KORBA : SECL के खदानों में अर्जित भूमि के एवज में आदेशानुसार हर खाते में रोजगार प्रदान किया जाए ,बैठक में बनीआंदोलन करने बनी रणनीति

हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराने सीएमडी , राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों ने लिखा पत्र

कोरबा। आदर्श पुनर्वास नीति 1991 के तहत सम्पूर्ण एस ई सी एल (छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश) के खदानों में अर्जित भूमि के एवज में हर खाते में रोजगार प्रदाय किये जाने की मांग को लेकर अब आंदोलन की तैयारी की जाने लगी है , विगत दिनों भूविस्थापित भवन नराईबोध में बैठक में आंदोलन की रणनिति पर विचार विमर्श किया गया ।

इस आशय की जानकारी देते हुये ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया है कि हाईकोर्ट की डबल बैंच ने याचिकाकर्ताओ के पक्ष में आदेश पारित करते हूए छोटे खातेदारों को 45 दिनों में रोजगार प्रदान करने की कार्यवाही करने का निर्णय सुनाया था किंतु एसईसीएल रोजगार उपलब्ध कराने के बजाय सुप्रीम कोर्ट जाने का बहाना कर रही है जिसके खिलाफ अब आंदोलन शुरू किया जाएगा उन्होंने बताया कि इस मांग पर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल मुख्यमंत्री सहित सभी सबंधित अधिकारियों को ज्ञापन की प्रति भेज दी गयी है तथा एसईसीएल के सभी 12 एरिया में प्रदर्शन कर ज्ञापन सौपने की रणनीति बनाई गई है।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बिभु दत्त गुरू की. डबल बैंच न्यायपीठ से आदेश दिनाँक 02/08/2025 को जारी आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि भूविस्थापितों को हर खाते में रोजगार और पुनर्वास प्रदान करने के लिए पूर्व में जारी एकलपीठ का आदेश विधिनुसार मान्य है और एसईसीएल हर खाते में रोजगार देने के लिए बाध्य है एसईसीएल द्वारा एकलपीठ में दिए गए उक्त आदेश के अनुसार 1991 पुनर्वास नीति जिसे मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति कहा जाता है उसके अनुसार ही रोजगार व पुनर्वास दिया जाना होगा ,न्यायपीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि जब भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत अधिसूचना जारी की गई थी, तब 1991 की नीति लागू थी, तथापि, जब अधिग्रहण की कार्यवाही को अंतिम रूप दिया गया, तब पुनर्वास नीति पर पुनर्विचार किया गया एसईसीएल को 1991 या 2007 की वैधानिक रूप से लागू पुनर्वास नीति को दरकिनार करने का कोई अधिकार नहीं है हालाँकि, राज्य नीति में प्रदान किए गए लाभों के अलावा, एसईसीएल अन्य लाभ भी प्रदान कर सकता है जिनका उल्लेख राज्य नीति में नहीं है अतः, रिट याचिकाकर्ताओं के मामले में, 1991 की नीति ही मान्य होगी निर्णय के अनुच्छेद 65 में, निम्नलिखित टिप्पणी की गई है कि :

“पुनर्वास नीति के अनुसार भूमि खोने वालों को रोजगार पाने का अधिकार अत्यंत महत्वपूर्ण अधिकार है और इस पर कानून के अनुसार तथा उनकी भूमि के अधिग्रहण की तिथि पर लागू नीति के अनुसार विचार किया जाना चाहिए तथा नीति में बाद में परिवर्तन से उनका अर्जित अधिकार, यदि कोई हो, समाप्त नहीं होगा, जो उनकी भूमि के अधिग्रहण से उन्हें प्राप्त हुआ है इस प्रकार, भूमि विस्थापितों को पुनर्वास और रोजगार का लाभ भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का तार्किक परिणाम है और रोजगार से वंचित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के साथ-साथ अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन है अतः प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ताओं के पुनर्वास/रोजगार के मामले पर उनकी भूमि के अधिग्रहण की तिथि अर्थात अधिग्रहण की तिथि पर लागू नीति के अनुसार ही विचार करें और एसईसीएल द्वारा इस आदेश की प्रति प्रस्तुत करने की तिथि से 45 दिनों के भीतर इस पर विचार किया जाना चाहिए ।

माननीय न्यायालय ने पूर्व में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गये फैसलों का भी उल्लेख करते हुये अपनी यह आदेश जारी किया है इसी के साथ यह स्पष्ट कर दिया है कि 1991 की नीति एवं कोल इंडिया लिमिटेड की 2008-12 की नीति के अनुपालन में शेष भूमि खोने वाले समस्त किसानो को रोजगार प्रदान किये जाने पर एस ई सी एल को विचार करना किया जाना चाहिए ।

उपरोक्तानुसार माननीय उच्च न्यायालय की डिविजन बैंच से जारी आदेश के अनुसार मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति के अनुपालन में एस ई सी एल की समस्त क्षेत्र जो कि छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश राज्य के अंतर्गत विस्तारित है वहां पर यह आदेश प्रभावित होती है, इसलिए इस आदेश को अंतिम मानते हुये सभी प्रभावितों को तत्काल रोजगार उपलब्ध कराने हेतु अग्रिम कार्यवाही किया जाना चाहिये किंतु एसईसीएल अभी भी अपनी जिद में अड़ी है जिसके कारण मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य के भूविस्थापित अब इसी मांग को लेकर आंदोलन करने के मूड में है ।