छत्तीसगढ़ का पहला उपतहसील जहां पक्षकारों को पेशी में शामिल होने नायब तहसीलदार को खुद लगानी पड़ती है आवाज ,दीपका में अमले की कमी की वजह से प्रभावित हो रहे राजस्व सम्बंधी कामकाज

औद्योगिक क्षेत्र होने की वजह से आए दिन हो रहे प्रदर्शन से कार्यपालिक दण्डाधिकारी ड्यूटी में गुजर जाता है वक्त

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो )। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से उपतहसील दीपका को तहसील की सौगात तो मिल गई पर शासन यहां कर्मचारियों की पदस्थापना करना ही भूल गया। सेटअप व आवश्यकता अनुरूप आधे से भी कम स्टाफ होने की वजह से जहां राजस्व कार्य समय पर संपादित नहीं हो पा रहे वहीं हालात इस कदर बन आए हैं कि नायब तहसीलदार को पेशी में पक्षकारों को हाजिर होने स्वयं पुकारना पड़ता है।

यहां बताना होगा कि प्रदेश के मुखिया की घोषणा के बाद अब जिले में सभी उप तहसील ,तहसील बन गए ,तहसीलों की संख्या 9 की जगह 12 हो गई। तहसील के रूप में अस्तित्व में आते ही कटघोरा तहसील से पृथक दीपका ,कोरबा तहसील से पृथक होने वाले भैसमा ,पोंडी उपरोड़ा तहसील से पृथक होने वाले पसान के अधीन आने वाले राजस्व ग्रामों का तेजी से विकास होगा ,राजस्व कार्यों के लिए भू -स्वामियों किसानों को लंबी दूरी की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। नवगठित दीपका तहसील में शामिल 3 राजस्व निरीक्षक मंडल के 16 पटवारी हल्कों के अंतर्गत 59 प्रस्तावित गांवों का चंहुमुखी विकास होगा।लेकिन इनमें सबसे अधिक कार्यभार वाले दीपका उपतहसील में अमले की कमी की वजह से कार्य प्रभावित हो रहा है।शासन तहसील की घोषणा करने के बाद यहां आवश्यकता अनुरूप अमले की पदस्थापना करना ही भूल गया। यहां नायब तहसीलदार के अलावा मात्र दो लिपिक ( रीडर सुरेश कुमार सुमन ,एवं सहायक रीडर रामेश्वर कंवर ) व एकमात्र भृत्य सेवाएं दे रहे हैं। यहां प्रतिमाह औसतन 150 -200 न्यायालयीन राजस्व प्रकरण लगे रहते हैं। जिनमें नामांतरण ,फौती नामांतरण ,बैमाना रजिस्ट्री के प्रकरणों की संख्या अधिक रहती है। औद्योगिक क्षेत्र होने की वजह से भूविस्थापितों एवं एसईसीएल प्रबंधन के मध्य नौकरी ,विस्थापन ,मुआवजा व अन्य मांगों को लेकर टकराहट की स्थिति बनी रहती है। धरना प्रदर्शन ,हड़ताल एवं खदान में कामकाज प्रभावित करने का मामला सामने आता रहता है। ऐसी स्थिति में एसईसीएल प्रबंधन खदान की सुरक्षा कानून व्यवस्था बनाए रखने जिला प्रशासन का सहयोग लेता है। आए दिन कार्यपालिक दंडाधिकारी ड्यूटी में होने की वजह से नायब तहसीलदार उप तहसील में समय ही नहीं दे पाते जिसकी वजह से राजस्व कार्य की पेंडेसी बढ़ती जाती है।हालांकि इन सब बातों से अनजान आमजनता उपतहसील कार्यालय में नायब तहसीलदार की गैर मौजूदगी में कार्य समय पर सम्पादित नहीं होने का आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर करते हुए एसडीएम या कलेक्टोरेट कार्यालय जनचौपाल में पहुँच जाती है। अब भला एक दिन में एक अधिकारी दो कार्य भला कैसे सम्पादित कर पाएंगे लिहाजा प्रकरणों की पेंडेंसी बढ़ना स्वभाविक है।

संभवतः पहला तहसील जहां नायब तहसीलदार कोर्ट से पेशी में शामिल होने स्वयं पुकारते हैं

