हसदेव एक्सप्रेस न्यूज धरमजयगढ़ -पत्थलगांव। आजादी के 6 दशक बाद भी
एनएच (नेशनल हाइवे )130 ए में शामिल धरमजयगढ़ -पत्थलगांव मार्ग में फोरलेन सड़क तैयार नहीं हो सकी। चुनावी वर्ष में भी केंद्र एवं राज्य शासन की अनदेखी की वजह से 40 किलोमीटर का मार्ग जानलेवा गढ्ढों में तब्दील हो चुका है । बुधवार प्रातः 8 बजे गढ्ढों एवं कीचड़ से सराबोर मार्ग में दो मालवाहक पलट गई। जिसकी वजह से 3 घण्टे तक जाम लगा रहा। इस मार्ग से अम्बिकापुर ,जशपुर एवं झारखंड की ओर जाने वालों को भारी तकलीफों का सामना करना पड़ा।




यहां बताना होगा कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 ए धरमजयगढ़ -पत्थलगांव में फोरलेन प्रस्तावित है ,लेकिन यह मार्ग कब अस्तित्व में आएगा फिलहाल यह भविष्य की गर्त में छुपा है ,लेकिन इससे भी बड़ी विडंबना है कि जो टू लेन सड़क राज्य शासन की लोक निर्माण विभाग ने तैयार की थी वो पिछले 5 साल में पूरी तरह उखड़ चुकी है। करीब एक साल पूर्व इस मार्ग के कायाकल्प की कवायद शुरू की गई थी। लेकिन इसे विडंबना कहें या शासन के संबंधित विभाग की उपेक्षा आज पर्यंत इस सड़क की दुर्दशा नहीं सुधर सकी।चुनावी वर्ष में भी वोटों की राजनीति करने वाले दोनों ही प्रमुख दल के जनप्रतिनिधियों ने समस्याओं से आंखे फेर ली । बरसात में उक्त मार्ग जानलेवा गहरे गढ्ढों में तब्दील हो चुका है। कीचड़ से सराबोर इस मार्ग पर बुधवार प्रातः 8 बजे गढ्ढों एवं कीचड़ से सराबोर मार्ग में दो मालवाहक पलट गई। जिसकी वजह से 3 घण्टे तक जाम लगा रहा। इस मार्ग से अम्बिकापुर ,जशपुर एवं झारखंड की ओर जाने वालों को भारी तकलीफों का सामना करना पड़ा।
चुनावी वर्ष में जनाक्रोश कहीं भारी न पड़ जाए
धरमजयगढ़ एवं पत्थलगांव आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं धरमजयगढ़ जहां रायगढ़ जिले का अंतिम ब्लाक अनुविभाग है तो वहीं पत्थलगांव जशपुर जिले का अनुविभाग है । दोनों आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं ,विकास की धुरी सड़क के समस्या के अनदेखी कहीं चुनावी वर्ष में दोनों ही दल को भारी न पड़ जाए।
जिला बनने पर ही क्षेत्र का विकास ,दोनों दलों ने किया निराश
पत्थलगांव -धरमजयगढ़ -लैलूंगा को जशपुर एवं रायगढ़ जिले से पृथक कर नवीन जिला बनाए जाने की मांग पिछले एक दशक से हो रही है। लेकिन भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही दलों ने जनता को निराश किया है। लिहाजा अन्य दल भी इस क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं को चुनावी मुद्दा बनाकर जन समर्थन हासिल करने की कवायदों में जुट गई हैं। जानकारों की मानें तो पृथक जिला के रूप में अस्तित्व में आने पर ही इस क्षेत्र का अपेक्षित विकास निहित है। हालांकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि चुनावी वर्ष में क्षेत्र की जनता इस मुद्दे को लेकर मुखर नहीं रही।