हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। जनपद पंचायत पोंडी उपरोड़ा के ग्राम पंचायत सचिवों ने भी भ्रष्टाचार में झंडे गाड़ दिए। सिंधिया ,करीमाटी ,कर्री , मदनपुर,नवापारा में वित्तीय वर्ष 2019 -20 में सचिवों ने 27 लाख 40 हजार 979 रुपए की प्राप्त शासकीय आबंटन राशि को विकास कार्यों में लगाने की जगह तत्कालीन सरपंच के साथ मिलकर बंदरबाट किया है। उप संचालक पंचायत से प्राप्त वार्षिक अंकेक्षण रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। अंकेक्षक द्वारा किए गए व्यय आक्षेप का आज पर्यंत समायोजन नहीं किए जाने के मामले में सीईओ जिला पंचायत से शिकायत उपरांत उपसंचालक पंचायत ने आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है। पंचायतों से पालन प्रतिवेदन मंगाया गया है । जिससे संबंधित पंचायतों में हड़कम्प मचा है।
वनांचल ग्राम पंचायत सिंधिया में वित्तीय वर्ष 2019 -20 में कराए गए कार्यों का सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी एस .पी.धुर्वे ने सामाजिक अंकेक्षण किया था। तत्कालीन समयावधि में सुश्री अमिता सिंह सरपंच एवं दीपक कुमार सारथी पंचायत सचिव थे। कार्यालय उप संचालक पंचायत से प्राप्त अंकेक्षण प्रतिवेदन के व्यय आक्षेप पत्र में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। ऑडिटर ने
7 लाख 80 हजार 758 रुपए का व्यय आक्षेप निकाला था। सभी आक्षेप अलग अलग मदों के कार्यों से संबंधित हैं। जिसके तहत बस्ती प्रतीक्षालय में 14वें वित्त योजना से 2 लाख 54 हजार 758 रुपए की लागत से कराए गए बोर खनन के कार्य का प्राक्कलन प्रस्तुत नहीं किया गया। 14वें वित्त योजना से हायर सेकेंडरी स्कूल सिंधिया में 1 लाख 41 हजार की लागत से कराए गए अहाता निर्माण का प्राक्कलन अप्राप्त पाया गया। 14वें वित्त योजना की राशि से गौठान में 1 लाख 35 हजार की लागत से कराए गए 2 नग चबूतरा निर्माण का प्राक्कलन अप्राप्त पाया गया। 14वें वित्त योजना की राशि से गौठान में 2 लाख 50 हजार की लागत से कराए गए खम्भा में फेंसिंग कार्य का प्राक्कलन अप्राप्त पाया गया।बात करें ग्राम पंचायत कारीमाटी की तो यहां 4 लाख 93 हजार 922 रुपए के व्यय पर आपत्ति पाई गई है। वित्तीय वर्ष 2019 -20 में शिवशंकर सिंह कोर्चे सरपंच थे एवं सुकुल सिंह मरावी सचिव थीं । ऑडिटर ने 4 लाख 93 हजार 922 रुपए के व्यय पर आपत्ति की थी। सभी आक्षेप अलग अलग मदों के कार्यों से संबंधित हैं। जिसके तहत रेत ढुलाई का 16 हजार ,एवं छड़ खरीदी का 75 हजार का व्हाउचर अप्राप्त पाया गया। 5500 रुपए मजदूरी भुगतान का मस्टररोल अप्राप्त पाया । रैन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए 7500 रुपए के ईंट का व्हाउचर अप्राप्त पाया गया। 2 लाख 13 हजार 460 रुपए की लागत से कराए गए कुंआ मरम्मत का प्राक्कलन अप्राप्त मिला। 75 हजार 482 रुपए की लागत से कराए गए प्राथमिक शाला भवन के मरम्मत कार्य का प्राक्कलन गायब मिला। एक लाख 1 हजार रुपए की लागत से 8 नग नहानी निर्माण का प्राक्कलन अप्राप्त पाया गया।हैरानी की बात तो यह है उप सरपंच के लिखित शिकायत के पखवाड़े भर बाद भी यहां जांच करने अफसर नहीं पहुंचे।जिससे उनकी संलिप्तता स्वतः प्रदर्शित हो रही।
