CG : CM जनदर्शन के आदेशों का PHE के अफसरों ने मजाक बनाया ,जांजगीर के 60 गांवों में जल जीवन मिशन के कार्यों में अनियमितता की जांच 3 माह से लटकाया , निभाई जा रही औपचारिकता

0 राज्य स्तरीय टीम की जगह संभाग से जांच करा रहे मिशन संचालक ,अधीक्षण अभियंता ने 2 माह से जांच प्रतिवेदन ही नहीं भेजा,कार्यशैली पर उठे सवाल,क्या सीएम हाउस लेगा संज्ञान !

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज रायपुर -जांजगीर -चाम्पा । जल जीवन मिशन के तहत जांजगीर -चाम्पा जिले के 60 गांवों में स्वीकृत एकल ग्राम नलजल योजना हस्तातंरण प्रतिवेदन (हैंडओवर रिपोर्ट ) जारी करने में नियमों की अनदेखी कर फर्मों को मनमाना करोड़ों का भुगतान करने के मामले में भाजपा शासित साय सरकार में जिम्मेदार अफसर मुख्यमंत्री कार्यालय के आदशों की अवहेलना करने से भी बाज नहीं आ रहे।
जी हां गवाह,एसडीओ के हस्ताक्षर के बगैर जारी किए हस्तांतरण प्रतिवेदन के फर्जीवाड़े की मुख्यमंत्री को किए गए दस्तावेजी शिकायत के बाद मुख्यमंत्री जनदर्शन में शामिल प्रकरण की अवर सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय के 30 जुलाई को दिए गए निर्देश पर प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ओंकेश चंद्रवंशी ने 20 अगस्त 2025 को मिशन संचालक जल जीवन मिशन को प्रकरण में नियमानुसार शीघ्र कार्यवाही करने पत्र लेख किया था।लेकिन मिशन संचालक जल जीवन मिशन ने राज्य स्तरीय टीम से जांच के अनुरोध को दरकिनार कर संभाग टीम स्तरीय जांच कराने अधीक्षण अभियंता को जांच का जिम्मा अंतरित कर दिया। संभाग के भीतर मिशन के कार्यों में हो रहे
अनियमितता के प्रकरणों में पनाहगार बने अधीक्षण अभियंता कार्यालय ने 2 माह से जांच ही दबाकर रख दी। मुख्यमंत्री कार्यालय के कोपभाजन से बचने अतिरिक्त मिशन संचालक ने पुनः अधीक्षण अभियंता को स्मरण पत्र भेजकर दायित्व की औपचारिकता निभाई है।गंभीर शिकायत के मामले में जांच के नाम पर एक महज पत्राचार कर कागजी खानापूर्ति करने वाले जिम्मेदारों छत्तीसगढ़ शासन के जांच एजेंसियों के कार्रवाई की गाज गिर सकती है।

गौरतलब हो कि 25 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को लिखित दस्तावेजी शिकायत की गई थी। जिसमें उल्लेख किया गया था कि जांजगीर चाम्पा जिले में शासन द्वारा जल जीवन मिशन के तहत करोड़ों रुपए के सैकड़ों सिंगल विलेज स्कीम की स्वीकृति दी गई है। लेकिन पीएचई के जिम्मेदार अफसरों ने फर्मों को भुगतान की हड़बड़ी में निर्धारित मानकों की अनदेखी कर एकल ग्राम नलजल योजना हस्तांतरण प्रतिवेदन गवाह के हस्ताक्षर , सहायक अभियंता के हस्ताक्षर के बगैर ही जारी कर दिया है ।वित्तीय वर्ष 2024 -25 में जल जीवन मिशन अंतर्गत पूर्ण एकल ग्राम नलजल योजना के हस्तांतरण प्रतिवेदन (हैंडओवर रिपोर्ट ) में इसका खुलासा हुआ है। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत संबंधित कार्यालय के जनसूचना अधिकारी द्वारा प्रदत्त एकल ग्राम नलजल योजना हस्तांतरण प्रतिवेदन से इसकी स्वतः पुष्टि हो चुकी है।
प्रदाय किए गए एकल ग्राम नलजल योजना हस्तांतरण प्रतिवेदन के परीक्षण में हमें 60 ग्राम पंचायतों को जारी एकल ग्राम नलजल योजना हस्तांतरण प्रतिवेदन ऐसे मिले हैं जिस फार्मेट में सहायक अभियंता ,4 गवाह के हस्ताक्षर के लिए कॉलम तो तय किए गए हैं लेकिन उनमें दोनों के हस्ताक्षर ही नहीं हैं। किसी में सरपंच तो किसी में सरपंच सचिव दोनों के हस्ताक्षर हैं। लेकिन योजना हस्तांतरण (हैंड ओवर ) करने वाले सहायक अभियंता (एसडीओ) के दस्तखत पदमुद्रा नहीं होने से एवं गवाहों के दस्तखत नहीं होने से उक्त जारी प्रमाण पत्र पूर्णतया कूटरचित /फर्जी प्रतीत हो रही है। जारी सर्टिफिकेट में योजना के अधिग्रहणकर्ता सरपंच ,सचिव ,ग्राम के 4 गवाहों के अलावा योजना हैंडओवर करने हस्तांतरणकर्ता सहायक अभियंता (एसडीओ ) का हस्ताक्षर कॉलम में हस्ताक्षर होना अनिवार्य था ,लेकिन कागजों में योजना को पूर्ण बताने की , फर्मों को भुगतान करने की ऐसी जल्दबाजी रही या चालाकी कहें कि संबंधित पंचायतों के गवाहों ,सहायक अभियंता के हस्ताक्षर के बगैर योजना का हस्तांतरण प्रतिवेदन जारी हो गया।

