बैकुण्ठपुर। जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति की जांच में एक महिला सहायक शिक्षक (पूर्व में शिक्षाकर्मी वर्ग-3) का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के बाद उसकी बर्खास्तगी तय मानी जा रही है। समिति द्वारा मामले में स्पष्ट आदेश जारी करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कोरिया को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। आदेश के अनुपालन में डीईओ कोरिया द्वारा नियुक्तिकर्ता जनपद पंचायत बैकुण्ठपुर से संबंधित सभी दस्तावेज तलब कर लिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार इसी सप्ताह महिला शिक्षक को शासकीय सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।
बताया जा रहा है कि महिला शिक्षक विगत 16–17 वर्षों से शासकीय सेवा में कार्यरत थीं। जांच में यह सामने आया कि नियुक्ति के समय प्रस्तुत किया गया जाति प्रमाण पत्र तहसीलदार/नायब तहसीलदार बैकुण्ठपुर द्वारा जारी अस्थायी प्रमाण पत्र था, जिसकी वैधता मात्र 6 माह थी। इसके बावजूद प्रमाण पत्र की वैधता और सत्यापन किए बिना नियुक्ति दे दी गई, जो नियमों के विरुद्ध है।
👉जिला समिति के आदेश के बाद कार्रवाई टालना असंभव

जिला स्तरीय सत्यापन समिति ने न केवल बर्खास्तगी के निर्देश दिए हैं, बल्कि कार्रवाई के बाद रिपोर्ट भी तलब की है। ऐसे में मामले को दबाने की किसी भी कोशिश की संभावना नगण्य बताई जा रही है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर यह चर्चाएं जरूर हैं कि बर्खास्तगी की कार्रवाई को प्रभावित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि समिति के स्पष्ट आदेश के बाद कोई भी हस्तक्षेप संभव नहीं है।
👉17 वर्षों के वेतन की रिकवरी व FIR की मांग
शिकायतकर्ता द्वारा जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग को दिए गए आवेदन में आरोप लगाया गया था कि महिला शिक्षक ने स्वयं को अनुसूचित जनजाति का सदस्य बताते हुए नौकरी प्राप्त की, जबकि वर्ष 1950 के पूर्व बैकुण्ठपुर विकासखंड में उक्त जाति का कोई अभिलेखीय उल्लेख नहीं मिलता। इस आधार पर प्रमाण पत्र को संदिग्ध बताते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई थी।


आवेदन में यह भी मांग की गई है कि बर्खास्तगी के बाद महिला शिक्षक को अब तक शासन से प्राप्त लगभग 17 वर्षों के वेतन की रिकवरी की जाए तथा फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाए।
👉स्थायी व अस्थायी प्रमाण पत्रों में विरोधाभास
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि महिला शिक्षक द्वारा नियुक्ति के बाद अलग-अलग समय पर अस्थायी जाति प्रमाण पत्र बैकुण्ठपुर (छत्तीसगढ़) तथा स्थायी जाति प्रमाण पत्र बैतूल (मध्यप्रदेश) से प्रस्तुत किए गए, जो पूरे मामले को और अधिक संदिग्ध बनाता है। आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की कथित मिलीभगत से वे वर्षों से शासकीय सेवा का लाभ उठाती रहीं।
👉विद्यालय में अनियमितता के आरोप
महिला शिक्षक पर विद्यालय में समय पर उपस्थित न होने, बच्चों से निजी कार्य करवाने तथा शिक्षण व्यवस्था प्रभावित करने जैसे आरोप भी लगाए गए हैं। ग्रामीणों द्वारा इस संबंध में कई बार मौखिक शिकायतें किए जाने की बात भी सामने आई है।
👉फर्जीवाड़े की जड़ें गहरी होने का दावा
सूत्रों के अनुसार यह मामला केवल एक नियुक्ति तक सीमित नहीं है। आरोप है कि वर्ष 2008 के आसपास इस तरह के फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें पहले प्रयोग के तौर पर महिला शिक्षक की नियुक्ति करवाई गई और बाद में कई अन्य लोगों को भी इसी तरीके से नियुक्ति दिलाकर मोटी रकम वसूली गई। सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि यदि मामले की जांच किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा होती है, तो एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हो सकता है।
फिलहाल, जिला स्तरीय सत्यापन समिति के आदेश के बाद शिक्षा विभाग द्वारा बर्खास्तगी की कार्रवाई को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया जारी है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बर्खास्तगी के साथ आगे कानूनी कार्रवाई किस हद तक पहुंचती है।
