निलंबन के प्रस्ताव के 25 दिन बाद भी प्रश्रय देती रही जिला पंचायत,शौचालय की 34 लाख के शासकीय राशि गबन के आरोपी सचिव ले आए हाईकोर्ट से स्थगन ,बोले पूर्व गृहमंत्री ननकीराम मिल बांटकर खाओ वाली पद्दति से चल रही सरकार

सिमकेंदा व पसरखेत के सचिवों के विरुद्ध एसडीएम के रिकवरी आदेश पर आगामी सुनवाई तक हाईकोर्ट ने लगाई रोक,एसडीएम बोले नहीं मिली है ऑर्डर की कॉपी ,5 पंचायतों में 580 नग शौचालय के नाम 62 लाख की हुई है गड़बड़ी

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। जनपद पंचायत कोरबा के अंतर्गत 5 ग्राम पंचायतों में 5 वर्ष पूर्व 62 लाख 64 हजार की लागत के 580 नग शौचालयों के लिए जारी शासकीय राशि के दुरुपयोग एवं वित्तीय अनियमितता की जांच प्रतिवेदन सहित आरोपी सचिवों के निलंबन के प्रस्ताव के 25 दिन बाद भी जिला पंचायत कार्यवाई की बजाए सचिवों को प्रश्रय देती रही। इस लेटलतीफी के बीच सिमकेंदा एवं पसरखेत पंचायत के तत्कालीन सचिव हाईकोर्ट से एसडीएम के कार्यवाई के विरुद्ध स्थगन आदेश लेकर आ गए । जबकि अन्य सचिवों के प्रकरण की सुनवाई बाकी है। जिले के सबसे बड़े शौचालय घोटाले के आरोपियों को प्रश्रय देने हितग्राहियों के शौचालय 5 साल बाद भी अधूरा रहने के मामले में पूर्व गृहमंत्री व रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने एक बार फिर जिला पंचायत के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि सब मिल बांटकर खाओ की पद्दति पर सरकार चल रही है।

