कोरबा। एसईसीएल कुसमुंडा खदान से प्रभावित गांव मनगांव व भैसमाखार के भूविस्थापितों को नियमानुसार बसाहट देने की मांग मुखर होने लगी है। गुरुवार को माकपा ने एसईसीएल कुसमुंडा के महाप्रबंधक को इस बाबत ज्ञापन सौंपा ।
माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि दोनों गांवों की सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान बरकरार रहे इसके लिए दोनों गांव की बसाहट को आपस में नहीं मिलाया जाए। पुनर्वास नियमों के मुताबिक अलग-अलग अस्पताल, मनोरंजन गृह, श्मशान घाट, गौठान, बिजली, पानी, सड़क, देवस्थलव पार्क की बुनियादी सुविधाएं एसईसीएल प्रबंधन मुहैया कराए। भूविस्थापित परिवारों के बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने, इन गांवों की महिलाओं का समूह बनाकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल करने, पुनर्वास ग्राम मनगांव के लिए बने तालाब में यहां की महिला समूह को मछली पालन के कार्य के लिए अनुदान व सहयोग दी जाए।
बसाकर बुनियादी सुविधाओं की सुध नहीं ले रहे
माकपा नेताओं ने बताया कि दोनों ही गांव के भूविस्थापितों को ग्राम कुचेना के पास बसाया गया। लेकिन इसके बाद बुनियादी सुविधाएं दिलाने की ओर ध्यान नहीं दिया गया। जबकि पुनर्वास नीति के अनुसार बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। एसईसीएल कुसमुंडा ने मनगांव की जमीन साल 1982 और भैंसमाखार की जमीन साल 1996 में अधिग्रहित किया था। लेकिन आज तक दोनों ही गांव में बुनियादी सुविधाओं को लेकर एसईसीएल प्रबंधन ने गंभीरता नहीं दिखायी। जिन्हें बसाहट नहीं मिला है उन्हें भी नियमानुसार जमीन आवंटित करने की भी मांग हुई है।