हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा-जगदलपुर -कांकेर -बीजापुर -दंतेवाड़ा । बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले के आदिवासी विकास विभाग में पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल एवं वर्तमान भाजपा शासनकाल के कुल 5 सालों में DMF समेत विभिन्न योजना मद अंतर्गत 18 करोड़ से अधिक की लागत से स्वीकृत निर्माण कार्यों के लिए शासन प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशन कराए बगैर प्रिंटिंग प्रेस के जरिए कूटरचित (फर्जी) विज्ञापन छापकर चहेते फर्मों को लाभ पहुंचाए जाने के सनसनीखेज मामले के खुलासे आरोपी तत्कालीन 2 सहायक आयुक्तों की गिरफ्तारी के बाद आदिवासी विभाग के प्रदेश के सभी जिलों में इस अवधि में स्वीकृत निर्माण कार्यों की टेंडर प्रक्रिया संदेह के दायरे में हैं। बस्तर संभाग समेत प्रदेश के समस्त जिलों में वित्तीय वर्ष 2021 -22 से 2025 -26 तक की समयावधि में स्वीकृत निर्माण कार्यों की जांच की दरकार है । इस हैरतअंगेज खुलासे के बाद हुई कार्रवाई से मचे हड़कम्प के बीच आदिवासी विकास विभाग इस दिशा में आगे बढ़ेगी या फिर दंतेवाड़ा से ही टेंडर फर्जीवाड़े की कहानी क्लोज कर दी जाएगी ,इस पर आम जनता की निगाहें टिकी हैं।
यहाँ बताना होगा कि हाल ही में आदिवासी विकास विभाग में दंतेवाड़ा जिले में विकास कार्यों के लिए स्वीकृत निर्माण कार्यों के नाम पर वित्तीय वर्ष 2021 -22 से 2025 -26 तक जारी 18 करोड़ रुपए से अधिक के टेंडर में फर्जीवाड़े की पोल खुली है। शिकायत उपरांत जिला प्रशासन की जांच में चौकाने वाले खुलासे सामने आए।जहाँ तत्कालीन सहायक आयुक्तों आनंद जी सिंह एवं सेवानिवृत्त कल्याण सिंह मसराम ने शासन प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशन कराए बगैर प्रिंटिंग प्रेस के जरिए कूटरचित (फर्जी) विज्ञापन ,विज्ञप्ति छापकर कूटरचित दस्तावेज संलग्न के निहित स्वार्थ के लिए चहेते फर्मों को कार्य आबंटित कर शासकीय धनराशि का बंदरबाट किया। मामले में कलेक्टर के आदेश पर वर्तमान सहायक आयुक्त राजू कुमार नाग ने दोनों तत्कालीन सहायक आयुक्तों के खिलाफ कोतवाली में 21 अगस्त को एफआईआर दर्ज कराया था। जिस पर पुलिस ने धारा 318 (4 ) ,338 ,336 (3 ),340(2) और 61 (2 ) के तहत FIR दर्ज कर दोनों तत्कालीन सहायक आयुक्तों आंनद जी सिंह एवं सेवानिवृत्त कल्याण सिंह मसराम को 24 अगस्त की देर रात गिरफ्तार कर लिया । आंनद जी सिंह की गिरफ्तारी जगदलपुर एवं कल्याण सिंह मसराम की गिरफ्तारी रायपुर से हुई थी।जबकि विभागीय लिपिक संजय कोड़ोपी एफआईआर के बाद से फरार है।लेकिन इस फर्जीवाड़े के उजागर होने के बाद पूरे प्रदेश में हड़कम्प मचा है। आदिवासी विकास विभाग निशाने पर है।
👉तो पूरे प्रदेश में उक्त मियाद में स्वीकृत निर्माण कार्यों के टेंडर प्रक्रियाओं के जांच की दरकार ! क्या सुध लेगी साय सरकार

दंतेवाड़ा जिले में आदिवासी विकास विभाग में वित्तीय वर्ष 2021 -22 से 2025 -26 तक DMF समेत विभिन्न मदों के तहत 18 करोड़ से अधिक की लागत से स्वीकृत निर्माण कार्यों के टेंडर प्रक्रिया में हुए फर्जीवाड़े की घटना से आदिवासी विकास विभाग निशाने पर है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो बस्तर संभाग के बीजापुर ,सुकमा,जगदलपुर,कांकेर समेत प्रदेश के अन्य जिलों में भी उक्त मियाद में स्वीकृत कार्यों की टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया गया है। राष्ट्रीय एवं राजकीय समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशन किए बगैर फर्जी टेंडर लगाए जाने की सूचना है। 