बिलासपुर । रेलवे जोन के अफसरों को माल ढुलाई से लाभ कमाने का ऐसा जुनून सवार है कि वे यह सुनने को भी तैयार नहीं है कि रैक में लगे वैगन जर्जर हो चुके हैं उन्हें हटवाकर नए वैगन लगवाएं।
वे तो वैसे ही माल ढुलाई कराना चाह रहे हैं। अफसरों की ऐसी ही हठधर्मिता की वजह से आए दिन कोई न कोई हादसा हो रहा है। मालगाड़ियां पटरी से उतर रही हैं। दो दिन पहले अकलतरा-जयराम नगर के बीच मालगाड़ी का जाे वैगन ढह गया उसकी जांच चार महीने पहले ही हुई थी। अब इससे समझा जा सकता है कि माल ढुलाई के प्रेशर में वैगनों की जांच जोन के अफसर किस तरह से कर रहे हैं।दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे प्रशासन ने वर्ष 2021-22 का टार्गेट अचीव कर लिया है। 23 हजार करोड़ रुपए से अधिक की कमाई सिर्फ माल ढुलाई से की गई है। इसके बाद भी अफसरों को सुकून नहीं है। रेलवे बोर्ड के सामने अपनी काबिलियत दिखाकर वर्षों से बिलासपुर जोन और डिवीजन में जमे हुए अफसर चाहते हैं कि उनकी कुर्सी पर कोई आंच न आए। इसलिए वे ज्यादा से ज्यादा राजस्व कमाकर देने की जुगत लगे रहते हैं। फिर उसके लिए चाहे उन्हें कुछ भी क्यों ना करना पड़े।दो दिन पहले अकलतरा-जयराम नगर के बीच कोयला भरकर जा रही मालगाड़ी के पीछे का जर्जर हो चुका डिब्बा चलते हुए ही ढह कर पटरियों में बिखर गया। हालांकि इससे रेलवे को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। रेलवे साइडिंग के एक अफसर के मुताबिक इस वैगन के बारे में पहले भी परिचालन विभाग के अफसरों को अवगत करा दिया गया था लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया और उक्त वैगन को रैक पर लगे रहने देने की हिदायत दी थी। इसके अलावा 10 से अधिक वैगन और खराब होने की जानकारी अफसरों को दी जा चुकी है लेकिन उनकी ओर से किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जा रहा है।मजबूरी में साइडिंग पर उन वैगनों में कोयला नहीं भरा जा रहा है।
कोयला भरे वैगनों के बीच कुछ खाली वैगन भी दिखाई देते हैं
अनेक मर्तबा ऐसी मालगाड़ी भी लोगों ने देखी कि कोयला भरे वैगनों के बीच कुछ खाली वैगन भी दिखाई देते हैं। ये वैगन खराब और जर्जर होने की वजह से भरे नहीं जाते हैं। भनवारटंक में भी जो वैगन पटरी से उतरी उसमें भी गड़बड़ी बताई जा रही है। गड़बड़ी की वजह से वह पटरी से उतरी थी। पेंड्रा की तरफ जा रही मालगाड़ी के पटरी से उतरने के मामले में भी यह देखा जा रहा है कि आखिर वैगन का एक ही पहिया कैसे नीचे उतरा।
रैक उपलब्ध कराने के लिए वैगनों की जांच ही नहीं कराई जा रही
वैगन के बीच कितना गैप है इसकी जांच की गई साथ ही पटरी का गैप भी देखा गया। वैसे तो सभी वैगनों की जांच समय-समय पर होनी चाहिए लेकिन माल लदान के लिए लगातार साइडिंग पर रैक उपलब्ध कराने के लिए वैगनों की जांच ही नहीं कराई जा रही है। हालांकि कागजों में वे सब सही हैं लेकिन मौके पर कुछ वैगनों को देखकर डर लगने लगता है।वैगनों की जांच में समय अधिक लगता है से में रैक की कमी हो जाती है इसलिए अफसर सिर्फ नजरों से जांच कराकर रैक को पटरियों पर दौड़ाते रहते हैं।
जांच के लिए दो तरह के मापदंड
मालगाड़ी के जितने भी वैगन हैं उन सभी की जांच के लिए दो तरह के मापदंड हैं। आरओएच यानि रूटीन ओवर हॉलिंग और पीएचओ यानि प्रियोड्रिक ओवर हॉलिंग से जांच होती है। इसमें आरओएच जांच प्रत्येक 18 से 24 महीने में की जाती है। इसमें वैगन के एक-एक पार्ट्स उसकी बाडी थिकनेस, वेल्डिंग, फर्श की चादर, बाक्स के चारों ओर की लोहे की चादर, उस पर लगे गेट एवं पहियों के साथ-साथ शॉकब व अन्य सभी पार्ट्स की जांच की जाती है। इसके अलावा पीओएच में 6 साल बाद वैगनों की जांच की जाती है।
वैगन ढहने की चल रही जांच
वैगन वर्कशॉप से एनओसी जारी होने के बाद ही वैगन का उपयोग लोडिंग रैक में किया जाता है। अकलतरा और जयराम नगर के बीच मालगाड़ी का जो वैगन ढहा था वह कैसे हुआ इसकी जांच चल रही है। जांच के बाद ही वास्तविकता का पता चल पाएगा। वैगन वर्कशाॅप से भी जानकारी जुटाई जा रही थी। जिस टीम ने जांच किया था उससे पूछताछ होगी।