कोरबा-कटघोरा। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी की स्मृति में अटल परिसर के उद्घाटन/लोकार्पण कार्यक्रम को लेकर कटघोरा नगर में चर्चाओं का बाजार गर्म है। आज 25 दिसंबर को अटल जी के जन्म जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुखिया विष्णु देव साय द्वारा प्रदेश भर में अटल परिसरों के निर्माण का वर्चुअल माध्यम से भव्य उद्घाटन राजधानी रायपुर में किया गया। प्रदेश के अन्य शहरों और नगरों में जहां इस अवसर पर उत्साह और जनभागीदारी देखने को मिली, वहीं कटघोरा में स्थिति इसके ठीक उलट नजर आई। कटघोरा नगर पालिका परिषद के सामने पालिका द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कार्यक्रम स्थल पर लगाई गई कुर्सियां लगभग पूरी तरह खाली दिखाई दीं। यह दृश्य नगरवासियों के लिए चौंकाने वाला रहा और इसी के साथ कई सवाल खड़े हो गए।

स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि कार्यक्रम की सबसे बड़ी कमी यह रही कि आयोजन समिति ने नगर के गणमान्य और संभ्रांत नागरिकों से दूरी बनाए रखी। शासन के नियमानुसार ऐसे आयोजनों में समस्त जनप्रतिनिधियों, पूर्व जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों एवं नगर के प्रबुद्ध नागरिकों को आमंत्रण पत्र भेजना अनिवार्य होता है, लेकिन कटघोरा में इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर देखी जा रही है कि जिस वार्ड में अटल चौक का निर्माण किया गया, उसी वार्ड के निर्वाचित पार्षद को न तो कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया और न ही छपवाए गए आमंत्रण पत्र में उनका नाम शामिल किया गया। हालांकि समस्त पार्षद जरूर लिखा था। इसे लेकर न सिर्फ संबंधित पार्षद, बल्कि कई अन्य जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भी रोष है।
नगरवासियों का कहना है कि अटल बिहारी बाजपेयी केवल एक राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि जन-जन के प्रिय व्यक्तित्व थे। उनके नाम पर बने परिसर का उद्घाटन यदि आम लोगों की भागीदारी के बिना किया जाए, तो यह कार्यक्रम की गरिमा और उद्देश्य दोनों पर सवाल खड़ा करता है। कार्यक्रम के दौरान जनसहभागिता की कमी और खाली कुर्सियों की तस्वीरें अब नगर में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। लोग यह पूछ रहे हैं कि क्या यह आयोजन केवल औपचारिकता निभाने के लिए किया गया था, या फिर आयोजकों की लापरवाही और संकीर्ण सोच का परिणाम था? फिलहाल अटल परिसर के उद्घाटन को लेकर कटघोरा नगर में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
सोर्स -सत्यसंवाद न्यूज
