CG :बस्तर विकास प्राधिकरण के फंड के लूट की मिली खुली छूट!बिना सत्यापित व्हाउचर फर्म को 20.51 लाख का भुगतान करने वाली सहायक संचालक उद्यान पर साय सरकार मेहरबान, निलंबित करने दस्तावेजी शिकायत पर भी CM HOUSE ने नहीं लिया संज्ञान ,भ्रष्टाचारियों के बने ढाल,डबल इंजन की सरकार की कार्यशैली पर उठे सवाल….

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज दंतेवाड़ा -रायपुर भुवनेश्वर महतो । जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने का दावा करने वाली डबल इंजन के सरकार के दावों की पोल छत्तीसगढ़ में परत दर परत खुल रही है। पूर्ण बहुमत के साथ सत्तासीन भाजपा की साय सरकार भ्रष्टाचार की ढाल बनी हुई है। बस्तर विकास प्राधिकरण के फंड में तारबाड़ी और नलकूप ड्रिलिंग कार्यों के लिए फर्म को बिना सत्यापित व्हाउचर 20.51 लाख रुपए का नियमों को ताक में रखकर फर्जी भुगतान करने वाली सहायक संचालक उद्यान के खिलाफ के महालेखाकार की ऑडिट में पुष्टि होने ,दस्तावेजी शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अफसर को निलंबित नहीं कर सकी। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा भ्रष्टाचार की दस्तावेजी शिकायतों के बाद भी जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई की अनदेखी किए जाने से सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे।

👉इन कार्यों के लिए मिली थी राशि

मामला बस्तर संभाग के दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले के कार्यालय सहायक संचालक उद्यान की है।
कार्यालय सहायक संचालक उद्यान ,जिला -दक्षिण बस्तर -दंतेवाड़ा (छ.ग.) को बस्तर विकास प्राधिकरण मद के अंर्तगत 10 किसानों की भूमि पर तारबाड़ी और नलकूप ड्रिलिंग कार्यों की स्वीकृति दी गई थी। विभाग द्वारा उक्त कार्य की जिम्मेदारी अनुबंधित फर्म मेसर्स ए. जे. वेंचर, रायपुर को दी गई थी। कार्यालय महालेखाकार (लेखापरीक्षा) छत्तीसगढ़ ,रायपुर द्वारा 21 अगस्त 2025 को किए गए ऑडिट में उक्त कार्यों से संबंधित भुगतान प्रक्रिया में व्यापक पैमाने पर नियमों की अनदेखी कर फर्जी भुगतान किए जाने की पुष्टि हुई है।

👉महालेखाकार ने ऑडिट में पाई यह अनियमितता

महालेखाकार (लेखा परीक्षा ) छत्तीसगढ़ ,रायपुर के लेखापरीक्षा जाँच के दौरान, यह पाया गया कि सहायक संचालक, उद्यानिकी, दंतेवाड़ा
ने ठेकेदार मेसर्स ए. जे. वेंचर, रायपुर को बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अंतर्गत 2021-22 के दौरान स्वीकृत 10 किसानों की भूमि पर तारबाड़ी और नलकूप ड्रिलिंग कार्यों के लिए, 13 अप्रैल 2022 को जारी कार्य आदेश के आधार पर, अर्थात कार्य आदेश जारी होने के तीन साल बाद 25 जून 2025 को 20.51 लाख का भुगतान जारी किया गया । सामान्य वित्तीय नियम (जीएफआर) 2017 के नियम 47 और नियम 57 के अनुसार, सरकारी निधियों से किए गए प्रत्येक भुगतान के साथ उचित दस्तावेज, जैसे बिल, वाउचर, और कार्य पूर्णता का सत्यापन, प्रस्तुत किया जाना चाहिए। नियम 57 में विशेष रूप से यह अनिवार्य किया गया है कि भुगतान के दावे निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार तैयार किए जाने चाहिए और संबंधित व्हाउचर और प्रमाण पत्रों द्वारा समर्थित होने चाहिए। इसके अतिरिक्त, नियम 133 (1) इस बात पर ज़ोर देता है कि जब तक दावे का सत्यापन न हो जाए और वह सही न पाया जाए, तब तक कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। वाउचर या सहायक दस्तावेजों का अभाव इन प्रावधानों का उल्लंघन करता है और वित्तीय अनुशासन का उल्लंघन है। जबकि ठेकेदार द्वारा लेखापरीक्षा की तिथि (अगस्त 2025) तक उक्त कार्य के निष्पादन को प्रमाणित करने के लिए कोई व्हाउचर, बिल या सहायक दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं किए गए। इसकी पुष्टि श्री कृष्ण कुमार साहू, सहायक ग्रेड 02, और श्री राकेश देवांगन, सहायक ग्रेड 02 द्वारा हस्ताक्षरित दिनांक 17 जुलाई 2025 के कार्यभार सौंपने के नोट से हुई।

