मार्कफेड की लापरवाही पड़ी भारी, पड़ोसी जिला जांजगीर पर रहे मेहरबान, जिले में भिगने छोड़ दिया 60 करोड़ का धान,बेमौसम बारिश ओलावृष्टि की मार धान खरीदी व्यवस्था पर पड़ रही, बुधवार को बंद रहा अभियान ,धान बेचने नहीं पहुंचे किसान

990 किसानों ने 43 हजार क्विंटल धान बेचने कटाया था टोकन,अब टोकन होगा एक्सटेंड

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। (भुवनेश्वर महतो) मार्कफेड की लापरवाही अब समिति प्रबंधकों पर भारी पड़ रही है। खुद के (कोरबा) जिले में पर्याप्त धान होने के बाद भी जांजगीर जिले में खरीदे गए धान के उठाव के लिए डीओ जारी करने की वजह से कोरबा जिले में 3 लाख 13 हजार 789 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 60 करोड़ 75 लाख 87 हजार 48 रुपए का धान जाम पड़ा है। पहली बार दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में धान उठाव की गति महज 50 फ़ीसदी रह गई है। पश्चिमी विक्षोभ की वजह से प्रदेश में बिगड़े मौसम का असर उपार्जन केंद्रों में रखे इस धान पर पड़ेगा । बेमौसम बारिश ओलावृष्टि की वजह से फड़ गीले होने के कारण बुधवार को जहां धान खरीदी का कार्य पूर्ण रूप से बंद रहा। किसान उपार्जन केंद्रों तक नहीं पहुंचे वहीं धान का उठाव भी पूरी तरह बाधित रहा।

यह बताना होगा कि पूरे प्रदेश में 1 दिसंबर से 31 जनवरी 2022 तक नगर एवं लिंकिंग व्यवस्था के तहत समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की जा रही है। जिले के 41 समितियों के 55 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से धान खरीदी का कार्य सतत रूप से जारी है ।इस साल जिले को 15 लाख 54 हजार क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य दिया गया है। 38 हजार 222 पंजीकृत किसानों के माध्यम से यह लक्ष्य पूरा जाएगा। 28 दिसंबर तक की स्थिति में जिले के सभी 55 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से 6 लाख 40 हजार 101 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की कीमत 124 करोड़ 17 लाख 96 हजार 328 रुपए की है। लेकिन इस साल मार्कफेड की लापरवाही की वजह से जहां धान खरीदी की शुरुआत से ही किसानों को समिति प्रबंधकों को पुराने कटे-फटे बारदानों की वजह से धान खरीदी के कार्य में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वही अब धान का समय पर उठाव नहीं होने की वजह से भी समिति प्रबंधकों की परेशानी बढ़ गई है। पिछले 4 साल से कोरबा जिला शत-प्रतिशत धान परिदान करता आ रहा है जीरो शार्टेज की परंपरा बनी रही है लेकिन मार्कफेड की लचर परिवहन व्यवस्था की वजह से इस साल यही स्थिति बिगड़ सकती है। दिसंबर माह बीतने को है लेकिन पहली बार जिले के धान उपार्जन केंद्रों में उठाव की गति 50 फ़ीसदी ही रही । जबकि हर साल इस समयावधि में 75 फ़ीसदी से अधिक धान का उठाव कर लिया जाता रहा है। डीएमओ सुश्री जान्हवी जिल्हारे ह इसके पीछे भले ही इस साल धान की आवक बढ़ने का तर्क दे रही हैं लेकिन लचर परिवहन की वास्तविकता से नहीं बच सकतीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में जहां 3 लाख 13 हजार 789 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 60 करोड़ 75 लाख 87 हजार 48 रुपए का धान उठाव के इंतजार में उपार्जन केंद्रों में खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है वहीं मार्कफेड द्वारा पड़ोसी जिले जांजगीर में खरीदे गए ध उठाव 6 लाख क्विंटल धान के उठाव के लिए राइस मिलरों को बैंक गारंटी के अनुपात में डीओ जारी कर दिया गया है। खुद के घर में समस्या बनी हुई है और पड़ोसी के घर की समस्या सुलझाने की कहावत चरितार्थ हो रही है। पश्चिमी विक्षोभ की वजह से मंगलवार से बिगड़े मौसम ने इस समस्या को और बढ़ा दी है ।ओलावृष्टि एवं बदली की वजह से उपार्जन केंद्रों में रखे करोड़ों रुपए के धान की रखवाली की चिंता समिति प्रबंधकों को सता रही है । करोड़ों रुपए के धान कहीं मार्केफेड की लापरवाही एवं मौसम की मार की भेंट न चढ़ जाए।

नए उपार्जन केंद्र चबूतरा विहीन ड्रेनेज तक पहुंचा पानी ,बढ़ी चिंता

सबसे ज्यादा चिंता इस साल नए उपार्जन केंद्रों में बनी हुई है ।इस साल जिले में 6 नए उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं ।इनमें नवापारा समिति से बेहरचुआँ ,जवाली समिति से रंजना ,जटगा समिति से तुमान ,पाली समिति से नुनेरा हरदी बाजार समिति से नोनबिर्रा एवं लाफा समिति से सपलवा नए उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं जहाँ इस साल 1 दिसंबर से धान खरीदी का कार्य सतत रूप से जारी है। धान खरीदी शुरू होने के महज एक पखवाड़े पहले स्वीकृत किए गए इन उपार्जन केंद्रों में चबूतरा तैयार नहीं किया जा सका है ड्रेनेज(भूंसे की बोरी की छल्ली)में उपार्जन केंद्र में खरीदे गए धान को रखकर खरीदी की जा रही। लेकिन तेज बारिश में ड्रेनेज भी दम तोड़ देता है। उपार्जन केंद्र बेहरचुआं में समिति के लाख प्रयासों के बावजूद बरसात में फड़ में भरा पानी ड्रेनेज तक पहुंचने लगा है। जिससे यहां रखे हुए 13 हजार 476 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 1 करोड़ 94 लाख 5 हजार 440 रुपए के जाम धान पर खतरा मंडरा रहा है। मार्कफेड ने अगर इस उपार्जन केंद्र में खरीदे गए धान के उठाव में जरा सी भी दिलचस्पी दिखाई होती तो आज यह स्थिति निर्मित नहीं होती ।यहां कुल 15 हजार 356 क्विंटल धान की खरीदी हुई है जिसमें से महज 18 80 क्विंटल धान का ही उठा हुआ है इस तरह देखें तो महज 12 फ़ीसदी धान का ही उठाव हो सका है जो अपने आप में मार्कफेड के बेहतर धान उठाव के दावों की हवा निकाल रहा है। अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहा है।किस तरह जिले के अंतिम छोर पर बसे उपार्जन केंद्रों में खरीदे गए करोड़ों रुपए के शासकीय धान को मौसम की मार की भेंट चढ़ने का इंतजार किया जा रहा है।

नहीं पहुंचे किसान टोकन होगा एक्सटेंड ,फड़ गीले उठाव के लिए वाहन भी नहीं पहुंचे

मंगलवार की रात हुई झमाझम बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से अधिकांश धान उपार्जन केंद्रों में पानी भरा हुआ है तो कई गीले हैं जिसकी वजह से बुधवार को धान बेचने के लिए टोकन कटाने वाले किसान खबर लिखे जाने तकबेहरचुआं ,रामपुर ,नवापारा ,फरसरवानी ,चैतमा ,सिरमिना ,सोहागपुर,तुमान सहित अन्य केंद्रों में किसान धान बेचने उपार्जन केंद्र नहीं पहुंचे थे।29 दिसम्बर के लिए जिले के 55 उपार्जन केंद्रों में धान बेचने 990 किसानों ने टोकन कटाया था। किसानों द्वारा 43 हजार 55.6 क्विंटल धान बेचा जाना था लेकिन समिति प्रबंधकों का कहना है कि खराब मौसम को देखते हुए आगामी दो दिनों तक किसानों के आने की उम्मीद नहीं के बराबर है हालांकि समिति प्रबंधकों का कहना है कि टोकन को एक्सटेंड कर दिया जाएगा जिससे आने वाले दिनों में किसान अपना धान बेच सकेंगे । इसका खामियाजा धान खरीदी के अंतिम समयावधि में देखने को मिलेगा जब तय मियाद से अधिक मात्रा में टोकन करने की वजह से धान खरीदी के कार्य में थोड़ी दिक्कतें आएंगी।यही नहीं फड़ गीले होने की वजह अधिकांश उपार्जन केंद्रों तक उठाव के लिए राइस मिलरों के वाहन भी नहीं जा सकते।

