जांजगीर-चांपा । जिले में सहकारी बैंक से जुड़े एक बड़े वित्तीय घोटाले का मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने कांग्रेस विधायक बालेश्वर साहू के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी हस्ताक्षर और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोपों में FIR दर्ज की है।
चांपा पुलिस ने इस प्रकरण को गंभीर मानते हुए विधायक बालेश्वर साहू के साथ-साथ गौतम राठौर को भी आरोपी बनाया है। दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादवि) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), 267 और 34 के तहत अपराध दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है।
👉मामला 2015 से 2020 के बीच का
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला उस समय का है जब बालेश्वर साहू वर्ष 2015 से 2020 तक बम्हनीडीह सहकारी समिति में प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे। आरोप है कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने गंभीर वित्तीय अनियमितताएं कीं और किसानों के साथ धोखाधड़ी की।
👉 शिकायतकर्ता का आरोप: KCC लोन के नाम पर छल
करीब दो माह पहले राजकुमार शर्मा नामक व्यक्ति ने चांपा थाने में विधायक साहू के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि बालेश्वर साहू ने उनकी 50 एकड़ कृषि भूमि पर किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) लोन दिलाने के बहाने HDFC बैंक में खाता खुलवाया।
शर्मा का आरोप है कि इस प्रक्रिया के दौरान उनसे ब्लैंक चेक लिया गया और बाद में उसी चेक का दुरुपयोग कर 42 लाख 78 हजार रुपये अवैध रूप से निकाल लिए गए।
👉 फर्जी दस्तखत और अंगूठे का इस्तेमाल

आवेदक राजकुमार शर्मा ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि न केवल उनके, बल्कि उनकी पत्नी और मां के भी फर्जी हस्ताक्षर और अंगूठे का इस्तेमाल करके राशि निकाली गई। इस प्रकार, बालेश्वर साहू और अन्य आरोपियों ने मिलकर उनके साथ वित्तीय छल किया।
👉 पुलिस जांच और राजनीतिक हलचल
शिकायत की जांच के बाद चांपा पुलिस ने विधायक बालेश्वर साहू और गौतम राठौर को आरोपी बनाते हुए एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने कहा है कि अब इस पूरे मामले की बारीकी से जांच की जाएगी और सभी दस्तावेजों का सत्यापन कर यह पता लगाया जाएगा कि धोखाधड़ी किस तरह की गई और इसमें और कौन-कौन शामिल थे।
इस मामले में कांग्रेस विधायक का नाम सामने आने से जिले की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने इस घटना को ‘कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क’ बताते हुए जमकर निशाना साधा है। जब किसानों की मदद के लिए बने सहकारी बैंकों में ही भ्रष्टाचार हो रहा हो और उसमें जनप्रतिनिधि शामिल हों, तो यह किसानों के विश्वास के साथ सबसे बड़ी धोखाधड़ी है।