विधानसभा में दी गई जानकारी अनुसार जांजगीर -चाम्पा जिले को वित्तीय वर्ष 2022 -23 ,2023 -24 एवं 2024 -25 में कुल 737 करोड़ रुपए तक का भुगतान हो चुका है। वित्तीय वर्ष क्रमशः 338 ,320 एवं 79 करोड़ के भुगतान की बात कही गई थी। लेकिन इस तरह के फर्जी अपूर्ण हैंडओवर सर्टिफिकेट ने कार्य की भौतिक स्थिति पर अविश्वास के बीज बो दिए हैं। सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या सिर्फ फर्मों को त्वरित भुगतान करने की होड़ में इस तरह के कारनामे किए गए हैं । और जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों का इसके पीछे क्या निहित स्वार्थ हो सकता है।

👉करीब 60 गांवों के 30 करोड़ की योजना में फर्जीवाड़े की शिकायत ,हस्तांतरण प्रतिवेदन में एसडीओ व गवाह के ही दस्तखत नहीं

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जांजगीर चाम्पा के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्रदाय किए गए जल जीवन मिशन अंतर्गत एकल ग्राम नलजल योजना के हस्तांतरण प्रतिवेदन में 60 ग्राम पंचायतों के प्रतिवेदन में एसडीओ व गवाह के ही दस्तखत नहीं हैं। इन ग्राम पंचायतों में विकासखण्ड पामगढ़ के ग्राम जोगीडिया ,
ग्राम कुटराबोड,कोसीर ,हिर्री,मुड़पार (च)चुरतेला ,कमरीद,कोड़ाभांट ,देवरघटा, मेहंदी ,भदरा शामिल है। विकासखण्ड अकलतरा के ग्राम कोटगढ़,बरगवां,अर्जुनी,अमलीपाली ,पचरी,करहीडीह ,कल्याणपुर ,चंदनिया ,मधुवा,
पोंडीदल्हा ,पचरी ,दर्रीडांड ,बिरकोनी ,
करधरी, खोड शामिल है। विकासखण्ड नवागढ़ के ग्राम दर्री,दहिया,भडेसर ,पोंडी (राछा ),गोधना ,कांसा,देवरी,उदयभांठा,
बरभांठा ,पेंड्री,सलखन ,मोहतरा,चौराभाठा,बरगांव पिपरा,कर्रा ,दुरपा शामिल हैं। बलौदा विकासखण्ड के ग्राम केराकछार, ढोरला,नवागांव ,कुरमा ,कटरा,खोहा ,
लछनपुर ,कुरदा,बसंतपुर ,हरदीविशाल,
कंड्रा, अंगारखार,परसदा एवं मड़वा शामिल हैं। प्रत्येक योजना तकरीबन 50 लाख रुपए की इस तरह देखें तो तकरीबन 30 करोड़ की एकल नलजल योजना की फर्जी हैंडओवर सर्टिफिकेट जारी किए जाने के आसार हैं।जिसकी जांच की नितांत दरकार है। मामले में छत्तीसगढ़ में जीरो टॉलरेंस की नीति बनाए रखने पत्र प्राप्ति के 30 दिवस के भीतर उपरोक्त 60 ग्राम पंचायतों के जारी एकल ग्राम नलजल योजना हस्तांतरण प्रतिवेदन का राज्य स्तरीय अंतर्विभागीय टीम गठित कर जांच कराने ,तकनीकी मापदंडों का परीक्षण कर भौतिक सत्यापन कराने आदेशित करने फर्मों को किए गए भुगतान मूल्यांकन पत्रक (एमबी )की भी जांच सुनिश्चित कर ,आधी अधूरी अपूर्ण योजना पाए जाने पर शासकीय धनराशि की वसूली सुनिश्चित कराने का अनुरोध किया गया था ,
ताकि भाजपा सरकार के प्रति आमजनमानस में भरोसा/विश्वास बना रहे।

