1 एसडीओ ,2 सब इंजीनियर के पद खाली ,400 करोड़ से अधिक के कार्यों की गुणवत्ता,गति ,पारदर्शिता पर उठे सवाल
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो)। हर घर नल ,हर घर जल के नारों के साथ शुरू किए गए पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन के अंतर्गत मार्च 2024 तक हर घरों में शुद्ध
जलआपूर्ति का इंतजार जहाँ पूरे प्रदेश में मार्च 2028 तक बढ़ गया है। वहीं आकांक्षी जिला कोरबा में योजना एक बार फिर अमले की कमी की वजह से खतरे में पड़ गई है। कोरबा सब डिवीजन में एसडीओ (सहायक अभियंता) ,करतला ब्लॉक एवं पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक में सब इंजीनियर की कुर्सी अधिकारियों की राह तक रहे।फर्मों के लटके भुगतान से समय पर कार्य पूर्ण करने के दबाव के बीच विभाग को जहां कोरबा सब डिवीजन में सब इंजीनियर से एसडीओ का प्रभार देना पड़ा ,वहीं मैकेनिकल के एक सब इंजीनियर को सिविल सब इंजीनियर का प्रभार देकर महती जिम्मेदारी दे दी गई है। उच्च कार्यालय द्वारा अमलों की पदस्थापना की उपेक्षा से जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत 1094 कार्यों में से 644 (करीब 58 फीसदी) प्रगतिरत कार्यों की रफ्तार मंद पड़ गई है। तो वहीं वर्कलोड से कोरबा एसडीओ का प्रभार देख रहे सब इंजीनियर का स्वास्थ्य बिगड़ गया,मेडिकल अवकाश पर चले गए हैं। ऐसे में विभाग की परेशानी चुनौती बढ़ जाएगी।
यहां बताना होगा कि हर घर नल ,हर घर जल के नारों के साथ पीएम मोदी की मंशानुरूप ग्रामीणों को उनके घरों तक घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से जलापूर्ति करने जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई है।ताकि माताओं बहनों को पेयजल के लिए मजबूरन हैण्डपम्प ,तालाब ,कुंआ ,नहर व अन्य जल स्रोतों तक जाने मशक्कत न करनी पड़े। सुरक्षित व गौरवपूर्ण जीवन जी सकें।पीएम मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट योजना में तमाम दिक्कतों की वजह से इसकी मियाद बढ़ती रही। अब छत्तीसगढ़ को जल जीवन मिशन की योजना मार्च 2028 तक पूर्ण करने का लक्ष्य दिया गया है। लेकिन शुरुआती दौर से ही बेहतर कार्ययोजनाओं,तकनीकी खामियों ,की भेंट चढ़ चुकी जल जीवन मिशन की योजना छत्तीसगढ़ में अमलों की कमी की वजह से भी सिसक रही है। कोरबा में क्रियान्वयन एजेंसी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई ) अमले की कमी से जूझ रहा। पीएचई में उप अभियंता (सब इंजीनियर ) के 12 पद स्वीकृत हैं। लेकिन उप अभियंताओं को अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) के पद पर पदोन्नत कर अन्यत्र जिलों में पदस्थ करने एवं रिक्त पदों की पूर्ति नहीं करने की वजह से विभाग के पास महज 3 सब इंजीनियर ही रह गए हैं। सत्यनारायण कंवर , अभिषेक विश्वकर्मा ,एवं दुर्गेश्वरी मिश्रा । इनमें सत्यनारायण कंवर करतला सब इंजीनियर , दुर्गेश्वरी मिश्रा पाली सब इंजीनियर के तौर पर पदस्थ हैं। वहीं कटघोरा में सब इंजीनियर के पद पर अभिषेक विश्वकर्मा पदस्थ हैं।कोरबा एवं पोंडी ब्लॉक के सब इंजीनियर का पद रिक्त है। पोंडी का अतिरिक्त प्रभार अभिषेक विश्वकर्मा को दी गई है। वहीं कोरबा ब्लॉक के सब इंजीनियर के रिक्त पद पर मैकेनिकल सब इंजीनियर वीरेन्द्र सिंह ठाकुर की सेवाएं ली जा रही है। मैकेनिकल सब इंजीनियर का ज्ञान सिविल सब इंजीनियर के कार्यों में कितना काम आएगा और कब तक यह तो विभाग ही जानें। वहीं 30 जून को कोरबा सब डिवीजन से सेवानिवृत्त हुए सहायक अभियंता (एसडीओ) बी.पी.चतुर्वेदानी का पद भी आज पर्यंत नहीं भरे जा सके। इस तरह 2 सब इंजीनियर एवं 1 एसडीओ का पद कोरबा जिले में रिक्त है।
1094 योजनाओं में 450 पूर्ण 400 में जलापूर्ति शुरू ,सब इंजीनियर को एसडीओ का प्रभार वर्कलोड से हुए बीमार 👇

पीएचई विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार
