कोरबा में डीजल चोरों को सीआईएसएफ का संरक्षण ! रोजाना लाखों के डीजल हो रहे पार, एसईसीएल की खामोशी से उठे सवाल ,इसलिए पुलिस नहीं कर पा रही कार्रवाई…

कोरबा । कोयलांचल में लाख प्रयासों के बावजूद डीजल चोरी पर लगाम नहीं लग सका। पुलिस की सख्ती एसईसीएल की खामोशी एवं सीआईएसएफ की सुरक्षा में ढिलाई की वजह से बेअसर साबित हो रही । नतीजन विश्वस्त सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन लाखों के डीजल खदानों में ही चोरी कर खदानों के भीतर ही शातिराना अंदाज में खपाए जा रहे।

कोयलांचल में डीजल चोरी का कारोबार कोई नया नहीं है, लेकिन पुलिस सख्ती के बीच पैतरें जरूर नए हो गए हैं । जी हां, ख़दान के बाहर आकर डीजल लेकर भागते सैकड़ों चोरो को पुलिस ने सलाखों के पीछे पहुंचाया है लेकिन अब डीजल चोर भी शातिराना अंदाज में डीजल को खदान में ही खपा दे रहे हैं। याने ये चोर ग्रामीण के लिबास में ख़दान के भीतर जाते है और ग्रामीण के ही लिबास में बाहर आ जाते हैं। ये चोर डिब्बों को भी खदान के भीतर ही छुपा देते है हालांकि खदान के भीतर डीजल बेचने पर इन लोगो को नुकसान उठाना पड़ता है, इनको प्रति 35 लीटर के डब्बों के पीछे 2 सौ से 3 सौ कम मुनाफा मिलता है लेकिन जेल जाने का भय नहीं रहता है।

लेकिन ये कैसे संभव है कि एसईसीएल के खदानोें में सैकड़ों की संख्या में तैनात सीआईएसएफ की मौजूदगी के बीच चोर हर रोज खदान में घुस दुस्साहस कर डीजल की चोरी कर उसे खपा देें। ऐसे में खदान के पूरे एरिया में अनाधिकृत प्रवेश वर्जित है लेकिन हर रोज 50 से 70 चोर दीपका और गेवरा खदान में घुस लखपति बन वापस लौटते है। दावा तो ये भी है कि सीआईएसएफ के अधिकारियों को चोरी को नजरअंदाज करने के एवज में रोज हजारों का चढ़ावा पहले ही भेंट किया जाता है हालांकि इस स्टोरी को झूठ भी मान लिया जाये तो उस हक़ीकत को कैसे झुठलाया जायेगा जिसमें एसईसीएल के अधिकारी हर रोज मुख्यालय में डीजल कम होने की रिपोर्ट भेजते हैं यहां भी लेकिन है क्योेंकि इस कमी को चोरी कभी भी ऑफिशियल दस्तावेजों में नहीं कहा जाता है न ही एसईसीएल के अधिकारी इस बाबत स्थानीय थानों में रिपोर्ट दर्ज कराते हैं। यही पुलिस के लिए सरदर्द की बड़ी वजह है कि पकड़ में आने के बाद भी चोर के विरूद्ध 41/1-4 याने चोरी के संदेह के तौर पर कईयों बार कार्रवाई करनी पड़ती है जिसका नतीजा ये होता है कि चोरों को जल्दी जमानत मिल जाती है और एक-दो दिनों के आराम के बाद लखपति बनने का सफर फिर तय होता रहता है। देखना यह होगा कि सीआईएसएफ व एसईसीएल के अघोषित आर्शिवाद के साथ जारी तेल के मेल का खेल कब खत्म होगा।