👉मिशन संचालक को दिया गया था जांच का जिम्मा ,अधीक्षण अभियंता के जिम्मे डाल निभाई गई औपचारिकता , 70 दिन बाद भी नहीं मिला प्रतिवेदन …..

मुख्यमंत्री को किए गए दस्तावेजी शिकायत के बाद शिकायत प्रकरण 30 जुलाई को ही मुख्यमंत्री जनदर्शन में शामिल कर अवर सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय के 30 जुलाई को दिए गए निर्देश पर प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ओंकेश चंद्रवंशी ने 20 अगस्त को मिशन संचालक जल जीवन मिशन को प्रकरण में नियमानुसार शीघ्र कार्यवाही करने पत्र लेख किया था। कार्यालय मिशन संचालक जल जीवन मिशन द्वारा पत्र क्रमांक 3183 दिनांक 31.07
.2025 के तहत अधीक्षण अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ,बिलासपुर मंडल बिलासपुर को पत्र लेखकर आवेदक द्वारा प्रेषित पत्र में किए गए शिकायत का परीक्षण कर कंडिकावार प्रतिवेदन चाहा गया था।भ्रष्टाचार का पनाहगाह बनी अधीक्षण अभियंता कार्यालय ने उक्त आदेश की अनदेखी कर प्रकरण में करीब ढाई माह बाद भी 09 अक्टूबर 2025 तक की स्थिति में शिकायत प्रकरण की परीक्षण कर कंडिकावार प्रतिवेदन नहीं भेजा। जहां मिशन संचालक ने राज्य स्तरीय टीम से प्रकरण की जांच के अनुरोध के बावजूद संभाग स्तर पर अधीक्षण अभियंता को जांच का जिम्मा सौंप अपने दायित्वों से इतिश्री कर ली ,वहीं अधीक्षण अभियंता के किसी निहित स्वार्थ या दबाव की वजह से प्रकरण की जांच करने हाथ कांप रहे।

👉ईई ने थामी चुप्पी ,इन 5 जिलों के असफरों ने मिशन के कार्यों का किया है बेड़ागर्क ,शासन की भी मौन स्वीकृति !

प्रकरण में आज पर्यन्त जांच नहीं होने पर ईई आदित्य प्रताप सिंह से इसकी वजह और उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई। लेकिन कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका। बहरहाल मनमानेपन एवं जल जीवन के कार्यों में अनियमितता को लेकर जांजगीर -चाम्पा जिले के अलावा बिलासपुर,जशपुर ,अम्बिकापुर ,जगदलपुर एवं दंतेवाड़ा जिले सुर्खियों में बने हुए हैं। जिनकी शिकायत राज्य शासन तक की गई है। लेकिन इसके बाद भी सम्बंधित जिलों के कार्यों में मनमानी जारी है। दंतेवाड़ा जिले में तो ईई पर भुगतान के नाम पर मोटी कमीशन मांगने के आरोप स्वयं विभाग के ठेकेदार विभागीय मंत्री सह उपमुख्यमंत्री अरुण साव से कर चुके हैं। जिसमें आज पर्यन्त ईई पर कार्रवाई नहीं होने से विभाग
,सरकार की छवि भी जनमानस के बीच खराब हो रही। ईमानदारी से अगर इन जिलों के कार्यों की जांच हो तो फर्म से लेकर अफसर जेल की हवा खाएंगे।