यहाँ बताना होगा कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत वित्तीय वर्ष 2016 -17 में जिले में बड़े पैमाने पर शौचालय की स्वीकृति प्रदान की गई थी। हितग्राहियों के नाम से स्वीकृत शौचालय की निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायतों को बनाया गया था। कागजों में भले ही शत प्रतिशत शौचालय तैयार कर आंकड़े केंद्र शासन को भेजकर जिले ने निर्मल जिले ,निर्मल ब्लाक ,निर्मल ग्राम का पुरुस्कार हासिल कर लिया हो पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं । कई पँचायतें ऐसी हैं जहाँ कागजों में शौचालय तैयार कर दिए गए हैं। तो कहीं गुणवत्ता हीन अमानक शौचालय तैयार कर दिए गए हैं।शहर के सामाजिक कार्यकर्ता बिहारी लाल सोनी की शिकायत एवं हसदेव एक्सप्रेस न्यूज की पहल के बाद ऐसे ही जनपद पंचायत कोरबा के अंतर्गत आने वाले 5 ग्राम पंचायतों की गड़बड़ी 5 साल बाद उजागर हुई है । ग्राम पंचायत सिमकेंद मदनपुर ,पसरखेत ,कछार एवं फुलसरी में वित्तीय वर्ष 2016 -17 में स्वीकृत 580 नग शौचालयों में तत्कालीन सरपंच सचिवों ने वित्तीय अनियमितता की है। 12 हजार रुपए प्रति हितग्राही की दर से शौचालय तैयार करने राशि पँचायत के खाते में जारी की गई थी।वहीं कुछ पंचायतों में सीएसआर से भी व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। प्राप्त दस्तावेज अनुसार इनमें से 48 लाख 84 हजार की लागत के 407 नग शौचालय तैयार ही नहीं हुए वहीं 17 लाख 76 हजार के 148 शौचालयों में तकनीकी खामियां पाई गई हैं। इसी तरह हितग्राही द्वारा निर्मित 4 नग शौचालयों के लिए एंजेसी ग्राम पंचायत ने उन्हें 48 हजार प्रदान नहीं किए। यही नहीं 2 लाख 52 हजार की लागत के 21 नग शौचालयों की सूची में नाम ही नहीं मिले। इस तरह 62 लाख 64 हजार की लागत के 580 शौचालयों में भी गड़बड़ी पाई गई है। जांच प्रतिवेदन अनुसार तत्कालीन सचिवों द्वारा शासकीय राशि का दुरूपयोग एवं वित्तीय अनियमितता किया जाना पाया गया है। लिहाजा अनुशासनात्मक कार्यवाई के तहत सीईओ जनपद पंचायत कोरबा ने सभी दोषी सचिवों के निलंबन का प्रस्ताव 23 जुलाई 2021 को कार्यालय जिला पंचायत सीईओ को भेज दिया था । लेकिन जिला पंचायत के अधिकारी आरोपी अपने ही अधिकारी के जांच प्रतिवेदन पर सवाल उठाते हुए 25 दिनों तक प्रश्रय देते रहे। इस बीच सिमकेंदा व पसरखेत के तत्कालीन सचिव
एसडीएम कोरबा के कार्यवाई के विरुद्ध 18 अगस्त को स्थगन आदेश लेकर आ गए ।
एसडीएम कोरबा ने जनपद पंचायत के जांच प्रतिवेदन के आधार पर आरोपी सचिवों को
7 दिवस के भीतर वसूली योग्य शासकीय राशि
जमा करने नोटिस जारी किया था। राशि जमा नहीं करने के एवज में पंचायत राज अधिनियम की धारा 92(1)(2)(3)(5)के तहत कार्यवाई की चेतावनी दी गई थी। जिसमें धारा 92(2)के तहत शासकीय धन का संदाय नहीं करने अथवा इंकार करने पर 1 माह तक सिविल कारागार में परिरुद्ध किया जाना प्रस्तावित था। इस वसूली की कार्यवाई के विरुद्ध सभी 5 पंचायतों के तत्कालीन सरपंच व सचिवों ने हाईकोर्ट में रिट पिटीशन छत्तीसगढ़ सरकार व अन्य के विरुद्ध अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया था। उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायधीश पी सेम कोशी के द्वारा सिमकेंदा ,पसरखेत के प्रकरण में स्थगन आदेश दिया गया है शेष प्रकरण का निर्णय आना अभी बाकी है।

बोले ननकी रमन राज से शुरू हुई दोषी सचिवों को बचाने का सिलसिला बघेल राज में भी जारी

भाजपा शासनकाल में हुए इस गड़बड़ी के प्रकरण में पूर्व गृहमंत्री व रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने एक बार राज्य सरकार व जिला प्रशासन को घेरा है । उन्होंने कहा है कि हितग्राहियों का कागजों में शौचालय बना दिए गए। जांच में 5 साल बीता दिए।जांच प्रतिवेदन आने के बाद बचाव का अवसर देते रहे। सब मिल बांटकर खाओ वाली पद्धति चल रही। रामपुर विधायक श्री कंवर ने कहा कि उन्होंने चुनाव से पूर्व जिले में 50 प्रतिशत शौचालय कागजों में बनाकर ओडीएफ घोषित करने के मामले को लेकर मंत्री व कलेक्टर के दौरे के दौरान उठाया था। उस दौरान भी कुछ नहीं हुई,बघेल सरकार भी उसी राह पर है ,दोषी सचिवों को संरक्षण दे रही है।