👉सामान्य वित्तीय नियमों का स्पष्ट उल्लंघन , वित्तीय अनियमितता

साथ ही लेखापरीक्षा जाँच के लिए प्रस्तुत कैशबुक से भी पता चला कि अंतिम प्रविष्टि 03 जून 2025 को दर्ज की गई थी। यह भुगतान स्थापित वित्तीय मानदंडों और प्रक्रियाओं की पूर्ण अवहेलना करते हुए किया गया था। जिनके अनुसार धनराशि जारी करने से पहले कार्य पूरा होने का सत्यापन और वैध दस्तावेज़ प्रस्तुत करना अनिवार्य है। यह गंभीर वित्तीय अनियमितता है और धोखाधड़ीपूर्ण भुगतान, सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और विभाग के कामकाज में जवाबदेही की कमी की चिंताएँ उत्पन्न करता है। इस मामले की तत्काल जाँच, बिना सत्यापन के भुगतान की गई राशि की वसूली और सरकारी हितों की रक्षा और ऐसी चूकों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की आवश्यकता है।
इस प्रकार, मेसर्स ए.जे. वेंचर, रायपुर को बिना कोई वाउचर या कार्य निष्पादन का प्रमाण प्रस्तुत किए ₹ 20.51 लाख जारी करना सामान्य वित्तीय नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है और वित्तीय अनियमितता की गंभीर चिंताएँ उत्पन्न करता है। सत्यापन के बिना ऐसा अनधिकृत भुगतान पारदर्शिता, जवाबदेही और विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन को कमजोर करता है। यह चूक विभाग के भीतर घोर लापरवाही और आंतरिक नियंत्रण की विफलता को दर्शाती है। मामले की जाँच, भुगतान की गई राशि की वसूली और संबंधित अधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय करने के लिए तत्काल कार्रवाई ज़रूरी है।

👉भुगतान प्रक्रिया की अनदेखी कर सहायक संचालक उद्यानिकी दंतेवाड़ा द्वारा व्यक्तिगत रुचि लेकर किया गया भुगतान

ऐसी अनियमितताओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए निगरानी तंत्र को मज़बूत करना और वित्तीय नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना ज़रूरी है। विभाग से अनुरोध है कि वह लेखापरीक्षा के दौरान पाई गई अनियमितता पर एक विस्तृत और लिखित जवाब प्रस्तुत करे, जिसमें विशेष रूप से उन परिस्थितियों का ज़िक्र हो जिनके तहत 13 अप्रैल 2022 के कार्य आदेश के आधार पर, ठेकेदार द्वारा कोई भी सहायक व्हाउचर व दस्तावेज़ प्रस्तुत किए बिना, मेसर्स ए.जे. वेंचर, रायपुर को 25 जून 2025 को तारबाडी और नलकूप ड्रिलिंग कार्यों के लिए 20.51 लाख रुपये का भुगतान जारी किया गया। जवाब में यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि भुगतान किस आधार पर अधिकृत किया गया था, कार्य के निष्पादन की पुष्टि के लिए अपनाई गई सत्यापन प्रणाली, और भुगतान की प्रक्रिया में ज़िम्मेदार अधिकारियों की भूमिका। इसके अतिरिक्त,
विभाग को 03 जून 2025 के बाद कैशबुक में प्रविष्टियों की अनुपस्थिति का स्पष्टीकरण देना होगा और
25 जून 2025 को किए गए भुगतान के साथ इसका मिलान करना होगा। प्रतिक्रिया में वित्तीय नियमों का पालन सुनिश्चित करने और ऐसी चूकों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाए गए या प्रस्तावित सुधारात्मक उपायों का भी उल्लेख होना चाहिए। उक्त कार्यादेश में 60 दिवस की समय सीमा में वेंडर को कार्य करने की शर्त है, कार्यादेश की शर्त अनुसार 10 प्रतिशत की राशि का भुगतान वेंडर को नहीं करना था, वेंडर को भुगतान से पहले निविदा समिति के अध्यक्ष, सदस्यों का विधिवत अनुमोदन लेना था। परन्तु भुगतान प्रक्रिया को ठेंगा दिखाते हुए सहायक संचालक उद्यानिकी दंतेवाड़ा द्वारा व्यक्तिगत रुचि लेकर भुगतान किया l तत्कालीन सहायक संचालक उद्यानिकी द्वारा निविदा शर्त की कार्यादेश की समय सीमा समाप्त होने पर डीबीटी प्रक्रिया को अपनाकर कृषकों को भुगतान किया l लेकिन वर्तमान सहायक संचालक उद्यानिकी दंतेवाड़ा द्वारा व्यक्तिगत रुचि लेकर वेंडर को भुगतान किया गया है, 21 अगस्त 2025 को ऑडिट आक्षेप लगाने के बावजूद नोडल कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग दंतेवाड़ा द्वारा मूकदर्शक बनकर संबंधित अधिकारी को संरक्षण दिया जा रहा है l अभी हाल ही में फर्जी टेंडर के मामले में पूर्व पदस्थ रहे अधिकारियों एवं लिपिकों पर निलंबन एवं गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई थी। लेकिन संबंधित प्रकरण में आज पर्यन्त कार्यवाही नहीं होना न सिर्फ विभागीय संरक्षण ,प्रोत्साहन को प्रदर्शित करता है वरन शासकीय फंड के दुरुपयोग को बल देता है।

