसानों का पोर्टल से रकबा सत्यापित कर पंजीयन किया जा चुका है । 10 हजार किसानों का 10 दिन में रकबा एंट्री करने की चुनोती बनी हुई है । यह कार्य निर्धारित समय सीमा में होता नहीं दिख रहा है । गत वर्ष धान खरीदी का कार्य से लेकर संसोधन का कार्य निर्धारित सॉफ्टवेयर के माध्यम से होता था ,इस साल धान खरीदी पंजीयन ऑनलाइन मॉड्यूल से यह कार्य होगा । लिहाजा समिति के ऑपरेटर चाहकर भी संसोधन नहीं कर सकेंगे । पारदर्शिता के लिए भले ही यह व्यवस्था बेहतर बताई जा रही है पर इसके शुरुआती साईड इफेक्ट्स पटवारियों से लेकर सहकारी बैंक व समिति के कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा है

खाता मिलान भी बन रही दिक्क्त

जांजगीर -रायगढ़ जैसे पड़ोसी जिलों में गत वर्ष प्रति एकड़ 15 क्विंटल तक धान लिया गया था । जबकि जिले में महज 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ धान लिया गया था। दूसरी ओर कई किसान ऐसे हैं जो अपना खाता बिना जरूरत के नहीं देखते । ऐसी स्थिति में ऑनलाइन मॉड्यूल से धान खरीदी होने पर खाता सही एंट्री होने पर बिना ऑनलाइन मिलान के धान नहीं लिया जाएगा ।
वर्जन

लिंक किया गया है

इस साल भुईयाँ पोर्टल को किसान पंजीयन साईट से लिंक किया गया है । नए व्यवस्था के साथ पारदर्शिता के साथ धान खरीदी होगी । पंजीयन का कार्य जारी है ।
जे के सिंह ,सहायक खाद्य अधिकारी