इनके निलंबन का भेजा गया था प्रस्ताव

शौचालय निर्माण में गड़बड़ी करने वाले तत्कालीन सरपंच सचिवों से 62 लाख 64 हजार रुपए शासकीय राशि की रिकवरी होगी। ग्राम पंचायत सिमकेंदा से तत्कालीन सरपंच श्रीमती महेश्वरी राठिया एवं सचिव सुरेश खूंटे गबनकारियों में सबसे ऊपर हैं। राशि आहरित करने के बाद भी 252 नग शौचालय तैयार नहीं करने वाले सचिव सुरेश खूंटे सहित तत्कालीन सरपंच से 30 लाख 24 हजार की रिकवरी होनी थी। वर्तमान में चाकामार पंचायत में पदस्थ सचिव सुरेश खूंटे के निलंबन का प्रस्ताव भेजा गया था। मदनपुर से तत्कालीन सरपंच श्रीमती चन्द्रोबाई एवं सचिव कैलाश कुमार राठिया से 43 नग शौचालय के लिए 13 लाख 44 हजार की रिकवरी होनी थी । सचिव के निलंबन का प्रस्ताव भेजा गया था । ग्राम पंचायत पसरखेत से तत्कालीन सरपंच सीताराम राठिया एवं सचिव परदेशी राम केंवट से 32 नग शौचालय के लिए 4 लाख 8 हजार की रिकवरी होनी थी। वर्तमान में बरपाली में पदस्थ सचिव परदेशी राम केंवट के निलंबन का प्रस्ताव भेजा गया था। ग्राम पंचायत कछार से तत्कालीन सरपंच जगेश्वर सिंह कंवर सहित जिम्मेदार सचिवों बदन सिंह कंवर,कृष्ण कुमार तंवर से 139 नग शौचालय के लिए 11 लाख 28 हजार की रिकवरी होनी थी। बदन सिंह कंवर वर्तमान धनगांव सचिव के पद पर पदस्थ हैं। दोनों सचिवों के निलंबन का प्रस्ताव भेजा गया था। इसी तरह ग्राम फुलसरी से तत्कालीन सरपंच झुलाई बाई एवं सचिव रामप्रसाद यादव से 41 शौचालय निर्माण में अनियमितता के लिए 3 लाख 60 हजार रुपए की रिकवरी होनी थी। सचिव के निलंबन के लिए प्रस्ताव भेजा गया था।

तो क्या जांच ही है गलत ,शुरू हो जाएगा हाईकोर्ट जाने का सिलसिला

जिस तरह शासकीय राशि के दुरुपयोग के आरोप के बाद जिम्मेदार विभागों पर प्रश्रय देने का आरोप लग रहा है वो वाकई शासन की चिंता बढाने वाली है। शासकीय राशि की बर्बादी /अनियमितता को रोकने सार्थक कदम नहीं उठाए जा रहे । इस पूरे प्रकरण में अगर सचिव दोषी नहीं है तो ये सवाल उठता है कि आखिर दोषी कौन हैं। किनसे 580 हितग्राहियों के 62 लाख के शासकीय राशि की वसूली की जाएगी। अगर जांच प्रतिवेदन सही नहीं है तो क्या जिला पंचायत को जनपद पंचायत के अपने ही अधिकारियों से भरोसा उठ गया है। इस पूरे प्रकरण में शिकायतकर्ता बिहारी लाल सोनी भी निराश हैं। उन्होंने भी प्रकरण में दोषियों पर उचित कार्यवाई के लिए अपना संघर्ष जारी रखने की बात कही है। वहीं यह आशंका जताई जा रही है जिला पंचायत के ऐसे रवैये से भ्रष्टाचार को और बल मिलेगा। आने वाले समय में अन्य सचिव भी इसी राह पर चलेंगे।

वर्जन

नहीं आई है आर्डर की कॉपी

प्रकरण में स्थगन मिलने की जानकारी समाचार पत्रों से ही मिली है। हमारे पास अभी हाईकोर्ट के आर्डर की कॉपी नहीं है। उसे देखने के बाद ही यह बता पाएंगे कि हाईकोर्ट ने प्रकरण में किस तरह का आदेश दिया है।

सुनील नायक, एसडीएम कोरबा