👉मुख्यमंत्री कार्यालय ने की शिकायत की अनदेखी

महालेखाकार की ऑडिट प्रतिवेदन , व्यय आक्षेप पत्र की छायाप्रति संलग्न कर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (मुख्यमंत्री निवास) को पत्र क्रमांक 7915 दिनांक 03-11-2025 के माध्यम से पत्र लेखकर जिम्मेदार वर्तमान सहायक संचालक ,तकनीकी अधिकारी एवं शाखा लिपिक को निलंबित कर 30 दिवस के भीतर विभागीय जांच संस्थित करने आग्रह किया था।जिसकी प्रतिलिपि सचिव उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी ,संचालक उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी,कमिश्नर बस्तर संभाग जगदलपुर एवं कलेक्टर दंतेवाड़ा को दी गई थी। ताकि आगामी भविष्य में बस्तर विकास प्राधिकरण जैसे फंड के दुरुपयोग के प्रति समस्त शासकीय सेवकों में जिम्मेदारी एवं पारदर्शिता की भावना बनी रहे। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहें कि आज पर्यन्त उपरोक्त प्रकरण में कार्रवाई नहीं हो सकी।

👉तो DMF की भी जांच की दरकार

जिस तरह बस्तर विकास प्राधिकरण के फंड की लूट (फर्जी भुगतान)की सच्चाई सामने आ चुकी है ,कार्यालय सहायक संचालक उद्यान दंतेवाड़ा को जिला खनिज संस्थान न्यास से वित्तीय वर्ष 2015 -16 से 2025 -26 तक विभिन्न कार्यों के लिए प्रदाय किए गए समस्त फंड की जांच की दरकार है। उपरोक्त फंड के कार्यों में भी निविदा प्रक्रिया ,राज्य भंडार क्रय नियमों की अनदेखी की विश्वस्त सूत्रों से शिकायत मिल रही है। बस्तर जिले में भी डीएमएफ के तहत आज पर्यन्त प्राप्त फंड के बंदरबाट की दरकार है। सामुदायिक बाड़ी फेंसिंग ,कॉफी पौधरोपण ,ग्रीन शेड नेट हाउस समेत कई कार्यों में अनियमितता की लिखित शिकायत की जांच कमिश्नर कार्यालय ने दबा रखी है।

👉भ्रष्टाचारियों के मनोबल को बढ़ाने वाला

जिस तरह बस्तर विकास प्राधिकरण के तहत स्वीकृत कार्यों तारबाड़ी एवं नलकूप ड्रिलिंग कार्यों के लिए 20.51 लाख रुपए के फर्जी भुगतान के दस्तावेजी शिकायतों के बावजूद जिम्मदार अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की जा रही कहीं न कहीं भ्रष्ट अफसरों के मनोबल को बढ़ावा देगा। इससे पूर्व बस्तर संभाग के ही उत्तर बस्तर कांकेर में कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा कोरोनाकाल में जिला खनिज न्यास के 11 करोड़ रुपए से अधिक के फंड में चिकित्सा उपकरणों की खरीदी के नाम पर राज्य भंडार क्रय नियमों की अनदेखी कर फर्मों को अनुचित लाभ पहुंचाने के मामले में दोषी तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी (वर्तमान में बालोद जिले में पदस्थ) जे.एल.उइके,एवं तत्कालीन लेखापाल नरेश कौशिक के खिलाफ कलेक्टर के जांच प्रतिवेदन ,दस्तावेजी शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई।

दोनों ही मामलों में मुख्यमंत्री कार्यालय ,सचिवालय की भूमिका पर उठ रहे। इनके अलावा भी जलग्रहण मिशन के भी महासमुंद ,बालोद ,जैसे जिलों में करोड़ों के फंड के बंदरबाट की दस्तावेजी शिकायत लंबित पड़ी है। जिससे डबल इंजन की सरकार के प्रति अविश्वास की भावना उत्पन्न हो रही।