रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर राज्यसभा को लेकर हलचल तेज हो गई है। आगामी 9 अप्रैल 2026 को प्रदेश की 2 राज्यसभा सीटें रिक्त होने जा रही हैं। वर्तमान में इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के केटीएस तुलसी और फूलो देवी नेताम सांसद हैं। सत्ता समीकरणों में आए बदलाव के बाद इस बार एक सीट भाजपा और एक सीट कांग्रेस के खाते में जाने की प्रबल संभावना जताई जा रही है, जिससे दोनों दलों में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं।
👉आदिवासी और ओबीसी कार्ड पर भाजपा का मंथन
प्रदेश की कुल 5 राज्यसभा सीटों में से 2 के खाली होने के साथ ही भाजपा के भीतर रणनीतिक चर्चा शुरू हो चुकी है। पार्टी इस मौके को 2028 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देख रही है। माना जा रहा है कि भाजपा इस बार आदिवासी या ओबीसी चेहरे को आगे कर बस्तर और सरगुजा संभाग में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर सकती है। इन दोनों संभागों से जुड़े कद्दावर नेता अभी से सक्रिय नजर आने लगे हैं। पार्टी के भीतर यह मंथन जारी है कि राज्य संगठन से किसी नेता को मौका दिया जाए या फिर किसी बड़े राष्ट्रीय चेहरे पर दांव खेला जाए।
👉कांग्रेस के सामने ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ की चुनौती

कांग्रेस के लिए यह चुनाव साख और संतुलन दोनों का सवाल बन गया है। पिछली बार राज्यसभा की तीनों सीटों पर अन्य राज्यों के नेताओं को भेजने को लेकर पार्टी को ‘बाहरी बनाम स्थानीय’ के विवाद का सामना करना पड़ा था। इस बार पार्टी के भीतर से ही यह मांग जोर पकड़ रही है कि किसी छत्तीसगढ़िया नेता को ही उच्च सदन में भेजा जाए। फूलो देवी नेताम का कार्यकाल पूरा होने के बाद बस्तर क्षेत्र से नए प्रतिनिधित्व को लेकर भी अटकलें तेज हो गई हैं।
👉2028 तक का लंबा इंतजार
राज्यसभा की इस दौड़ में शामिल नेताओं के लिए यह मौका बेहद अहम माना जा रहा है। यदि इस बार दावेदारी चूक गई, तो अगला अवसर जून 2028 में मिलेगा, जब कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन और राजीव शुक्ला का कार्यकाल समाप्त होगा। ऐसे में दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेता और जमीनी कार्यकर्ता अभी से अपनी सियासी फील्डिंग जमाने में जुट गए हैं।
👉सियासी समीकरण एक नजर में
रिक्त सीटें: 02 (9 अप्रैल 2026)
वर्तमान सांसद: केटीएस तुलसी, फूलो देवी नेताम (कांग्रेस)
संभावित बंटवारा: 1 भाजपा, 1 कांग्रेस (विधानसभा संख्या बल के आधार पर)
अगली रिक्ति: 29 जून 2028 (रंजीत रंजन, राजीव शुक्ला)
राज्यसभा की इन सीटों को लेकर शुरू हुई यह सियासी हलचल आने वाले महीनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति को और गरमाने के संकेत दे रही है।
