हफ्ते में 5 की जगह 4 दिन ही करनी होगी नौकरी, 3 दिन मिलेगी छुट्टी! मोदी सरकार ला सकती है नया नियम

नई दिल्ली. कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर है. अब उन्हें काम के घंटे और दिनों में राहत मिल सकती है. जल्दी ही हफ्ते में पांच दिन की जगह 4 दिन नौकरी करनी होगी और दो दिन की जगह हफ्ते में 3 दिन छुट्टी रहेगी. देश में बने नए श्रम कानूनों (Labour Codes) के तहत आने वाले दिनों में हफ्ते में तीन दिन छुट्टी मिल सकती है. इधर केंद्र सरकार ने ट्रैवलिंग अलाउंस यानी टीए (Travel Allowance) क्लेम सब्मिशन की समय सीमा 60 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दी है. इसे 15 जून 2021 से लागू किया गया है. मार्च 2018 में केंद्र सरकार ने रिटायरमेंट पर टीए क्लेम की समय सीमा 1 साल से घटाकर 60 दिन की थी. इस समय सीमा को बढ़ाने के लिए सरकार को कई सरकारी विभाग बोल रहे थे, जिसके बाद यह फैसला लिया गया.

पांच की जगह 4 दिन करनी होगी नौकरी

नए लेबर कोड में नियमों में ये विकल्प भी रखा जाएगा, जिस पर कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से फैसला ले सकते हैं. नए नियमों के तहत सरकार ने काम के घंटों को बढ़ाकर 12 तक करने को शामिल किया है. काम करने के घंटों की हफ्ते में अधिकतम सीमा 48 घंटे रखी गई है, ऐसे में काम के दिन घट सकते हैं.

काम के घंटे 12 घंटे करने का प्रस्ताव

नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव पेश किया है. कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है. मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है. ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने की मनाही है. कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का रेस्ट देना होगा.

वेतन घटेगा और पीएफ बढ़ेगा

नए ड्राफ्ट रूल के अनुसार, मूल वेतन कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए. इससे ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन का स्ट्रक्चर में बदलाव आएगा. टेक होम सैलेरी कम हो सकती है और पीएफ का अमाउंट बढ़ सकता है. नया वेतन कोड लागू हो जाने के बाद नियोक्ताओं को सीटीसी का 50 फीसदी मूल वेतन (बेसिक सैलरी) के रूप में कर्मचारी को देना होगा. इससे पीएफ और ग्रैच्युटी जैसे अन्य घटकों के लिए कर्मचारियों का योगदान बढ़ जाएगा. न्यू वेज कोड लागू होने पर बोनस, पेंशन, वाहन भत्ता, मकान का किराया भत्ता, आवास लाभ, ओवरटाइम आदि बाहर हो जाएंगे. कंपनियों को यह निश्चित करना होगा कि बेसिक सैलरी को छोड़कर सीटीसी में शामिल किए कुछ अन्य घटक 50 फीसदी से अधिक न हो और अन्य आधे में बेसिक सैलरी होनी चाहिए.