केंद्र सरकार ने कहा कि देश में कोरोना के जिन पांच टीकों के परीक्षण चल रहे हैं, उनसे सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। हालांकि, सरकार दूसरे देशों के टीका निर्माताओं के संपर्क में भी है, जिनके परीक्षण अंतिम चरण में हैं।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में पांच टीकों के परीक्षण विभिन्न चरणों में चल रहे हैं। सीरम इंस्टीट्यूट में आस्ट्रेजेनेका टीके के तीसरे चरण का परीक्षण करीब-करीब पूरा हो चुका है। सिर्फ फॉलोअप रह गया है। भारत बॉयोटेक और कैडिला के तीसरे चरण के परीक्षण शुरू हो चुके हैं। रूस में निर्मित टीके स्पुतनिक के दूसरे-तीसरे चरणों के परीक्षणों की अनुमति दी जा चुकी है।
रेड्डी लेबोरेटरी जल्द इन्हें शुरू करेगा।
इसके अलावा एक अन्य टीके का परीक्षण बाइलाजिकल-ई द्वारा जल्द शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन पांच टीकों से बड़ी उम्मीदे हैं। इसके अलावा मॉर्डना और फाइजर के टीके को लेकर भी अच्छी खबरें हैं, लेकिन इन टीकों को अभी कहीं भी लाइसेंस नहीं मिला है। भारत सरकार इनके संपर्क में है।
एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. वीके पॉल ने कहा कि फाइजर के टीके के लिए माइनस 70-80 डिग्री की कोल्ड चेन की जरूरत होती है। इस टीके के लिए यह इंतजाम करना मुश्किल होगा। दूसरे यह भी देखना होगा कि हमें इस टीके की डोज पहले मिल पाती है या नहीं। यदि मिलती हैं तो कितनी मिलेंगी। फिर भी हम यह देख रहे हैं कि यदि यह टीका मिलता है तो इसके लिए हम कैसे यह इंतजाम कर पाएंगे।
डॉ. पॉल ने कहा कि टीकों को लेकर उम्मीदें बनी हुई हैं, लेकिन उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक का बयान भी याद दिलाया कि टीका सिर्फ एक जरिया है। सिर्फ टीके से बीमारी से पूरी तरह से बचाव नहीं हो सकता है। इसलिए सावधानियां आगे भी बरतनी होंगी।