माइनिंग की मौन स्वीकृति! खतरे में नदी, सरकार का राजस्व ,प्रतिबंधित सीतामणी रेत घाट से हो रही रेत उत्खनन

कोरबा। जिले के सीतामणी क्षेत्र में प्रतिबंध के बावजूद रेत माफियाओं का कब्जा बढ़ता जा रहा है। अवैध खनन से रोजाना लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है, जबकि अंधाधुंध खनन के कारण नदी का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। प्रशासन की तमाम कोशिशों और सख्त आदेशों के बावजूद जेसीबी और ट्रैक्टर एवं टिप्पर की गड़गड़ाहट दिन-रात जारी है।

प्रतिबंधित सीतामणी रेत घाट से विश्वा पटेल, ननकी पटेल, सद्दाम, शहजाद, घनश्याम, गंगापुर, शोएब, रवि पटेल और राजा गुप्ता एवं अन्य लोग द्वारा रेत धड़ल्ले से खनन कर रहे हैं। दिन और रात भारी मशीनों से रेत निकाली जा रही है, जिससे नदी की गहराई लगातार बढ़ रही है। इसके चलते जलस्तर नीचे गिर रहा है और आसपास के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा। बेतरतीब खनन के चलते नदी के किनारे कमजोर हो गए हैं, जिससे बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

हर दिन सैकड़ों ट्रैक्टर एवं टिप्पर अवैध रेत से लदे निकलते हैं

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, प्रतिबंधित क्षेत्र से प्रतिदिन सैकड़ों टीपर और ट्रैक्टर रेत लेकर बाहर निकलते हैं। प्रशासन द्वारा कभी-कभार की जाने वाली छापेमारी महज दिखावा साबित हो रही है, क्योंकि माफियाओं को पहले ही इसकी भनक लग जाती है और वे कार्रवाई से बच निकलते हैं।

पर्यावरण पर खतरा, सरकार के लिए गंभीर चेतावनी

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह अवैध खनन नहीं रुका, तो आने वाले कुछ वर्षों में सीतामणी क्षेत्र की नदियां और जल स्रोत पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे। पानी के संकट के साथ-साथ मिट्टी का कटाव और बंजर भूमि बढ़ती जाएगी।अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इन माफियाओं पर कब तक कार्रवाई करता है, या फिर यूं ही नदी और सरकारी राजस्व की लूट जारी रहेगी।