वॉशिंगटन । अमेरिका में जारी सरकारी शटडाउन के बीच हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। इसी बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार देर रात एक इमरजेंसी ऑर्डर जारी कर ट्रंप प्रशासन की उस अपील को मंजूरी दे दी, जिसमें पूरक पोषण सहायता कार्यक्रम (SNAP) के तहत नवंबर माह के पूर्ण खाद्य सहायता भुगतानों को रोकने की मांग की गई थी।
यह फैसला तब आया जब एक निचली अदालत ने संघीय सरकार को आदेश दिया था कि वह शटडाउन के बावजूद लाभार्थियों को पूरा मासिक भुगतान जारी करे। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह प्रक्रिया फिलहाल स्थगित कर दी गई है, जिससे लाखों निम्न-आय अमेरिकी परिवारों के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
रोड आइलैंड की एक संघीय अदालत ने पहले निर्देश दिया था कि नवंबर महीने के लिए सभी SNAP लाभार्थियों को पूरा भुगतान किया जाए। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने दलील दी कि मौजूदा फंड रिजर्व इतने बड़े वितरण के लिए पर्याप्त नहीं हैं। प्रशासन ने चेतावनी दी कि अगर यह आदेश लागू किया गया, तो सरकार के पास बाकी राज्यों के लिए धन नहीं बचेगा।
बोस्टन अपील अदालत द्वारा तत्काल राहत देने से इनकार करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस केटनजी ब्राउन जैक्सन ने हस्तक्षेप करते हुए यह आदेश दिया कि पूर्ण भुगतान फिलहाल रोके जाएं, जब तक कि अपील अदालत अंतिम निर्णय न दे दे।
👉SNAP क्या है और क्यों अहम है?

अमेरिका का प्रमुख खाद्य सहायता कार्यक्रम है, जो लगभग हर आठवें अमेरिकी नागरिक को मदद प्रदान करता है। इस योजना के तहत पात्र नागरिकों को हर महीने इलेक्ट्रॉनिक बेनिफिट कार्ड (EBT) के माध्यम से किराने का सामान खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।
औसतन एक व्यक्ति को करीब $300 प्रति माह और चार सदस्यीय परिवार को लगभग $1,000 तक का लाभ मिलता है। यह राशि उनकी आय और आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है।
👉किन राज्यों ने पहले ही जारी किए भुगतान?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले कुछ राज्यों ने तेजी से कार्रवाई करते हुए लाभार्थियों के खाते में पैसा भेज दिया था।
विस्कॉन्सिन में करीब 3.37 लाख परिवारों को $104 मिलियन की राशि वितरित की गई।
ओरेगन सरकार ने बताया कि कर्मचारियों ने “रातभर काम” करके भुगतान प्रोसेस किए ताकि कोई भी परिवार भूखा न रहे।
हवाई में भी नवंबर के भुगतान समय से पहले प्रोसेस कर दिए गए।
वहीं, कई राज्य अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आगे के दिशा-निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।
