जिले में आस्था एवं उल्लास के साथ मनाई गई हलषष्ठी का पर्व,माताओं ने पुत्रों के स्वास्थ्य एवं दीर्घायु के लिए रखा व्रत ….

कोरबा। भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि पर हलषष्ठी का पर्व जिले में आस्था एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दिन पुत्रवती माताओं ने अपने बच्चों के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की।

परंपरा के अनुसार, घरों के बाहर कुश और परास से दो छोटे कुंड बनाए गए। इनमें पवित्र जल और गंगाजल भरकर छठ माता का पूजन किया गया। माताओं ने छठ माता को दही, महुआ के सूखे फूल और तिन्नी के चावल का प्रसाद अर्पित किया।

कुश का पौधा हर मौसम में हरा-भरा रहता है। यह विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रहता है। सनातन धर्म में इसे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। परास का वृक्ष भी दीर्घजीवी और मजबूत माना गया है।

इस व्रत में गोवंश की रक्षा का संकल्प भी निहित है। इसलिए बैलों से जुते खेतों के अन्न और शाक का प्रयोग वर्जित है। पूजा में भैंस के दूध की दही, भैंस का घी, तिन्नी चावल और महुआ के सूखे फूल का प्रयोग किया गया।
माताओं का समूह एकत्रित होकर व्रत कथा श्रवण कर मंगलगीत गाती दिखीं । वे अपने पुत्रों का चेहरा कुंड के पवित्र जल से धोकर उन्हें प्रसाद खिलाती हैं। यह सदियों पुरानी परंपरा पूरे क्षेत्र में श्रद्धापूर्वक मनाई गई।