बिलासपुर/कोरबा। न्यायालय, सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग रायपुर के आदेश का हवाला देते हुए कटघोरा प्रशासन के द्वारा सील की गई जनपद से लीज प्राप्त वाली दुकानों को 24 घंटे के भीतर आज शाम 4:45 बजे तक पुनः सील मुक्त करने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए हैं।
आज सुबह ही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पुलिस सुरक्षा के साए में की गई इस कार्रवाई के खिलाफ प्रभावित व्यापारियों ने तत्काल हाईकोर्ट पहुंचकर न्यायाधीश के समक्ष अपने अधिवक्ता के माध्यम से बात रखी।
न्यायाधीश एनके चंद्रवंशी ने इस मामले में 13 दिसंबर 2024 को अंतरिम राहत/स्थगन आदेश प्रदान करते हुए कहा था कि मामले में अग्रिम कार्रवाई सुनवाई की आगामी तिथि तक स्थगित रखी जाए। इसके बावजूद जबकि न्यायालय, सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा 13 दिसंबर को हाईकोर्ट की कार्रवाई के दौरान कोई आदेश जारी नहीं किया गया था, तब न्यायाधीश श्री चंद्रवंशी ने आदेश जारी किया लेकिन उस आदेश का परिपालन ना करते हुए आज दुकानों को सील कर दिया गया। इस घटनाक्रम को लेकर काफी गहमा-गहमी कटघोरा में रही, वहीं राहत पाने के लिए व्यापारियों ने एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उन्हें त्वरित राहत प्रदान की गई। चर्चा है कि इस पूरे मामले में जमकर राजनीति हो रही है।
न्यायालयीन कार्रवाई पर एक नजर👇
आज हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकील ने न्यायाधीश को अवगत कराया कि इनके पक्ष में लीज डीड निष्पादित होने के बाद, उन्होंने और कई अन्य लोगों ने इस पर विभिन्न दुकानों का निर्माण किया और मेडिकल शॉप, चाय की दुकान आदि चला रहे हैं और अपनी आजीविका कमा रहे हैं। उनकी दुकानों को प्रतिवादी द्वारा सील कर दिया गया है,इसलिए याचिकाकर्ताओं को उनकी दुकानों की सील खोलकर अंतरिम संरक्षण प्रदान किया जाए, ताकि याचिकाकर्ताओं और उनके परिवार के सदस्यों को अपनी आजीविका के लिए समस्या का सामना न करना पड़े। इसके विपरीत, प्रतिवादी/राज्य के विद्वान वकील ने पक्ष प्रस्तुत किया कि, प्रश्नगत पट्टा विलेख जनपद पंचायत, कटघोरा द्वारा 10 वर्षों के लिए निष्पादित किया गया था, जो कि छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा 65 के प्रावधानों के विरुद्ध है क्योंकि जनपद पंचायत केवल 7 वर्षों के लिए पट्टा प्रदान कर सकती है। इसके अलावा, प्रतिवादी क्रमांक 4 (कलेक्टर) को छत्तीसगढ़ पंचायत (अपील और पुनरीक्षण) नियम, 1995 के नियम 5 के प्रावधानों के अनुसार अपील दायर करने का अधिकार है। इसलिए, याचिकाकर्ताओं को अंतरिम संरक्षण प्रदान नहीं किया जा सकता है। दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुनने और अभिलेख पर उपलब्ध सामग्री का अवलोकन करने के बाद, न्यायाधीश एन के चन्द्रवंशी ने विशेष रूप से इस तथ्य पर विचार करते हुए कि याचिकाकर्ता विवादित भूमि पर अपनी आजीविका कमाने के लिए विभिन्न दुकानें चला रहे हैं और यह भी विचार करते हुए कि भूमि को जनपद पंचायत, कटघोरा द्वारा पंजीकृत पट्टा विलेख के माध्यम से आवंटित किया गया था, इसकी वैधता पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जा सकता है, लेकिन इस स्तर पर, मैं अंतरिम संरक्षण प्रदान करने के लिए इच्छुक महसूस करता हूं, इसलिए, द्वारा पारित दिनांक 13-12-2024 का विवादित आदेश (अनुलग्नक पी-1) प्रतिवादी संख्या 1(छत्तीसगढ़ राज्य के माध्यम से-सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय, रायपुर) अगली सुनवाई की तारीख तक स्थगित रहेगा और यह भी निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ताओं की दुकानों को इस समय से 24 घंटे के भीतर यानी आज शाम 4.45 बजे तक खोल दिया जाए। विद्वान उप महाधिवक्ता को निर्देश दिया जाता है कि वे प्रतिवादी अधिकारियों को इस आदेश के बारे में सूचित करें और इसका अनुपालन भी सुनिश्चित करें। मामले को 5-2-2025 को सूचीबद्ध करें।