कोरबा। एसईसीएल गेवरा खदान में हो रहे हैवी ब्लास्टिंग से भिलाई बाजारवासी दहशत में रहते हैं। रोजाना दोपहर में खदान में होने वाली हैवी ब्लास्टिंग के कारण भीषण गर्मी में भिलाई बाजार के लोग घरों से बाहर निकलने को मजबूर हो रहे हैं। ब्लास्टिंग की क्षमता इतनी अधिक होती है कि धरती कांप उठता है ऐसे में खदान के करीब निवासरत ग्रामीणों को डर बना रहता है कि कंपन से उनका मकान या छत का प्लास्टर टूटकर न गिर जाए।लोगों के घरों में दरारें पड़ चुकी है। हैवी ब्लास्टिंग से बोर, कुआं, तालाब सूख चुके हैं। तिल्हाभांठा (स्कूल मोहल्ला) मोहल्ले के लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
एसईसीएल प्रबंधन द्वारा सुबह मात्र एक टैंकर आता है इससे मोहल्लेवासियों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। हैवी ब्लास्टिंग को कम करने कई बार ग्रामीणों और एसईसीएल प्रबंधन के बीच बैठक हो चुकी है। बैठक के दौरान एसईसीएल प्रबंधन हैवी ब्लास्टिंग को बंद करने का आश्वासन तो देते हैं लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा जाता। एसईसीएल की मनमानी से क्षुब्ध होकर गांव वाले खदान में उतरकर काम को भी बंद करा चुके हैं। खदान से बाहर निकलने के कुछ देर बाद ही फिर से हैवी ब्लास्टिंग शुरू कर दिया जाता है। एसईसीएल के अड़ियल रवैए से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। हैवी ब्लास्टिंग के कारण घरों व स्कूल भवनों में बड़े-बड़े दरारें आ गई हैं। प्रतिदिन दोपहर को होने वाले हैवी ब्लास्टिंग से अनहोनी का भय ग्रामीणों में बना रहता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के ठीक बगल में हाई स्कूल संचालित है। भिलाई बाजार के ग्रामीण गेवरा खदान में उतरकर ड्रील मशीन व खुदाई को रुकवा दिये थे, लेकिन प्रबंधन पर इसका कोई असर नहीं हुआ। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती मरीजों व यहां कार्यरत चिकित्सक व स्टाफ भयभीत रहते हैं। ग्राम पंचायत भिलाई बाजार के मोहल्ला उमेंदीभांठा वासियों को पानी की भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हैवी ब्लास्टिंग से यहां के बोर, कुआं पूरी तरह से सूख गए हैं। उमेंदीभांठा में पानी टैंकर कभी दोपहर तो कभी शाम को पहुंचता है। कभी-कभी तो पानी टैंकर पहुंचता भी नहीं है। पानी की समस्या को लेकर भिलाई बाजार के ग्रामीण भिलाई बाजार चौक के तालाब में पानी भराव कराने का आग्रह प्रबंधन से किया हैं लेकिन आज तक चौक के पास स्थित तालाब में पानी भराव नहीं किया गया। एसईसीएल गेवरा खदान से भिलाई बाजार चौक का तालाब महज़ लगभग 100 – 200 मीटर दूर है फिर भी इस तालाब में खदान का पानी नहीं पहुंच पा रहा है। गर्मी में तालाब सूखने से निस्तारी की समस्या से ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है। वहीं गेवरा खदान से 4 से 5 किलोमीटर दूर पाईप बिछाकर पानी भेजा जा रहा है।