एसईसीएल की चारों खदान बंद करने आज बनेगी रणनीति, मलगांव में जुटेंगे ग्रामीण

ग्रामीणों ने कहा-अब अनदेखी बर्दास्त नहीं


कोरबा। भू विस्थापितों की समस्या निराकरण पर ध्यान नहीं दे रहे एसईसीएल के रवैये से आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अब जिले की चारों कोयला खदानों को बंद करने की रणनीति पर काम किया जाएगा। इसके लिए आज सुबह 11 बजे सभी भू विस्थापितों की बैठक होगी। दीपका परियोजना प्रभावित ग्राम मलगांव के धरना प्रदर्शन स्थल पर होने वाली बैठक में प्रभावित गांवों के सरपंच भी शामिल होंगे।

बता दें कि ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति द्वारा 15 सूत्रीय मांगों को लेकर 3 अक्टूबर से चलाये जा रहे अनिश्चित कालीन आंदोलन के समर्थन में अब आसपास के सभी गांवों में सम्पर्क अभियान चलाया जा रहा है। नराईबोध ,उमेदी भाटा , भिलाई बाजार, बरभाटा , मुढ़ियानार आदि ग्रामो में बैठकों में एकजुटता दिखी है। भूविस्थापितो ने अपने बेहतर भविष्य की मांग को पूर्ण समर्थन देते हुए आंदोलन को आगे बढ़ाने का जिम्मा लिया है। उन्होंने कहा है आगामी दिनों में खदान को पूरी तरह से ठप्प करने के लिए वो हर तरह से तैयार हैं।
समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि 31 अक्टूबर को प्रात: 11 बजे दीपका परियोजना के ग्राम मलगांव में जहां आंदोलन जारी है, वहां पर ग्रामवासियों की बैठक रखी गई है। इस बैठक में कोरबा, कुसमुंडा, दीपका व गेवरा खदान बंद करने की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री भी आए और चले गए पर नहीं ली सुध
अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने कहा है कि भू विस्थापितों के आंदोलन के दौरान ही देश के कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी दीपका, कुसमुंडा खदान का निरीक्षण करने पहुंचे। उनके लिए कोयला संकट दूर करना एक मुद्दा था लेकिन जिन भूमिपुत्रों की जमीन पर खदान खोली गई है, उनके जख्मों पर मरहम लगाने की जरूरत न तो उन्होंने समझी और ना ही एसईसीएल के अधिकारी समझ रहे हैं। सब्र का बांध फूटने लगा है जिसके लिए एसईसीएल सहित स्थानीय प्रशासन की उदासीनता जिम्मेदार है।