आसक्ति हजार वर्षों की तपस्या से मिले सिद्धियां पल भर में क्षीण कर जीवन को अवगुणों से भर सकता है , इन्हीं वृतियों से वशीभूत महिषासुर जगदम्बा के हाथों मारा गया – पं.अनिल शुक्ला

0 भदरापारा बालको में आयोजित श्रीमद देवी भागवत महापुराण नवान्ह यज्ञ में उमड़ रहे श्रोता

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। आसक्ति इतनी प्रबल होती है कि कठोर परिश्रम ,साधना से प्राप्त की हुई आपकी सिद्धियां गुणों को पल भर में क्षीण कर आपके जीवन को अवगुणों से युक्त कर आपका जीवन विनाश की ओर अग्रसर कर सकती हैं। जिस तरह महिषयोनि को प्राप्त जीव महिषासुर ने मन को वश में रख अहंकार को परम पवित्र कर 10 हजार वर्षों की कठिन तप साधना से अंतःकरण को पवित्र करके लक्ष्य को प्राप्त किया । लेकिन आसक्ति ,लोभ के वशीभूत होकर फिर उसे अशुद्ध करके अभिमान को धारण कर लिया। और अभिमान में पड़कर इस वृत्ति में पूरा जीवन जिया।आसक्ति ,लोभ ,अभिमान की पराकाष्ठा में मां जगदम्बा के हाथों मृत्यु को प्राप्त हुआ।

उक्त बातें प्रख्यात कथा वक्ता बसहा वाले आचार्य पं.अनिल शुक्ला ने दिवंगत स्व.संशीराम,स्व.श्रीमती प्रिया बाई ,स्व.भीषम प्रसाद ,स्व श्रीमती राधा देवी की पुण्य स्मृति में उनके पुत्रवधु -पुत्र एवं जमाता भदरापारा निवासी (मूलतः ढोंढातराई) वाले श्रीमती आरती जायसवाल -लक्ष्मी नारायण जायसवाल (व

सहकारिता निरीक्षक उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं कोरबा ) के द्वारा आयोजित श्रीमद देवीभागवत महापुराण नवान्ह यज्ञ कथा के सातवें दिवस देवी चरित्र,महिषासुर वध कथा प्रसंग के दौरान कही। आचार्य श्री शुक्ला ने उपस्थित श्रोताओं को महिषासुर वध कथा प्रसंग का सुंदर वर्णन करते हुए बताया कि हम सबके अंदर भी वही महिषवृत्ति है और यह वृत्ति जब तक हमारे हृदय में समाहित रहेगी कभी हमें माता की भक्ति प्राप्त नहीं होगी। इस वृत्ति के विनाश का यही सर्वश्रेष्ठ आयाम है कि थोड़ा -थोड़ा तो करो धीरे -धीरे तो करो ,धीरे -धीरे महिषवृत्ति क्षीण होती जाएगी। एक दिन अंतःकरण को परम शुद्धता की प्राप्ति होगी। और निरंतर आपके जीवन में मातारानी के भक्ति की ज्योत प्रज्ज्वलित होगी।

आचार्य श्री शुक्ला ने आगे श्रोताओं को बताया कि आपकी साधना ,आपकी आराधना,आपका तप तब तक सही है जब तक आपके अंदर माहिषवृत्ति प्रविष्ट नहीं होती ,नहीं तो एक छोटे से दोष के कारण आपको गिरना पड़ता है। अतएव इन्हें अपने जीवन में बनाए रखने के लिए अंतःकरण को परम पवित्र बनाए रखने के लिए मां जगदम्बा के इन चरित्रों का श्रवण करना चाहिए ,माता के भक्ति में सदैव लीन रहना चाहिए।
आयोजित श्रीमद देवीभागवत महापुराण नवान्ह यज्ञ कथा श्रवण करने प्रतिदिन श्रद्धालुओं का भदरापारा में सैलाब उमड़ रहा है। सभी आस्था के साथ माता के सुंदर चरित्रों का कथा श्रवणकर अपना जीवन धन्य बना रहे।आयोजित कथा के आठवें दिवस 29 अक्टूबर को नारद मोह,सूर्यवंश कथा ,सुकन्या चरित्र का ,30 अक्टूबर को नवमें दिवस शताक्षी कथा ,प्रकृति देवी अख्यान एवं 31अक्टूबर को तुलसी ,गायत्री ,मणी द्वीप वर्णन ,एवं चढोत्री का कार्यक्रम संपन्न होगा। 1 नवंबर को हवन, सहस्त्रधारा ,कुंवारी कन्या पूजन ,ब्राम्हण भोजन के साथ कथा का समापन होगा।