कोरबा जिले में कुल 1094 योजनाएं स्वीकृत हैं इनमें से 450 पूर्ण हैं।जिनमें से 400 में जलापूर्ति के दावे किए जा रहे। 644 अभी भी प्रगतिरत हैं। इन प्रगतिरत कार्यों में 70 फीसदी से अधिक कार्य पूर्ण हो चुके हैं। लेकिन शेष कार्य की प्रगति अमले के कमी की वजह से मंद पड़ी है। कोरबा एसडीओ के सेवानिवृत्ति के 1 माह बाद भी विभाग एसडीओ की पोस्टिंग नहीं कर सका। जल जीवन मिशन का प्रगतिरत कार्य तय समयावधि में पूर्ण करना है लिहाजा कार्यरत अमले से ही कार्य लिया जाना है । इस वजह से करतला के सब इंजीनियर सत्यनारायण कंवर को कोरबा सब डिवीजन के एसडीओ का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।जो वर्कलोड की वजह से गम्भीर रूप से बीमार पड़ गए। पिछले एक सप्ताह से वे मेडिकल अवकाश में हैं। आज ही कटघोरा के एसडीओ राम बंजारे को कोरबा सब डिवीजन का वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। अवकाश से आते ही श्री कंवर एसडीओ का प्रभार संभालेंगे। यही नहीं
वहीं कोरबा ब्लॉक के सब इंजीनियर के रिक्त पद पर मैकेनिकल सब इंजीनियर वीरेन्द्र सिंह ठाकुर की सेवाएं ली जा रही है।जो हैरान करने वाला कदम है।
कटघोरा सब इंजीनियर को 1 साल से पोंडी का अतिरिक्त प्रभार,दो ब्लॉकों के योजनाओं का कैसे होगा पारदर्शी मूल्याकंन
कटघोरा के सब इंजीनियर अभिषेक विश्वकर्मा को पोंडी सब इंजीनियर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।वो पिछले एक साल से भी अधिक समय से पोंडी सब इंजीनियर के प्रभार में हैं। जहाँ एकल ग्राम नल जल योजनाओं के अलावा 385 करोड़ 90 लाख की लागत से कटघोरा सब डिवीजन के 246 गांवों के 3 लाख की आबादी की प्यास बुझाने एतमानगर मल्टी विलेज स्कीम की स्वीकृति दी गई है। जिसमें लगभग 60 फीसदी कार्य पूरा किया जा चुका है। इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए एक पृथक से सब इंजीनियर की नियुक्ति की दरकार है। पर यहाँ तो आकांक्षी ब्लॉक पोंडी उपरोड़ा तक में एक सब इंजीनियर तक की पदस्थापना नहीं की जा सकी है। वहीं विश्वस्त सूत्रों की मानें तो प्रभाव का इस्तेमाल कर पदस्थापना नहीं करने दी जा रही । अब सवाल यह है कि एक सब इंजीनियर दो ब्लॉक की 150 से अधिक योजनाओं के प्रगतिरत कार्यों का सतत रूप से मूल्यांकन कैसे कर सकता है। मल्टीविलेज स्कीम जोड़ दें तो करीब 400 योजनाओं का मूल्यांकन कैसे संभव है। साथ ही यह कार्य कितनी गति से त्रुटिपूर्ण तरीके से की जा सकती है।
इन वजहों से योजना पिछड़ी👇
बताया जा रहा है पूर्व तय लक्ष्य मार्च 2024 तक गुजरात समेत 4 -5 राज्यों में ही जल जीवन मिशन का कार्य पूरा हो सका। इसके लिए वहाँ पहले से योजना की प्रारंभिक तैयारी पूरी कर ली गई थी। पाइप लाइन बिछ गई थी। टंकियाँ तैयार कर ली गई थी। बस टेपनल कनेक्शन देना बाकी था,जिसे तय मियाद में पूरा कर लिया।इसके बनिस्पत छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में योजना में कोई प्रारंभिक तैयारी नहीं की गई थी। पाइप लाइन बिछाने ,टंकियां तैयार करने नलकूप खनन की चुनौती थी। योजना शुरू होने के 2 साल बाद विभाग ने पृथक से एक नलकूप का प्रावधान योजना में जोड़ा ताकि भविष्य में सम्बंधित गांव की पुरानी बोरवेल खराब होने पर नए नलकूप से सतत जलापूर्ति हो सके। इस कार्य मे अनेक चुनौतियाँ आ रही। नतीजन योजना 3 से 4 साल आगे बढ़ गई है। यही नहीं योजना में 57 % से अधिक राशि देने के बाद अब केंद्र सरकार की जल शक्ति मंत्रालय जलापूर्ति शुरू होने के बाद भी शेष राशि जारी होने की बात कह रहा। ऐसे में फर्मों से लेकर अफसरों पर योजना की समयबद्धता के साथ पूर्णता का दबाव समझा जा सकता है।
विधानसभा में पूर्व सीएम बघेल ने धीमी कार्यप्रगति को लेकर दागे थे सवाल 👇
पूर्व सीएम श्री बघेल ने गत विधानसभा मानसून सत्र में जल जीवन मिशन के नल कनेक्शन की धीमी प्रगति पर भी सवाल उठाए थे । उन्होंने तय लक्ष्य 49 लाख 98 हजार 249 की पूर्ति में 31 लाख 16 हजार 398 कनेक्शन (घरों )में ही जलापूर्ति शुरू हो पाने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने जिलेवार स्वीकृत नल जल कनेक्शन की पूर्ति में जलापूर्ति के धीमी आंकड़ों पर विभागीय मंत्री को घेरा था। उन्होंने सदन में जिलेवार स्वीकृत पूर्ण नलजल कनेक्शन के आंकड़ों को रखते हुए बताया कि था कि कोरबा जिले में 2 लाख नल कनेक्शन के तय लक्ष्य की पूर्ति में 46 हजार कनेक्शन पूरे किए जा सके हैं। उन्होंने मुंगेली,सीएम के गृह जिले जशपुर ,रायगढ़,सरगुजा,सूरजपुर ,कोरिया में भी नल कनेक्शन की धीमी प्रगति पर सवाल उठाए थे।सरकार पर कटाक्ष किए थे।