कोरबा-पिछले साल निहारिका क्षेत्र के युवा व्यवसायी को हुआ था “ब्लैक फंगस”, पहले नागपुर फिर मुंबई में कराया ऑपरेशन…

कोरोना की पहली लहर के दौरान सितंबर 20 में हुए थे संक्रमित, पहले समझे सिनोसाइटिस की है तकलीफ, इस बीमारी का इलाज जटिल

कोरबा: म्यूकर माइकोसिस जिसे आम भाषा में ब्लैक फंगस कहते हैं, इसका शिकार पिछले साल सितंबर में कोराेना की पहली लहर के दौरान शहर का एक युवा व्यवसायी हो चुका है। सक्षम परिवार के इस युवा व्यापारी का इलाज पहले नागपुर और बाद में मुंबई में किया गया। इसे दुर्लभ बीमारी कहते हैं, लेकिन कोरोना काल में नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि खासकर डायबिटीज के मरीजों के कोरोना इलाज के दौरान यदि स्टेरायड का उपयोग हुआ है, तो उनकी आंखों में ब्लैक फंगस हो सकता है।

ऐसे दो मरीज अभी शहर के नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास इलाज करा रहे हैं। हालांकि उनमें प्रारंभिक लक्षण हैं, लेकिन यह पुष्टि नहीं हुई है कि उन्हें ब्लैक फंगस ही है। जिस युवा व्यापारी को पिछले साल ब्लैक फंगस का संक्रमण हुआ था, उन्हें नाक में तकलीफ थी। वे अभी जटिल ऑपरेशन की प्रक्रिया के बाद पूरी तरह से स्वस्थ हैं और पूर्ववत सक्रिय भी। शहर के वरिष्ठ ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. नितिश भट्ठ ने भी कहा कि उनके पास भी अब तक कोई ब्लैक फंगस का केस नहीं आया है। हां यदि किसी को आंख में इंफेक्शन या साइनोसिस जैसी तकलीफ बढ़ती हुई लगे तो उन्हें तत्काल अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

लक्षण दिखे तो तुरंत जांच कराएं : दो लोगों को आंखों में फंगस का संक्रमण, लेकिन अभी पुष्टि नहीं

नागपुर में पता चला ब्लैक फंगस, मुंबई में नाक और आंख के बीच की हड्‌डी निकाली
निहारिका क्षेत्र के 35 वर्षीय युवा व्यापारी को पिछले साल ब्लैक फंगस का संक्रमण हुआ। उन्होंने बताया वे साइनोसिटीज, जिसमें नाक से पानी बहने लगता है से प्रभावित थे। सितंबर में डॉक्टर को दिखाया। उनके दांत की पकड़ पर भी प्रभाव पड़ा था, नाक के पास का हिस्सा भी सुन्न हो जाता था। वे नागपुर के 7 स्टार हाॅस्पिटल गए, जहां उनका कोरोना टेस्ट किया। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। नाक से निकलने वाले मवाज का कल्चर टेस्ट करने के बाद डॉक्टरों ने बताया यह ब्लैक फंगस है। वहां ऑपरेशन किया। फिर जब पीड़ा होने लगी तो वे हिंदुजा हाॅस्पिटल मुंबई गए, जहां एक माह रुक कर इलाज करवाया। नाक व आंख के बीच चेहरे की एक हड्डी में संक्रमण फैला था, जिसे निकाला गया।

3 दिन में दो मरीज आए, जिनकी आंखें लाल और सूजन, जलन व खुजली की शिकायत: डॉ. दानी
वरिष्ठ आई स्पेशलिस्ट डॉ. जेके दानी ने बताया 3 दिन में उनके पास दो ऐसे मरीज आए हैं, जिनकी आंख लाल व सूजन है। जलन और खुजली की शिकायत है। इनमें से एक कोरोना पॉजिटिव हुए थे। अभी तो हम कंजरवेटिव लाइन पर इलाज कर रहे हैं। लक्षण ब्लैक फंगस के ऐसे ही होते हैं, लेकिन यह एक रेयर इंफेक्शन है। जब तक मवाद या आंख से बहते पानी का कल्चर टेस्ट न हो, तब तक तय नहीं हो सकता कि यह ब्लैक फंगस ही है। कंजेक्टिवाइटिस इंफेक्शन में भी आंखें लाल होती हैं‌। उनकी जानकारी में अब तक कोरबा में ब्लैक फंगस का कोई केस नहीं आया है।

दांत, जबड़े और नाक से जुड़े चेहरे के हिस्से को प्रभावित करता है ब्लैक फंगस: डॉ. राजीव
वरिष्ठ डेंटिस्ट डॉ.राजीव सिंह ने कहा कि ब्लैक फंगस सिर्फ आंख को प्रभावित नहीं करता। यह जबड़े, दांत व नाक से जुड़े चेहरे के हिस्से को प्रभावित करता है। डॉ. सिंह ने एक महत्वपूर्ण जानकारी यह दी कि उनके सहपाठी रहे डॉ. अतुल दधीच उन कुछ डॉक्टरों में से हैं, जो ब्लैक फंगस पर रिसर्च कर रहे हैं। उनका नासिक में दधीच म्यूकर माइकोसिस क्लीनिक है। डॉ. दधीच का कहना है यह रेयर इंफेक्शन है, लेकिन होने पर इसका इलाज जटिल है, क्योंकि चेहरे का हिस्सा इंफेक्शन में आता है, जिसके कारण इसके इलाज व ऑपरेशन में आप्थेलमोलॉजिस्ट, ईएनटी, न्यूरो फिजिशियन, प्लास्टिक सर्जन जैसे विशेषज्ञों की जरूरत पड़ती है।

रायपुर के एम्स में 15 प्रभावित मरीज भर्ती
कोरोना संक्रमण के दौरान म्यूकर माइकोसिस नाम के फंगस का इंफेक्शन अभी चिकित्सकीय जगत में चर्चा में है। डॉक्टरों के मुताबिक यह एक दुर्लभ संक्रमण है और बहुत कम लोग ही इससे संक्रमित होते हैं। आर्गेनिक कचरे और कंपोस्ट खाद में यह पाया जाता है और यदि शरीर में पहले से कोई संक्रमण हो तो यह उसे और गंभीर कर देता है। एम्स रायपुर में इस तरह के संक्रमण से प्रभावित 15 मरीज भर्ती हैं।