अमले की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उपतहसील दीपका में न्यायालयीन प्रकरणों की सुनवाई करते हुए कई मौकों पर नायब तहसीलदार को पक्षकारों को पेशी में उपस्थित होने स्वयं पुकारना पड़ता है। अमले की कमी की वजह से नोटिस तक तामिली नहीं हो पाती । निश्चित तौर पर प्रदेश का यह सम्भवतः पहला उपतहसील होगा जहां इस तरह की स्थिति निर्मित हो रही। कायदे से यहाँ आय जाति निवास ,ऑनलाईन नामांतरण देखने के लिए पृथक पृथक स्टाफ होना चाहिए । कार्यभार को देखते हुए 4 लिपिक ,3 भृत्य की पदस्थापना करना नितांत आवश्यक है ताकि राजस्व कार्य समय पर सम्पादित हो सकें।

एसईसीएल में नौकरी के लिए कोई भी जुड़वा लेते हैं नाम ,फौती नामांतरण का करना पड़ता है गहन परीक्षण

दीपका उपतहसील में फौती नामांतरण के अधिकांश प्रकरण लगते हैं। एसईसीएल में
नौकरी के लिए कई लोग कूटरचना कर नाम जुड़वा लेते हैं। अतः भू -अर्जन अधिकारी से आने वाले फौती नामांतरण के प्रकरणों का गहन परीक्षण करना पड़ता है ।नगर पालिका से लगे ग्रामों की जमीन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। दीपका क्षेत्र में पूर्व में कलेक्टर की अनुमति के बिना पट्टे की कई जमीन की बिक्री हो गई है ,रजिस्ट्री के बाद प्रमाणीकरण नहीं होने,आदिवासी भूमि को गैर आदिवासी द्वारा खरीदी बिक्री के मामले सामने आते रहे हैं लिहाजा अविवादित नामांतरण का भी गहन परीक्षण करना पड़ता है।

जानें तहसील बनने के बाद कैसा होगा दीपका का स्वरूप

वर्तमान तहसील कटघोरा में कुल 25 पटवारी हल्के ,7 राजस्व निरीक्षक मंडल एवं 110 ग्राम शामिल हैं। जिसमें से 3 राजस्व निरीक्षक मंडल ,16 पटवारी हल्के एवं 59 ग्राम दीपका तहसील के लिए प्रस्तवित हैं। तहसील कटघोरा का कुल मकबूजा (भू -स्वामी हक में दर्ज )रकबा 23588.158 हेक्टेयर है। गैर मकबूजा (शासकीय भूमि) का रकबा 9475.025हेक्टेयर है। इनमें से 11123.868 हेक्टेयर मकबूजा रकबा एवं 4514.974 हेक्टेयर गैर मकबूजा रकबा नवीन तहसील दीपका के लिए प्रस्तावित है।

86 हजार 352 की आबादी 17 हजार 992 हैं खातेदार

वर्तमान में तहसील कटघोरा अंतर्गत कुल 37525 खातेदार हैं, जिसमें से 17992 खातेदार नवीन दीपका तहसील हेतु प्रस्तावित है । जनगणना 2011 के अनुसार तहसील कटघोरा की कुल जनसंख्या 3 लाख 3 हजार 696 है (वर्ष 2020 में नवीन तहसील दर्री की जनसंख्या 67 हजार78 भी शामिल है )जिसमें से 86हजार 352 नवीन प्रस्तावित तहसील दीपका के अंतर्गत आने वाले ग्रामों की जनसंख्या है।

20 किलोमीटर तक कम हो जाएगा दूरस्थ गांवों का फासला

कटघोरा तहसील का सबसे दूरस्थ ग्राम कटसीरा एवं भाठीकुड़ाहै जो तहसील मुख्यालय कटघोरा से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। वर्तमान में उप तहसील दीपका से उक्त ग्राम की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है इस तरह दीपका के तहसील के रूप में अस्तित्व में आने के बाद इन ग्रामों के ग्रामीणों को अपने राजस्व संबंधी कार्यों हेतु तहसील आने के लिए 20 किलोमीटर का कम फासला तय करना पड़ेगा । जिससे जनता की समय एवं धन की भी बचत होगी

25 ग्राम पंचायत सहित दो नगरी निकाय होंगे शामिल

वर्तमान में कटघोरा तहसील अंतर्गत 45 ग्राम पंचायत एवं चार नगरी निकाय आते हैं जिसमें से 25 ग्राम पंचायत एवं 2 नगरीय निकाय नवीन तहसील दीपका के लिए प्रस्तावित हैं। तहसील कटघोरा अंतर्गत वर्तमान में 95 कोटवार एवं 54 पटेल हैं
जिसमें से 38 कोटवार एवं 23 पटेल नवीन तहसील दीपका में सेवाएं देंगे।