हसदेव एक्सप्रेस न्यूज रायपुर । 9 ‘दिन चले अढ़ाई कोस ‘यह कहावत आदिवासी विकास विभाग पर भी सटीक बैठती है। जी हां
प्रदेश के 5 जिलों नारायणपुर ,दंतेवाड़ा ,बीजापुर ,सुकमा एवं सरगुजा में कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफटी ),सामाग्री आपूर्ति मद ,संविधान के अनुच्छेद 275 (1) केंद्रीय मदान्तर्गत समेत अन्य मदों से प्राप्त फंड में क्रय (खरीदे ) सामाग्री ,मरम्मत तथा निर्माण कार्यों में अनियमितता को लेकर मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित खबरों को लेकर शासन की हो रही फजीहत से चिंतित अपर संचालक आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास नवा रायपुर अटल नगर ने संबंधित जिलों के कलेक्टरों को 18 जुलाई को पत्र जारी कर अनियमितता के संबंध में 3 दिवस के भीतर जांच कर प्रतिवेदन मांगा था। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहें कि संबंधित जिलों ने आज पर्यन्त प्रतिवेदन नहीं भेजा। जिसकी वजह से विभाग आरटीआई तक में मांगे गए जवाब से निरुत्तर है।

गौरतलब हो कि अपर संचालक आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास नवा रायपुर अटल नगर द्वारा कलेक्टरों को जारी पत्र में छ.ग. शासन आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग मंत्रालय महानदी भवन ,नवा रायपुर अटल नगर का पत्र क्र.एफ 3 -16 /2025/25-1नवा रायपुर अटल नगर का दिनांक 18.07.2025 को जारी पत्र का संदर्भ दिया गया है। जिसमें कार्याकय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा प्रदेश के 5 जिलों नारायणपुर ,दंतेवाड़ा ,बीजापुर ,सुकमा एवं सरगुजा में जिले के छात्रावास /आश्रमों में सामाग्री क्रय ,मरम्मत एवं निर्माण कार्य में अनियमितता संबंधी मीडिया में प्रकाशित शिकायत के संदर्भ में शासन द्वारा जांच प्रतिवेदन चाहे जाने का उल्लेख था।
लिहाजा 3 दिवस के भीतर शिकायत की जांच कर प्रतिवेदन मांगा गया था। लेकिन जिसका डर था वही हुआ। विभाग ने जहाँ पत्र जारी कर औपचारिकता का निर्वहन किया। वहीं हमेशा की तरह इन जिलों के कलेक्टरों ने जांच प्रतिवेदन तक न भेजकर मनमानेपन की सारी हदें पार कर दी है। कार्यालय आयुक्त आदिम जाति कल्याण विकास विभाग के यहाँ सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उपरोक्त जांच के संदर्भ में जांच प्रतिवेदन मांगे जाने पर भी विभाग निरुत्तर है। उपरोक्त कृत्य प्रशासनिक जवाबदेहिता के विपरीत कार्य व्यवहार , घोर अनुशासनहीनता को प्रदर्शित करता है। जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही साय सरकार के मंशा के विपरीत यह कार्य व्यवहार विभाग की विश्वनीयता पर सवाल खड़े करता है।


गौरतलब हो बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में हाल ही 5 साल के दौरान 18 करोड़ के कार्यों के फर्जी टेंडर विज्ञापन प्रकाशन के मामले में दो तत्कालीन सहायक आयुक्त आनंद जी सिंह एवं सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त कल्याण सिंह मेश्राम जेल की हवा खा रहे हैं । बावजूद इसके इस साल भी डीएमएफ से स्वीकृत कार्यों में प्रभारी सहायक आयुक्त के कार्यकाल में भी मनमानी की चर्चाएं हैं। बीजापुर, सुकमा,नारायणपुर में भी डीएमएफ ,संविधान के अनुच्छेद 275 (1) मद ,बस्तर विकास प्राधिकरण से स्वीकृत कार्यों में अनियमितता बरती गई है। जिसकी शिकायत शासन तक पहुंच चुकी है। बावजूद इसके जिम्मेदार आज भी चैन की नींद सो रहे हैं।