कोरबा।जिले में हरदीबाजार-तरदा बाईपास चाम्पा-कोरबा-छुरी-कटघोरा फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहण के मामले में गड़बड़ी कर शासन को आर्थिक क्षति पहुँचाने के मामले में पुलिस ने अलग-अलग कुल 2 अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।
कलेक्टर रानू साहू के प्रतिवेदन पर पहले हरदीबाजार-तरदा बाईपास सड़क के भू अर्जन में गड़बड़ी के मामले में धारा 420, 120 बी के तहत अपराध दर्ज किया गया। इसके पश्चात राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 149-बी चाम्पा-कोरबा-छुरी-कटघोरा फोरलेन सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण और मुआवजा के मामले में की गई शिकायत पर जांच उपरांत पाए गए तथ्यों के आधार पर कलेक्टर के प्रतिवेदन पर जिला पुलिस अधीक्षक के मार्गदर्शन में उपरोक्त धाराओं के तहत ही एक और एफआईआर कोतवाली में दर्ज कर ली गई है। दूसरे मामले में पाली-तानाखार विधायक मोहितराम केरकेट्टा एवं कटघोरा विधायक पुरूषोत्तम कंवर द्वारा की गई संयुक्त शिकायत पर एफआईआर हेतु प्रतिवेदन पुलिस अधीक्षक को प्रेषित किया गया था। शिकायत है कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 149-बी चाम्पा-कोरबा-छुरी-कटघोरा फोरलेन सड़क निर्माण में तहसील कोरबा, कटघोरा एवं दर्री के कुल 50 ग्रामों में 500 वर्ग मीटर से कम का टुकड़ा करके जमीन की खरीदी-बिक्री, बिना चौहद्दी के रजिस्ट्रियां की गई हैं। जिला पंजीयक द्वारा उक्त 50 ग्रामों में 200 से अधिक रजिस्ट्रियां होने की जानकारी दी गई है।
जांच में पुलिस को कितना सहयोग मिलेगा!
जमीन अधिग्रहण और मुआवजा की गड़बड़ियों के मामले में कलेक्टर के प्रतिवेदन पर पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज तो कर लिए हैं लेकिन इसके बाद पूरे मामले की विवेचना भूसे के ढेर में सुई खोजने के समान है। इससे भी बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि पुलिस को पूरी जांच-पड़ताल में राजस्व विभाग का कितना और किस हद तक सहयोग प्राप्त होगा।
ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि जमीनों की कूट रचना कर धोखाधड़ी पूर्वक बिक्री, सरकारी जमीनों का हेरफेर, भुईयां पोर्टल में छेड़छाड़ कर जमीनों को बेचने के मामले हों या चंद पटवारियों के द्वारा जमीनों का नंबर इधर-उधर करने का मामला, पूर्व के दर्ज अपराधों में कई मामले इसीलिए आगे नहीं बढ़ पाए हैं क्योंकि राजस्व विभाग का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल सका है। ऐसे आधा दर्जन से अधिक प्रकरण हैं जिनमें पीड़ित को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी तब जाकर एफआईआर दर्ज हुए। ऐसे मामले जिनमें तथ्यों के आधार पर एफआईआर हुई है लेकिन आरोपी नामजद नहीं है फिर भी पुलिस को पटवारियों/राजस्व कर्मियों के विरोध का सामना करना पड़ा है। सामान्य से लेकर हाई प्रोफाइल धोखाधड़ी की जांच ठंडे बस्ते में है। जिला प्रशासन वर्तमान के भू-अर्जन वाले मामलों में पुलिस की जांच के लिए राजस्व विभाग की ओर से किस हद तक मदद उपलब्ध करा पाएगा यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, क्योंकि जमीनों का हेरफेर,खसरा नंबरों को पीछे से आगे सड़क पर लाने का खेल, राजस्व कर्मियों के बगैर संभव नहीं। ईमानदारी से बिना किसी दबाव के और निष्पक्ष जांच हुई तो सफेदपोशों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों तक के बेनकाब होने की संभावना बनी हुई है। सूत्रों के मुताबिक कटघोरा व छुरी के दो बड़े व्यापारी भी इस जांच की जद में हैं जिन्होंने इस जमीन के खेल में बड़ा वारा-न्यारा किया है।हालांकि अभी किन किन लोगों के विरुद्ध अपराध दर्ज हुआ है पुलिस ने इसका खुलासा नहीं किया है ,लेकिन इस कार्रवाई के बाद संबंधितों की नींद उड़ गई है। लोगों की निगाहें पुलिस की वैद्यानिक कार्रवाई से लेकर प्रकरण में दोषियों के नाम उजागर होने पर टिकी हुई है।