कोरबा lसामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने रेल प्रशासन द्वारा कोरबा के साथ सौतेले व्यवहार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना काल से अधिकतर ट्रेनें बंद है जिसे नहीं चलाया गया वही कुछ ट्रेनें चल रही थी जिसे रेलवे ट्रैक पर काम का बहाना दिखाकर सत प्रतिशत ट्रेनों का रद्द करना कोरबा के साथ सौतेला व्यवहार है वहीं दूसरी ओर रेलवे द्वारा कोयला लदान सत प्रतिशत जारी रखने का प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर बंद ट्रेनों के साथ वर्तमान में चल रहे ट्रेनों को भी जारी रखना चाहिए ऐसा नहीं करना कोरबा के साथ अन्याय तथा आम जनता के मौलिक अधिकारों का हनन हैl
श्री सिन्हा ने आगे बताया कि कोरबा उद्योगी क्षेत्र होने के कारण अरबों रुपए के प्रतिवर्ष रेलवे को आय हो रही है जिसे देखते हुए ट्रेन सुविधाओं से कोरबा को वंचित करना जानबूझकर बृहद जन आंदोलन प्रारंभ करने के लिए रेलवे बाध्य कर रही हैl
श्री सिन्हा ने आगे बताया कि कोरबा का यह विडंबना ही है कुछ लोग अलग-अलग ढंग से रेल संघर्ष समिति बनाकर रेलवे को लाभ पहुंचा रहे हैं उदाहरण के तौर पर राजनीतिक दलों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कांग्रेस, तथा उसके अनुषंगी सहयोगी ,युवा कांग्रेस सहित रेल संघर्ष समिति ,नागरिक संघर्ष समिति द्वारा अलग-अलग अपनी डफली बजाने के कारण कोरबा की जनता रेलवे सुविधाओं से लगातार वंचित होती रही है और आगे भी रहेगी क्योंकि कोरबा में बुद्धिजीवी पत्रकार, राजनीतिक दल, मजदूर ,स्वयंसेवी संगठन, सामाजिक संगठन ,आम नागरिकों का एक समिति बना था जिसका नाम कोरबा विकास समिति (रेल )जिसके द्वारा आंदोलन किया गया कुछ ट्रेनें मिली भी लेकिन राजनीतिक दलों व कुछ लोगों को यह समिति रास नहीं आई और उन्होंने अलग-अलग समिति बनाकर रेल संघर्ष आंदोलन कर रहे हैं जिसका परिणाम यह हुआ की रेलवे अच्छी तरह से भली-भांति समझ चुका है कि कोरबा की जनता में एकता नहीं है, आंदोलन करने की क्षमता नहीं है इसलिए रेल सुविधाओं से वंचित करते रहेंगेlश्री सिन्हा ने सभी राजनीतिक दलों केप्रमुखों,जनप्रतिनिधियों ,समाजसेवियों ,समाज प्रमुखों तथा कोरबा क्षेत्र के मजदूर यूनियनों सहित आम जनता से अपील किया है कि वह जल्द से जल्द पूर्व गठित कोरबा विकास समिति रेल के बैनर तले रेल सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए आंदोलन प्रारंभ कर दें तभी हम रेल सुविधाओं को प्राप्त कर सकते हैं । जब तक अपनी अपनी डफली बजती रहेगी तब तक रेल सुविधाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंचेगी।