CG :जहाँ कभी भय और नक्सलवाद की परछाइयाँ पसरी रहती थीं, वहाँ आज विकास की रोशनी चमक रही,मुख्यमंत्री श्री साय के नेतृत्व में बस्तर का पुनर्जन्म, सड़कें पहुंचीं ,स्कूल गूंजे ,गांव भी हुए रौशन ….

रायपुर । “बस्तर बदल रहा है… और इस बदलाव की गूंज अब दूर–दराज़ के पहाड़ों और जंगलों तक सुनाई देने लगी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मजबूत नेतृत्व क्षमता, दृढ़ संकल्प और साफ़ नीयत ने बस्तर को नई पहचान, नई दिशा और नई उम्मीद दी है।

जहाँ कभी भय और नक्सलवाद की परछाइयाँ पसरी रहती थीं, वहाँ आज विकास की रोशनी चमक रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बिजली—हर मोर्चे पर तेज़ी से सुधार दिख रहा है।
सुरक्षा बलों के कैम्प अब उन क्षेत्रों में भी स्थापित हो रहे हैं, जहाँ कदम रखना कभी नामुमकिन माना जाता था। जनता का विश्वास लौट रहा है, युवाओं के सपनों को पंख मिल रहे हैं और बस्तर एक बार फिर अपने असली गौरव की ओर बढ़ रहा है।

ये सब संभव हुआ है मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के संकल्प, मेहनत और बस्तर के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता के कारण।
आज बस्तर कह रहा है— “नेतृत्व सही हो, तो विकास रुकता नहीं… आगे बढ़ता है।”” ऐसे में बदलते बस्तर में शासन के प्रयास से अंदरूनी इलाकों तक बेहतर सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के पहुुंचने से यहां के लोगों का जीवन तेजी से बदल रहा है।

👉नक्सलवाद का हो रहा जड़ से खात्मा, माओवादी कर रहे सरेंडर

बस्तर में अब नक्सल आतंक खत्म होने के कगार पर है। माओवादी और सुरक्षाबलों के बीच चल रही लड़ाई एक तरफ जहां अंतिम दौर में है। वहीं सरकार के प्रस्ताव और सुरक्षाबलों के लगातार प्रहार से दहशत में आये नक्सली हथियार छोड़ समाज की मुख्यधारा से जुड़ने सरेंडर कर रहे है। इसी का परिणाम है कि आज बस्तर में सामान्य जीवन पटरी पर लौटने लगा है। सुरक्षा बलों की उपस्थिति उन गांवों में भी दिख रही है, जहाँ पहले सरकारी दखल काफी मुश्किल थी। नए सुरक्षा कैंप खुलने से ग्रामीणों को जहां सुरक्षा का भरोसा मिला है। वहीं नक्सली हथियार छोड़ आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं। जिनके पुनर्वास के लिए सरकार ने कदम बढ़ाते हुए आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए हैं। सुरक्षा और विकास का ये संयुक्त मॉडल बस्तर को एक नई पहचान दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।