बिहार। बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप चरम पर हैं, और इस बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर और चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं.
पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशांत किशोर ने दावा किया कि बिहार में भी ठीक वैसा ही राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया है जैसा कि हाल ही में गुजरात के सूरत में लोकसभा चुनावों के दौरान देखने को मिला था, जहां भाजपा ने अपने विरोधी उम्मीदवारों को मैदान से बाहर करवा दिया था. उन्होंने कहा कि भाजपा ने जन सुराज पार्टी के तीन विधानसभा क्षेत्रों दानापुर, गोपालगंज और ब्रह्मपुर में उनके उम्मीदवारों पर संगठित रूप से दबाव बनाया, धमकाया और चुनाव लड़ने से रोका गया.
👉इन सभी मामलों में BJP के बड़े नेता शामिल

प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि इन सभी मामलों में भाजपा के शीर्ष नेता, जिनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान प्रमुख रूप से शामिल हैं, ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जन सुराज पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव प्रक्रिया से पीछे हटने के लिए मजबूर किया. उन्होंने दावा किया कि दानापुर से पार्टी के प्रत्याशी अखिलेश कुमार उर्फ मुटुर साव को न सिर्फ धमकाया गया, बल्कि वे अचानक लापता हो गए थे. हालांकि बाद में पता चला कि उन्हें अगवा नहीं किया गया था, बल्कि भाजपा नेताओं ने उन्हें डराकर नामांकन से रोक दिया. प्रशांत किशोर ने इसके समर्थन में एक तस्वीर भी मीडिया को दिखाई जिसमें मुटुर साव अमित शाह के साथ नजर आ रहे हैं.
👉सत्यप्रकाश तिवारी ने नामांकन वापस ले लिया
इसी तरह ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी पर भाजपा के नेताओं द्वारा दबाव बनाने का आरोप लगाया गया. पीके ने आरोप लगाया कि उनके घर पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य भाजपा नेताओं की बैठक हुई, जिसकी तस्वीर उन्होंने पत्रकारों को दिखाई. इसके बाद सत्यप्रकाश तिवारी ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जो इस दबाव का नतीजा बताया जा रहा है.
👉2 दिन पहले प्रचार, अब नामांकन वापस
गोपालगंज सीट से जन सुराज के उम्मीदवार शशि शेखर सिन्हा के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. पीके ने कहा कि वह अभी दो दिन पहले तक पार्टी के लिए सक्रिय प्रचार कर रहे थे, लेकिन अचानक उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया और अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया. कुछ घंटों बाद भाजपा के साथ उनकी तस्वीरें सामने आईं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन पर भी राजनीतिक दबाव बनाया गया था.
👉लोकतंत्र की मूल भावना को कमजोर कर रही BJP
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि भाजपा इस प्रकार के राजनीतिक दबाव और साजिश के ज़रिए लोकतंत्र की मूल भावना और चुनावी प्रक्रिया को ठेस पहुंचा रही है. उन्होंने वाल्मीकिनगर सीट से जन सुराज के प्रत्याशी दृग नारायण प्रसाद के मामले में भी आरोप लगाया कि उन्हें जदयू के स्थानीय नेताओं ने डराया और धमकाया. किशोर ने कहा कि इस प्रकार के राजनीतिक हस्तक्षेप और जबरदस्ती से चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
👉PK ने राजनीतिक को कठघरे में खड़ा कर दिया
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव सिर्फ सीटों की लड़ाई नहीं रह गई है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों, राजनीतिक नैतिकता और स्वतंत्र चुनाव प्रणाली की साख का भी सवाल बन चुका है. प्रशांत किशोर के इन आरोपों ने न सिर्फ भाजपा बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया है, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक माहौल और भी गर्माने की संभावना है.