बात किया जाए कर्री की तो यहां 3 लाख 35 हजार 279 रुपए के व्यय पर आपत्ति पाई गई है। वित्तीय वर्ष 2019 -20 में यहां श्रीमती रोहणी मरावी सरपंच थीं एवं श्रीमती धनकुंवर कंवर सचिव थे । ऑडिटर ने 3 लाख 35 हजार 279 रुपए के व्यय पर आपत्ति की थी। सभी आक्षेप अलग अलग मदों के कार्यों से संबंधित हैं। जिसके तहत महेंद्र ट्रेडर्स पसान को 25 हजार की सामाग्री का की राशि भुगतान व्हाउचर अप्राप्त पाया गया।वहीं 25 हजार 200 रुपए सरपंच ,पंच मानदेय भुगतान व्हाउचर अप्राप्त पाया गया। आंगनबाड़ी भवन बीचटोला निर्माण कार्य के लिए 25 हजार 261 रुपए की सामाग्री क्रय के लिए महेंद्र ट्रेडर्स पसान को भुगतान किए गए बिल व्हाउचर्स अप्राप्त मिला। सीसी रोड निर्माण कार्य के लिए 40 हजार की लागत से क्रय किए सामाग्री का भुगतान व्हाउचर अप्राप्त पाया गया। सामुदायिक भवन कर्री में 3 हजार की लागत से क्रय किए गए सामाग्री का व्हाउचर अप्राप्त मिला। 89 हजार की लागत से कराए गए वाटर हार्वेस्टिंग निर्माण कार्य का प्राक्कलन अप्राप्त पाया गया। यही नहीं 99 हजार 998 रुपए की लागत से कराए जा रहे पंचायत भवन शौचालय निर्माण कार्य का प्राक्कलन भी अप्राप्त मिला।इसी तरह बात करें ग्राम पंचायत मदनपुर की तो यहां 2 लाख रुपए के व्यय पर आपत्ति पाई गई है। वित्तीय वर्ष 2019 -20 में यहां कराए गए कार्यों का सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी एस .पी.धुर्वे ने सामाजिक अंकेक्षण किया था। तत्कालीन समयावधि में यहां देवसाय सरपंच थे ,वेंकट रमन प्रताप सचिव थे। ऑडिटर ने 2 लाख रुपए के व्यय पर आपत्ति की थी। प्राक्कलन के बगैर 14 वें वित्त योजना की 2 लाख रुपए की राशि को गौठान फेंसिंग में व्यय कर दिया गया । यही नहीं ग्राम पंचायत के द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों के मजदूरी भुगतान मस्टररोल में निर्माण समिति के हस्ताक्षर नहीं थे। 14वें वित्त योजना की राशि को डीएससी के द्वारा भुगतान नहीं किया गया था। चेक भुगतान पंजी भी संधारित नहीं किया गया था। बात करें ग्राम पंचायत नवापारा की तो यहां 9 लाख 31 हजार के व्यय पर आपत्ति पाई गई है। वित्तीय वर्ष 2019 -20 में यहां कराए गए कार्यों का सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी एम एस मरावी ने सामाजिक अंकेक्षण किया था। तत्कालीन समयावधि में यहां श्रीमती रामरती सरपंच थीं । ऑडिटर ने 9 लाख 31 हजार रुपए के व्यय पर आपत्ति की थी। सभी आक्षेप अलग अलग मदों के कार्यों से संबंधित हैं।
बोर हैंड पंप सुनील घर के पास सबमर्सिबल एवं टँकी फिटिंग कार्य में 49 हजार के व्यय का व्हाउचर अप्राप्त है। मीरा होटल जटगा से राष्ट्रीय पर्व के नाम पर 20 हजार रुपए की मिष्ठान क्रय भुगतान व्हाउचर अप्राप्त है। सम्मल सिंह उइके को शौचालय की 12 हजार रुपए की राशि का भुगतान अप्राप्त है।14वें वित्त योजना की 8 लाख 44 हजार की लागत से कराए गए कार्यों का प्राक्कलन प्रशासकीय स्वीकृति आदेश नहीं लिया गया। जीपीडीपी का पालन नहीं किया गया। यही नहीं आज पर्यंत व्यय आक्षेप का समायोजन तक नहीं हुआ है। सीईओ जिला पंचायत नूतन कंवर ने प्राप्त शिकायत उपरांत उप संचालक पंचायत को आवश्यक जांच के निर्देश दिए हैं। प्रकरण में आवश्यक जांच की प्रक्रिया शुरु हो गई है।पालन प्रतिवेदन मंगाया गया है। जिससे संबंधित पंचायतों में हड़कम्प मचा है। ब्लाक के लगभग 90 फीसदी पंचायतों में औसतन 2 लाख रुपए से अधिक का व्यय आक्षेप निकला है। जिसका समायोजन नहीं हुआ है । प्रखर समाचार धीरे धीरे सचिवों के इन कारगुजारियों का प्रमाणित दस्तावेजों के साथ पर्दाफाश करेगा।