कोरबा-कटघोरा – जिले के कटघोरा वन मंडल में हाथियों पर निगरानी कर पाने में अमला पूरी तरह सफल नहीं हो रहा है वहीं डीएफओ का भी रवैय्या समझ से परे है। इनके इलाके में हाथियों की जान गई और करीब डेढ़-दो माह से विचरण कर रहे किंतु अब आक्रामक हो चुके हाथियों से ग्रामीणों की जान जाने के बाद भी कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही। 3 दिन के भीतर हाथी ने कटघोरा वन मंडल में दो ग्रामीण की जान ले ली। इससे अलग वन अधिकारी और बाबू मिलकर जंगल के भीतर अधूरे निर्माण कार्यों में भ्र्ष्टाचार कर लीपापोती में लगे हैं। भोजन-पानी और रहवास की माकूल व्यवस्था न होने के कारण हाथी और हाथियों का झुण्ड एक स्थान पर टिकने की बजाय घूम-घूम कर उत्पात मचा रहा है। इस उत्पात में जहां मकान, फसल, अनाज को क्षति हो रही है वहीं जनहानि भी होने लगी है। मैदानी कर्मचारियों के भरोसे अधिकारी चल रहे हैं किंतु कोई ठोस कार्ययोजना, प्रभावी कदम उठाने जैसी बात नहीं हो रही है जिसके कारण करीब दो माह से हाथी लगभग 45 के समूह में आतंक मचाये हुए हैं।
3 दिन पहले हालिया पहली मौत पसान रेंज के ग्राम बर्रा में वृद्ध घासीराम 65 वर्ष की हुई जब वह मवेशियों को चराकर घर लौट रहा था। इस घटना के बाद भी हाथियों के लोकेशन को सही ट्रेस नहीं कर पाने के साथ पूरी निगरानी भी नहीं रख पाए कि कल रात एक और मौत हो गई।
सूचनाओं के मुताबिक दो दतैल सहित 5 हाथियों के झुंड ने बुधवार 9 दिसंबर की रात तनेरा जल्के परिक्षेत्र के नजदीक ग्राम पंचायत अडसरा के अंतर्गत घाघरा में धावा बोल दिया और 50 वर्षीय पंडो जनजाति की महिला बुधनी बाई की जान ले ली। बुधनी बाई भोजन कर अपने घर के पास खलिहान में पति के साथ सो रही थी कि रात लगभग 3 बजे हिंसक हाथियों का दल वहां पहुंचा और बुधनी बाई की सूंड से पटक कर जान ले ली। किसी तरह उसके पति मानसाय ने मौके से भाग कर अपनी जान बचाई। हैं!