2 साल पहले बीजापुर एवं जगदलपुर जिले की शासन को लिखित शिकायत तक की गई। लेकिन कमिश्नर कार्यालय से जांच के नाम पर महज औपचारिकता का निर्वहन किया गया। जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक गई है। लेकिन वहाँ से भी जांच आदेश निकलने पर भी जांच प्रक्रिया आज पर्यंत पूरी नहीं हो सकी। बहरहाल अब यह देखना है कि सरकार जांच की सुध लेती है,या फिर पुनः शिकायतों के इंतजार में दन्तेवाड़ा जिले से ही जांच का चैप्टर क्लोज कर दी जाएगी।
👉अब तक 45 फर्जी टेंडर उजागर, और हो सकते हैं खुलासे
दंतेवाड़ा जिले में जांच में विकास कार्यों के लिए जारी 45 टेंडरों में गड़बड़ी पाई गई है। बताया जा रहा है कि अभी भी कई निर्माण कार्यों की फाइलों की जांच की जा रही है और इसमें और भी अफसरों और ठेकेदारों की भूमिका सामने आ सकती है। पुलिस और प्रशासन, इस घोटाले में ठेकेदारों की संलिप्तता की भी जांच कर रहे हैं।
👉दंतेवाड़ा जिले में इस तरह दिया गया था फर्जीवाड़े को अंजाम


21 अगस्त को थाना कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया कि आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के विभिन्न योजना/मद अन्तर्गत के तहत स्वीकृत भवन निर्माण के कार्यों के लिए सहायक आयुक्त आदिवासी के द्वारा विगत 05 वर्षों में वर्ष 2021-22 से 2025-26 में विभाग अन्तर्गत जिले के विभिन्न योजना/मद अन्तर्गत स्वीकृत निर्माण कार्यों के लिए नियम अनुसार किसी भी समाचार पत्रों में विज्ञप्ति का प्रकाशन नहीं किया गया और न हीं इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाईन निविदा निकाला गया। इन कार्यों में फर्जी तरीके से समाचार पत्र का फोटकॉपी ए-4 साईज पेपर हूबहू लगाया गया। इन कार्यो में मुक्तिधाम निर्माण कार्य भाग 1 से भाग 11 तक जिसकी राशि 280.52 लाख रूपये को डॉक्टर आनंदजी सिंह तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास 2, सर्व आदिवासी भवन प्रथम तल का निर्माण कार्य जिसकी राशि 48.32 लाख रूपये 3, माता रूकमणी आवासीय प्राथमिक विद्यालय दन्तेवाड़ा के 30 बिस्तरीय कन्या छात्रावास भवन निर्माण कार्य जिसकी राशि 89.79 लाख रूपये 4, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय कुआकोण्डा में शेड निर्माण कार्य जिसकी राशि 11.30 लाख रूपये 5, 100 सीटर कन्या आश्रम गाटम का भवन निर्माण कार्य जिसकी राशि 212.00 लाख रूपये 6, 100 सीटर आदर्श बालक छात्रावास बालूद का नवीन अतिरिक्त कक्ष भवन निर्माण जिसकी राशि 288.59 लाख रूपये करीब 930.52 लाख रूपये केएस मसराम सहायक आयुक्त आदिवासी विकास दन्तेवाड़ा इस जालसाजी फर्जीवाड़े में आनंदजी सिंह तत्कालीन सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास दंतेवाड़ा जिसमे 13 मार्च 2021 से 11 जून 2024 के एस मसराम, तत्कालीन सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास दंतेवाड़ा जून 2024 से 30 अप्रैल 2025 संजय कोड़ोपी सहायक ग्रेड-02 शाखा लिपिक ने 2018 से अबतक द्वारा लोक सेवक के पद पर रहते हुए अपने अपने पदो का दूरूपयोग करते हुए अपने चहेते ठेकेदारो को लाभ दिलाने हेतु टेंडर के नियमो का पालन न करते हुए टेंडर के बारे में दैनिक समाचार पत्रो में प्रकाशित किये जाने वाले विज्ञापन न छपवाकर फर्जी प्रकाशन दस्तावेजों को असली दस्तावेज बताकर पेश किया गया, मामले का खुलासा होने के बाद इन तीनो के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। जहां दो की गिरफ्तारी हुई है, वहीं क्लर्क फरार है।