देखते ही मार देते हैं तीर ,जानें कहाँ रहते हैं भारत की सबसे खतरनाक आदिवासी प्रजाति

भारत का केंद्र शासित राज्य अंडमान-निकोबार द्वीप समूह 200 सालों तक ब्रिटिश राज में रहा था. इस दौरान अंग्रेज सरकार विद्रोहियों और खतरनाक अपराधियों को यहां की सेलुलर जेल भेज देती थी जिसे भारतीय कालापानी के नाम से जानते हैं. अंडमान निकोबार में 572 द्वीप हैं और इनमें से 37 द्वीप समूह में ही जनसंख्या है, बाकी खाली पड़े हैं. यहां के आदिवासी हमेशा चर्चा में रहे हैं. चलिए बताते हैं आपको इसके बारे में…

शायद ही किसी को मालूम हो कि भारत में एक ऐसी जगह है जहां रहने वाले आदिवासी काफी खतरनाक हैं. वो किसी को भी देखते ही तीर चलाना शुरू कर देते हैं. ये जगह है नॉर्थ सेंटिनल द्वीप में जो अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से केवल 50 किलोमीटर की दूरी पर है

23 वर्ग में फैले इस द्वीप में पिछले 60 सालों से इंसान रहते हैं. वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक यहां सिर्फ 10 ही घर हैं. कहा जाता है कि यहां रहने वाले आदिवासियों की संख्या 100 से भी कम है. लेकिन इस द्वीप पर रहने वाले आदिवासियों से कोई भी संपर्क नहीं बना सकता है और न ही उन पर कोई केस कर सकता है.

हालांकि इन आदिवासियों की भाषा शैली कैसी है ? वो क्या खाते-पीते हैं ? इस बारे में भी किसी को कोई जानकारी नहीं है. वर्ष 2004 में सुनामी आई थी, उस दौरान उन आदिवासियों को बचाने के लिए भारतीय कोस्ट गार्ड के हेलिकॉप्टर भेजे गए थे. लेकिन उन लोगों ने हेलिकॉप्टर को देखते ही तीर चलाना शुरू कर दिया था.

वहीं एक बार वर्ष 2006 में दो मछुआरे भटकर उस द्वीप पर पहुंच गए थे. इन आदिवासियों ने उन्हें भी जान से मार दिया था. एक अमेरिकी टूरिस्ट जॉन एलन चाऊ वहां उनसे मिलने पहुंचे थे. जिनकी हत्या भी इन आदिवासियों ने कर दी थी. अंडमान-निकोबार में एक समय मूल जनजातियों के 6 से 7 समूह पाए जाते थे. जिसमें जारवा, ओन्गे, ग्रेट अंडमानीज, सेंटिनल द्वीप पर आज भी हजारों साल पुराना इंसानी कबीला रहता है.

बताते चलें कि भारत का क्रेंद्र शासित राज्य अंडमान-निकोबार द्वीप समूह 200 सालों तक ब्रिटिश राज में रहा था. इस दौरान अंग्रेद सरकार विद्रोहियों और खतरनाक अपराधियों को यहां की सेलुलर जेल भेज देती थी जिसे भारतीय कालापानी के नाम से भी जानते हैं. यहां के आदिवासी हमेशा से ही चर्चा में रहे हैं