नान में नहीं लिया जा रहा चावल एफसीआई की लगानी पड़ रही दौड़

डीएमओ की मानें तो इस साल अभी तक नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में चावल जमा लिए जाने की व्यवस्था शुरू नहीं की गई है। एफसीआई के गोदामों में कस्टम मिलिंग के चावल जमा कराए जा रहे हैं जिसकी वजह से जिले के राइस मिलरों को सक्ति ,बाराद्वार एवं नैला स्थित एफसीआई के गोदामों की दौड़ लगानी पड़ रही है। अगर नान के गोदामों में चावल लिए जाने की व्यवस्था शीघ्र शुरू नहीं की जाएगी तो यही स्थिति आगे चलकर और बिगड़ सकती है।

डीएमओ का दावा 6 लाख नग नए बारदाने मिले ,पर उपार्जन केंद्रों में नजर नहीं आते

गत वर्ष की तरह पुराने बारदानों के माध्यम से ही धान खरीदी किए जाने के संबंध में हसदेव एक्सप्रेस से चर्चा के दौरान जिला विपणन अधिकारी सुश्री जान्हवी जिल्हारे ने बताया कि इस साल जिले को 6 लाख नग नए बारदाने प्राप्त हो चुके हैं 1लाख नग नए बारदाने आजकल में पहुंचने की संभावना है ।जिले में कुल 38 लाख नग ने बारदाने की जरूरत है। लिहाजा यह उम्मीद जताई जा रही है कि अधिकाधिक संख्या में नए बारदाने अभी जिले को और मिलेंगे। जिला विपणन अधिकारी के इन दावों को मान भी लिया जाए तो भी प्रखर की पड़ताल में एक भी उपार्जन केंद्रों में अभी तक नए बार दाने नजर नहीं आए।

इन उपार्जन केंद्रों में सबसे ज्यादा दिक्कत

जिले के 10 उपार्जन केंद्रों में सबसे ज्यादा स्थिति बिगड़ चुकी है । इन उपार्जन केंद्रों में 10 हजार क्विंटल से अधिक धान उठाव के लिए पड़े हुए हैं। इन उपार्जन केंद्रों में अखरापाली, उतरदा ,रामपुर,भैसमा ,कोरकोमा ,सिरमिना ,दूरपा ,नवापारा ,तुमान एवं बेहरचुआं शामिल है। जल्द ही यहां धान के उठाव की गति में तेजी नहीं लाई गई तो धान खरीदी बंद होने की स्थिति निर्मित हो सकती है।

वर्जन

आवक बढ़ी है उठाव की स्थिति बेहतर है

गत वर्ष की तुलना इस साल धान खरीदी की आवक बढ़ी है जिसकी वजह से यही स्थिति निर्मित हुई है। राइस मिलरों को बीजी के अनुपात में डाले गए रिक्वेस्ट के आधार पर मुख्यालय द्वारा जांजगीर जिले के लिए ऑनलाइन डीओ जारी किया गया है उस दौरान कोरबा जिले में बीजी के अनुपात में पर्याप्त धान नहीं थे । फिर भी कोरबा जिले में धान की उठाव की गति प्रदेश के सभी जिलों की तुलना बेहतर है हम पूरे प्रदेश में तीसरे पायदान पर हैं। धान की सुरक्षा की जिम्मेदारी समिति प्रबंधकों की है। इस साल 6लाख नए बारदाने मिल चुके हैं एक लाख बारदाने आजकल में प्राप्त हो जाएंगे।

सुश्री जान्हवी जिल्हारे ,डीएमओ