कोरबा । जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर पिछले 1517 दिनों से आंदोलनरत भू-विस्थापित किसानों को बड़ी सफलता मिली है। छत्तीसगढ़ किसान सभा (CGKS) और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के लंबे संघर्ष के बाद एसईसीएल बिलासपुर मुख्यालय ने पुराने लंबित रोजगार प्रकरण में एक भू-विस्थापित किसान को नौकरी देने की स्वीकृति जारी की। इसके बाद कुसमुंडा परियोजना के महाप्रबंधक सचिन तानाजी पाटिल ने प्रभावित किसान रघुनंदन यादव को नियुक्ति पत्र सौंपा।
नियुक्ति पत्र प्रदान करते हुए महाप्रबंधक सचिन तानाजी पाटिल ने रघुनंदन यादव को एसईसीएल परिवार में शामिल होने पर शुभकामनाएं दीं। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि जिन भू-विस्थापितों की भूमि अधिग्रहित की गई है, उन्हें नियमानुसार रोजगार देने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी। इस अवसर पर कुसमुंडा एपीएम, भू-राजस्व अधिकारी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

रोजगार आदेश की सूचना मिलते ही आंदोलन स्थल और जीएम कार्यालय के सामने छत्तीसगढ़ किसान सभा एवं भू-विस्थापितों ने मिठाइयाँ बांटकर खुशी जाहिर की। आंदोलनकारियों ने इसे वर्षों से चले आ रहे संघर्ष की बड़ी जीत बताया और स्पष्ट किया कि जब तक भूमि अधिग्रहण से प्रभावित सभी विस्थापित परिवारों को रोजगार नहीं मिल जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
उल्लेखनीय है कि कुसमुंडा कोयला खदान विस्तार के लिए वर्ष 1978 से 2004 के बीच जरहा जेल, बरपाली, दुरपा, खम्हरिया, मनगांव, बरमपुर, दुल्लापुर, जटराज, सोनपुरी, बरकुटा, गेवरा, भैसमा सहित अनेक गांवों में बड़े पैमाने पर किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। उस समय एसईसीएल की नीति जमीन के बदले रोजगार देने की थी, लेकिन बाद में नीति में बदलाव कर न्यूनतम दो एकड़ भूमि पर एक रोजगार का प्रावधान कर दिया गया, जिससे अधिकांश प्रभावित किसान रोजगार से वंचित रह गए।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा कि जिन किसानों की जमीन एसईसीएल ने अधिग्रहित की है, उन्हें स्थायी रोजगार मिलना चाहिए क्योंकि भूमि ही किसानों की आजीविका का एकमात्र साधन है। यह भू-विस्थापित किसानों के संघर्ष की जीत है और आने वाले दिनों में सभी प्रभावित खातेदारों को रोजगार दिलाने के लिए संघर्ष और तेज किया जाएगा।
