अफ्रीका। अफ्रीकी देश इथियोपिया के टिग्रे क्षेत्र में हुए गृहयुद्ध ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। हाल ही में सामने आई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में टिग्रे संघर्ष के दौरान हुई अमानवीय यौन हिंसा की भयावह सच्चाई उजागर हुई है।रिपोर्ट के अनुसार, इस युद्ध के दौरान करीब 1.2 लाख महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म और यौन हिंसा की घटनाएं हुईं।

रिपोर्ट में दर्ज गवाहियों ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। एक मामले में एक मां और उसकी दो साल की बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उन्हें मजबूर किया गया कि वे अपने पति को टुकड़ों में काटे जाते हुए देखें। यह घटना बताती है कि किस हद तक बर्बरता की गई।
एक अन्य दर्दनाक घटना में, एक गर्भवती महिला को ऐसी क्रूर यातनाएं दी गईं कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई। उसके शरीर पर तेजधार हथियारों के गहरे जख्म पाए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संघर्ष में यौन हिंसा को एक “युद्ध हथियार” की तरह इस्तेमाल किया गया, जिसमें महिलाओं को दुश्मन जातीय समूहों को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ने के लिए निशाना बनाया गया।
हजारों महिलाएं मानसिक बीमारियों से पीड़ित👇
युद्ध से बचे पीड़ितों में बड़ी संख्या ऐसी महिलाओं की है जो आज भी मानसिक बीमारी, अवसाद और PTSD (पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) से जूझ रही हैं। कुछ ने आत्महत्या कर ली, तो कुछ अब भी न्याय की राह देख रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कई महिलाओं को इतनी गंभीर चोटें आई हैं कि वे कभी मां नहीं बन पाएंगी।
अपराधी आज भी आज़ाद, पीड़ित कर रही हैं न्याय की गुहार 👇
संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने टिग्रे युद्ध में हुई यौन हिंसा को “मानवता के खिलाफ अपराध” करार दिया है। लेकिन दुख की बात यह है कि अब तक बहुत कम मामलों में ही दोषियों को सज़ा मिली है। युद्ध में शामिल इरिट्रिया के सैनिकों, इथियोपियाई सेना और क्षेत्रीय मिलिशिया पर ये गंभीर आरोप लगे हैं।
दुनिया की चुप्पी पर सवाल👇
पीड़ितों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी ने उनके जख्मों को और गहरा कर दिया है। “हमें इंसान नहीं, दुश्मन की औलाद समझा गया,” एक पीड़िता ने रिपोर्ट में कहा। मानवाधिकार संगठन मांग कर रहे हैं कि संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ और वैश्विक शक्तियां इस विषय पर कड़ी कार्रवाई करें और पीड़ितों को न्याय, सहायता और पुनर्वास सुनिश्चित करें।